Dr.Gyanavatsal Swamy Motivational speech: हालात की प्रतिकूलता चरम सीमा पर होने पर भी व्यक्ति यदि अच्छे विचारों की शक्ति से समृद्ध है, तो वह आनंदित रह सकता है। विचार में प्रचंड शक्ति होती है। - डॉ. ज्ञानवत्सल स्वामी विचार की शक्ति जानें | सकारात्मक मनसे बेहतर हालात
डॉ. ज्ञानवत्सल स्वामी विचार की शक्ति जानें | Dr. Gyanavatsal Swamy motivational speech
बात वर्ष 2008 की है। पैरिस फ्रांस के एक होटल में टेक कॉन्फ्रेंस थी। दो अमेरिकी मित्र इसमें हिस्सा लेने पहुंचे। कॉन्फ्रेंस खत्म होने तक रात के साढ़े नौ बज चुके थे। ये दोनों मित्र होटल की गैलरी में पहुंचे तब पता चला कि भारी बर्फबारी हो रही है।
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मित्रों ने आसपास देखा कि लगभग 40-45 लोग टैक्सी का इंतजार कर रहे हैं। 15-20 मिनट के अंतराल में बमुश्किल एक टैक्सी आती और फुल हो जाती। वजह, पैरिस की यह सड़क शहर की अतिव्यस्त सड़कों में शुमार है । इस ओर आने वाली टैक्सी आते ही बुक हो जाती ।
दोनों मित्र तल्लीनता से देख रहे थे कि टैक्सी के इंतजार में लोग कैसे बेचैन हो रहे हैं। वैसे भी किसी भी चीज का इंतजार करना बहुत उबाऊ बेचैन करने वाला होता है। पर ये दोनों अमेरिकी युवक शांतचित्त एकाग्र थे। वजह, इनके मन में कुछ नया करने का विचार कौंध गया था ।
इस क्रम में खुद से सवाल पूछने लगे,' इस तरह इंतजार करने में लोगों का कितना वक्त बर्बाद होता होगा । टैक्सी में यात्रा करने वाले, यूं पीड़ा भोगने वालों की संख्या लाखों में होगी। क्या हम ऐसा कोई ऐप बना सकते हैं, जो लोगों की समय की इस बर्बादी रोककर यात्रा को आरामदायक बनाए ? ग्राहक खुद ही टैक्सी बुला सके।
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उसे जब भी यात्रा शुरू करनी हो उसके 10-15 मिनट पहले टैक्सी बुक करे और झट से उसे टैक्सी मिल जाए ताकि इंतजार में वक्त बर्बाद न हो? सवालों के इन भंवर और इनके समाधान के फल स्वरूप दोनों ने अपने तकनीकी हुनर का हरसंभव उपयोग करने का प्रण लिया।
लौटकर कैलिफोर्निया में ऐप बनाया। पहले न्यूयॉर्क में तीन टैक्सी से इसे परखा। सफल होने पर 10 टैक्नी के साथ परखते हुए इसकी दिक्कतों, व्यावहारिक पहलुओं को जांचा । धीरे-धीरे लाखों लोग इस एप का इस्तेमाल करने लगे । आज विश्व के 66 देशों के 30 लाख से अधिक लोग इस मोबाइल एप के जरिए टैक्सी बुलाते हैं।
यह कहानी है टैक्सी सेवा ऐप ' उबर ' की। पैरिस के होटल की गैलरी में इंतजार के दौरान जिन्हें इसका विचार आया, वे दो दोस्त थे उबर के फाउंडर्स ट्रैविस कैलेनिक और गरेट कैंपा ट्रैविस-गेरेट को कौंधे विचार और उसके समाधान से अरबों डॉलर की कंपनी का जन्म हुआ।
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अब बात हमारी-अपनी । हम लोग इन दोस्तों की जह होते तो हमारा व्यवहार होता, चलो मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं। दो-पांच बाट्सएप मैसेज पद लेते हैं, चुटकुले फारवर्ड कर देते हैं। उन दोस्तों ने इसकी बजाय अच्छे विचार, सृजनात्मक और समस्या के समाधानकारी विचारों पर खुद को केंद्रित रखा।
बस, विचार की बात इतनी-सी है । दरअसल, विचार में प्रचंड शक्ति होती है। नकारात्मक विचार व्यक्ति को निराशा की खाई में धकेल सकते हैं तो सकारात्मक, सृजनात्मक विचार व्यक्ति को सफलता की ऊंचाई तक भी पहुंचाते हैं । कमजोर विचार व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बना देते हैं।
वहीं सशक्त सकारात्मक विचार व्यक्ति को सृजनशीलता की उर्जा से भर देते हैं। हालात की प्रतिकूलता चरम सीमा पर होने पर भी व्यक्ति यदि अच्छे विचारों की शक्ति से समृद्ध है तो वह आनंदित रह सकता है। इसके उलट सर्वांगीण सुख-समृद्धि-सामर्थ्यवान होते हुए भी यदि नकारात्मक विचारों का चंगुल हो तो व्यक्ति अशांत, दुःखी ही रहता है ।
इसलिए जरूरी है कि हमेशा सशक्त-सार्थक विचार करें। रचनात्मक विचारों का सामर्थ्य बढ़ाएं। भगवान स्वामीनारायण ने भी वचनामृत ग्रंथ में यही सीख देते हुए कहा है कि हमेशा अच्छे-सच्चे सकारात्मक विचारों को ग्रहण । करें और नकारात्मक का त्याग कर दें । वजह, हमारे विकास का आधार हमारे विचार ही हैं ।
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संकुचित विचार हमारे विकास में अवरोधक हैं । सकारात्मक विचार हमारी सुख-समृद्धि और सामर्थ्य को मजबूत बनाते हैं
जापान की कार्प नामक प्रजाति की मछली को यदि छोटे कटोरे में रखा जाता है तो इसका विकास दो से तीन इंच तक ही होता है । बड़े बर्तन, टंकी में रखने पर 10 इंच तक विकास होता है। बड़े तालाब जलाशाय में रखने की स्थिति में यह मछली तीन फुट तक का आकार पाती है ।
हम मनुष्यों के मामले में भी ऐसा ही है। हमारी दुनिया कैसी और कितनी है उसी पर हमारे विकास का दायरा निर्भर होता है । संकुचित विचार हमारे विकास में अवरोधक हैं। सशक्त सकारात्मक विचार हमारी सुख-समृद्धि और सामर्थ्य को बलवती बनाते हैं ।
ऋगवेद में कहा गया ' आ नो भद्राः कृतवो यन्तु विश्वतः ' अर्थात सभी दिशाओं से मुझे शुभ विचार प्राप्त हों । आइए हम इसी दिशा में प्रयासरत रहें, ऐसे विचार करें, ऐसा ही पढ़ें-सुनें और देखें जो हममें सकारात्मक विचारों का संचार करें। हमें अशुभ विचार और भावनाओं से दूर रखें । बस इतना ही कर सके तो जीवन के सार्थक होने की दिशा अवश्य ही हमें मिलेगी ।
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