पांवर ऑफ पॉजिटिविटी: आशावादी बने रहने की ट्रेनिंग ली जा सकती है कुछ लोग जन्म से ही आशावादी (Optimism) होते हैं, अगर आप उनमें से नहीं है, तो भी चिंता की बात नहीं। आशावादी रहना धीर-धीरे सीख सकते हैं। कई लोग आशावाद की तुलना खुशी से करते हैं। हालांकि दोनों एक नहीं हैं।
ऐसे लोग आशावादी माने जाते हैं, जो हर परिस्थिति में सकारात्मकता खोजते हैं, पर विशेषज्ञों के अनुसार ये सही परिभाषा नहीं है। सकारात्मक सोच का मतलब ये नहीं कि आप जीवन के तनावों को नजरअंदाज कर दें।आशावादी सिर्फ रचनात्मक या प्रोडक्टिव तरीके से कठिनाई का सामना करते हैं।
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विशेषज्ञों का दावा है कि आशावादियों और निराशावादियों के बीच असल अंतर उनकी खुशी का स्तर नहीं या परिस्थिति को देखने का नजरिया नहीं बल्कि उसका सामना करने का तरीका है। शोध के मुताबिक अच्छा मूड दिमाग के बाएं हिस्से से संबंधित होता है और बुरा मूड दाएं हिस्से से संबंधित।
यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन में न्यूरोसाइंस लैब के निदेशक डॉ. डेविडसन ने एक प्रयोग करके पता लगाया कि जिन लोगों का झुकाव दिमाग के दाएं हिस्से यानी नकारात्मकता की ओर था, क्या ट्रेनिंग के साथ उनमें बदलाव संभव है। प्रयोग में शामिल लोगों को माइंडफुलनेस (वर्तमान क्षण पर केंद्रित रहने) की ट्रेनिंग देने के ढाई महीने बाद ही इसके परिणाम सकारात्मक दिखाई दिए। सार ये है कि सचेत रूप से अपनी विचार प्रक्रियाएं बदलकर आप सचमुच अपने दिमाग को रिवायर कर सकते हैं।
Today's Positive Challenge
अपने आपको ब्रेक दें!
भागमभाग के बीच थोड़ा रुककर खुद से पूछें-मुझे इस समय किस चीज की जरूरत है। फिर अपने लिए कुछ अच्छा करें। किसी दोस्त को फोन करें, घूमने जाएं या मनपसंद किताब पढ़ें। मन में दोहराएं कि मैं खुद के प्रति उदार रहूंगा। स्वयं के प्रति अच्छा होने से बाहरी तौर पर भी हमारा व्यवहार बदलता है। बुद्धिज्म परंपरा में अपनी परवाह और उदार की भावना पुरातन काल से है। कई अध्ययनों में भी साबित हुआ है कि खुद के प्रति नरमी बरतकर हमारी वैलबीइंग बेहतर होती है।
Today's Positive thoughts
- कुछ भी हासिल करने के लिए तीन महत्वपूर्ण चीजे है,कड़ी मेहनत, दृढ़ता, और कॉमन सेन्स।
- हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है, सफल होने का तरीका है एक और बार प्रयास करना- थॉमस अल्वा एडिसन