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सफलता कोई लक्ष्य नहीं हो सकता यह तो प्रक्रिया है

Success is not a goal it's a byproduct: सफलता कोई लक्ष्य नहीं हो सकता, यह तो प्रक्रिया है।  Achievement सिर्फ भौतिक नहीं, अच्छा स्वास्थ्य, जीवन के प्रति ऊर्जा-उत्साह, स्वस्थ संबंध और मन की शांति भी है। 

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What is Success?: सफलता को जीवन में Happiness के निरंतर विस्तार के रूप में और Top Goal की प्राप्ति के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। बिना Efforts और सहज रूप से अपनी इच्छापूर्ति करने की Capacity ही सफलता कही जाती है। 

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लेकिन फिर भी सफलता पाना और धन-संपदा (Wealth) अर्जित करना, हमेशा ही एक जैसी Process मानी जाती रही है, जिसके लिए Hard Work करने जरूरत होती है। सफलता और समृद्धि के प्रति हमें एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण(Spiritual Outlook) अपनाने की जरूरत है। 

Success  के कई आयाम होते हैं, भौतिक संपदा तो उसका केवल एक घटक है। इससे भी बड़ी बात यह है कि सफलता एक सतत यात्रा है, कोई गंतव्य नहीं। भौतिक संपन्नता, किसी भी रूप में हो, वह तो उन बातों में से केवल एक है जो कि इस यात्रा को अधिक सुखद बना देती हैं। 

किंत, सफलता में जिन अन्य बातों का शामिल होना भी आवश्यक होता है वे हैं Good Health, जीवन के प्रति ऊर्जा व उत्साह, Healthy Relationship, रचनात्मक स्वतंत्रता, भावनात्मक व मानसिक दृढ़ता, भलाई का भाव, और Peace of Mind. पर इससे भी आगे सच्ची सफलता है ईश्वरीय दिव्यता का अनुभव करना। हमारे अपने भीतर ईश्वरत्व (divinity) का खुलना और खिलना ही होती है True Success.

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इसका अर्थ है हर कहीं और हर किसी में ईश्वरत्व का दर्शन करना शिशु की आंखों में भी, फूल की सुंदरता में भी, पक्षी की उड़ान में भी, हर कहीं। जब हम अपने जीवन को इस दिव्यता व अलौकिकता के एक अभिव्यक्त रूप में अनुभव करने लगते हैं कभी-कभार नहीं बल्कि हमेशा ही तभी हम सच्ची सफलता का अर्थ समझ सकते हैं।

मैंने सफलता के सात आध्यात्मिक सिद्धांत सुझाएं हैं। इनमें से आज इरादे और इच्छा की बात करूंगा। आपकी इच्छा को पूरा करने के पीछे जो असल शक्ति काम करती है वह है आपका इरादा। इरादे में बहुत बल होता है क्योंकि इसमें फल की आसक्ति नहीं होती। आसक्ति यानी उसके प्रति लगाव या अनुराग का भाव।

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आपका इरादा अगर फल के प्रति नहीं है, जब कोई काम वर्तमान पल के प्रति सजग रहते हुए किया जाता है तब वह सर्वाधिक प्रभावी होता है। अगर आपके पास अनेक लक्ष्य हैं तो उन्हें क्रमवार लिख लीजिए और अपने इरादों पर फोकस कीजिए। परिणाम के प्रति, फल के प्रति, अपनी आसक्ति को त्याग दीजिए। 

इसका अर्थ है किसी परिणाम विशेष के साथ रहने वाली अपनी अड़ियल आसक्ति को त्याग देना और अनिश्चितता वाली समझ के साथ रहना। इसका अर्थ है अपनी जीवन यात्रा के हर पल का आनंद लेना, भले ही उसका फल आपको पता न हो -'सफलता के सात आध्यात्मिक सिद्धांत ' किताब से साभार '

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