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प्राणायाम क्या है ? प्राणायाम के प्रकार,लाभ,सावधानियां करने का सही समय

What is Pranayama in Yoga:  प्राणायाम क्या है ? प्राण यानी की स्वाँस  " प्राण शक्ति को मजबूत करने की प्रक्रिया को प्राणायाम कहते है।" प्राण को एक नया आयाम ,विस्तार देना  Pranayama  कहलाता है। स्वाँस के द्वारा ही प्राणशक्ति को मजबूत किया जाता है।

What is Pranayama in Yoga ,प्राणायाम क्या है ? प्राणायाम के प्रकार,लाभ,सावधानियां करने का सही समय

इसके प्रयोग से मनुष्य की इन्द्रियां शुद्ध हो जाती है ,सामान्य रूप से अगर बात करे तो ,प्राण को साँस और प्राणायाम को शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का और साथ ही फेफड़ों को बल प्राप्त करने का अभ्यास समझा जाता है। 

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प्राणायाम क्या है ? What is Pranayama?

प्राणायाम को समझने के लिए  इसके शब्दों के अर्थ समझना जरुरी है ,ये दो शब्दों से मिलकर बना है " प्राण +आयाम। " अब प्राण भी समझना अति आवश्यक है।  

प्राण क्या है ? सामान्यतः प्राण को सांस समझा जाता है या सांसों को प्राण की संझा देते है। " प्राण एक जीवन ऊर्जा है। "  शरीर के पुरे क्रिया कलाप के मूल में हमारी सांसे है,जो की ऑक्सीजन के रूप में पूरी बॉडी को ऊर्जा प्रदान करती है ,और उन सांसों को चलाने के लिए जिस ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे प्राण ऊर्जा कहते है। 

इस प्रकार से प्राण हमारे शरीर में कार्य करता है। प्राण में दस प्रकार की वायु होती है ,जिसमे पञ्च (पांच ) वायु हमें सुनने को मिलती है - प्राण ,अपान , समान ,उदान ,वियान  इसके अलावा पञ्च वायु और होते है जिसके कारण पलके झपकना ,छींक आना ,उबासी आना और हिचकी आना इस प्रकार की क्रिया होती है। 

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अब बात करते है दूसरे शब्द "आयाम "की - इसका मतलब होता है विस्तार करना किसी चीज को फैलाव देना।  तो प्राणायाम के शब्दों का अर्थ है प्राणों को आयाम देना अपने शरीर के अंदर इसका विस्तार,धीमा करना या फैलाना। 

अब आते है कि प्राणायाम है क्या ? इसे हम सभी सामान्यतौर पर साँस लेना या छोड़ना समझते है,और इसी प्रक्रिया को प्राणायाम नाम देते है। परन्तु हम इस क्रिया को दिन में २४ घंटे ,पुरे जीवन भर करते है तो क्या इसे प्राणायाम से जोड़े ,नहीं सामान्य साँस लेने में दो मुख्य बिंदु होते है पूरक और रेचक। 

पूरक का अर्थ साँस अंदर लेना व् रेचक का अर्थ है साँस बहार छोड़ना। किंतु जब इसमें तीसरा बिंदु " कुम्भक " जुड़ जाता है तो इसे प्राणायाम कहते है। कुम्भक का अर्थ होता हैसाँस को रोकना या रुक जाना। इसके भी तीन रूप होते है आतंरिक (साँस को अंदर लेना ) बाहरी (साँस को बहार छोड़ना ) केवल्यक कुम्भक (साँस जहाँ है वही पर रोकना ) अतः साँस लेने की प्रक्रिया में जब कुम्भक का अभ्यास जुड़ जाता है तो उस अवस्था को प्राणायाम कहते है। 

Pranayama asan ,प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं ?  प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं ? सबसे अच्छा प्राणायाम कौन सा है?    प्राणायाम कैसे किया जाता है?  सुबह सुबह कौन सा प्राणायाम करना चाहिए?

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प्राणायाम के प्रकार Type of Pranayama

  • अनुलोम-विलोम 
  • भस्रिका 
  • कपालभाति 
  • भ्रामरी 
  • ओम-प्रायाणाम 
  • अग्निसार क्रिया 

प्राणायाम के लाभ Benefits of Pranayama

  • इस क्रिया से मन शांत , सुखी  और प्रसन्नचित रहता है। इसके उपयोग से शरीर निरोगी और बलवान रहता है। 
  • प्राणायाम का मुख्य काम शरीर के सभी कोशिकाओं में शुद्ध हवा को पहुँचना है 
  • इसके निरंतर उपयोग से शरीर को पोषण मिलता है। 
  • इसके उपयोग से चिंता व् तनाव कम  होता है और जीवन का स्टार बढ़ता है। 
  • मन  एकाग्रता बढ़ती है। 
  • कफ विकार की शिकायत  लाभदायक  है। 
  • शरीर और मन की ऊर्जा को बढ़ाता है ,दिमागी संतुलन बनाता है। 
  • यह क्रिया बंद नाड़ियों को खोल देता है। 
  • इसके अभ्यास से हकलाने और अस्थमा जैसे बिमारी में लाभ मिलता है। 

प्राणायाम  करने का सही समय Right time to do Pranayama 

वैसे तो यह करने का कोई निश्चित समय का निर्धारण नहीं है ,आपके पास जब भी समय हो आप इसे कर सकते हैं ,लेकिन इस बात का ध्यान रखें की जब आप यह योग कर रहे हो तब आपका पेट खाली हो। मुख्य रूप से इस योग सुबह  करना उत्तम होता है ,क्योकि तब वायु शुद्ध होती है। 

प्राणायाम की सावधानियां Precautions of Pranayama

  • प्राणायाम के समय हमारा शरीर अन्दर और बहार दोनों रूप से शुद्ध होना चाहिए , जमीन पर बैठ कर करना उचित होता है (दरी या योगा मेट यूज़ करें ) प्राणायाम के समय रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। 
  • आप सिद्धासन ,सुखासन पद्मासन या वज्रासन किसी भी आसान में बैठ सकते है। इसे खुले वातावरण में करना उत्तम होता है। 
  • प्राणयाम के समय साँस को आराम से लेना चाहिए ,उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को ये योग किसी अच्छे योगाचार्य से पूछ कर करना चाहिए 
  • इसके तुरंत बाद नहाना और खाना नहीं चाहिए 
  • प्राणायाम करते समय तनाव मुक्त और आँखे बंद होनी चाहिए। 
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