Type Here to Get Search Results !

Overthinking Disorder: सोच का रोग लगे ही क्यों?

Overthinking Disorder: जरूरत से ज्यादा सोचना इस दौर की बड़ी समस्या है । वैज्ञानिक अध्ययनों और मनोवैज्ञानिकों ने इसके बारे में बताए हैं कुछ ऐसे तथ्य जो Overthinking Disorder समझने और इससे बाहर निकलने में सहायक सिद्ध होंगे ।-

How do you fix overthinking disorder? ,Overthinking Disorder Symptoms, How to Treat Overthinking Disorder

Overthinking Disorder Symptoms| How to Treat Overthinking Disorder

आप मक्खी बनेंगे या मधुमक्खी ?

जब भी आपके मन में ओवरथिंकिंग हो और नकारात्मक सोच घेरने लगे , अपने आप से पूछिए- मैं मक्खी बनना चाहता हूं या मधुमक्खी ? मक्खी गंदगी ढूंढकर उस पर बैठती है , जबकि मधुमक्खी सिर्फ फूलों पर बैठती है , उनका मधु संचित करती है और उसी का सेवन करती है ।

हम किस प्रकार के विचारों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं- कचरा और गंदगी पर ? हर बात में , स्थान में , घटना में , व्यक्ति में क्या बुराई है उस पर ? या फिर हर परिस्थिति में क्या अच्छा हो सकता है , हर घटना में क्या संभावना छुपी हो सकती है , हर व्यक्ति की क्या खूबी है , उस पर ? 

स्वयं के बारे में अक्सर हम ओवरथिंकिंग करने लगते हैं । मैं आज सुबह जल्दी नहीं उठ पाई इसलिए मैं अच्छी बहू / बेटी नहीं हूं । पिता का चश्मा लाना भूल गया तो अच्छा बेटा नहीं हूं । पति को ऑफिस के लिए टिफिन नहीं दे पाई . तो अच्छी पत्नी नहीं हूं । बच्चों को पढ़ाने का समय नहीं दे पाई तो अच्छी मां नहीं हूं ।


किसी विषय में नंबर कम आ गए तो मैं अच्छा विद्यार्थी नहीं है । अब मैं क्या करूंगा , किसको मुंह दिखाऊंगा ? मेरे माता - पिता , शिक्षक मुझसे निराश हो जाएंगे , मुझे नौकरी नहीं मिलेगी , मेरी शादी नहीं होगी , मैं जीवन में कुछ नहीं कर पाऊंगा सोचते सोचते कहां तक आ गए ! यहां तक कि मामूली बात से शुरू हुई यह सोच कई बार खुदकुशी जैसे घातक विचार तक पहुंचा देती है । 

ऐसे विचारों से निजात पाने के लिए स्वयं को अपनी शक्तियों और खामियों के साथ पूरी तरह अपनाएं , स्वीकारें । अपने गुणों को पहचानें । उनकी एक सूची बनाएं । अपनी कमियों पर काम करें । खुद पर जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं का बोझ ना डालें । याद रखें कि हम सब इंसान हैं और इंसान होने के नाते हम सब में कमियां होना स्वाभाविक ही है । 

इसी तर दूसरों को भी गलती करने का और उसे सुधारने का मौका दें । जीवन क्षणभंगुर है । पल पल बद ता जाता है । वर्तमान के पलों में जीने का प्रयास व विचारों के जाल , भूत और भविष्य के गलियारों में बुने जाते हैं । अपने मन को वर्तमान में अधिक से अधित करने की कोशिश करें ।


Overthinking Disorder: जरूरत से ज्यादा सोचना इस दौर की बड़ी समस्या है । वैज्ञानिक अध्ययनों और मनोवैज्ञानिकों ने इसके बारे में बताए हैं कुछ ऐसे तथ्य जो overthinking disorder समझने और इससे बाहर निकलने में सहायक सिद्ध होंगे ।-

वर्तमान में हैं परेशान 

ओवरथिंकिंग के दो रूप होते हैं- बीती बातों के बारे में सोचते हुए दुःखी होना , और भविष्य के बारे में चिंतित रहना । यानी ओवरथिंकर वर्तमान में परेशान रहता है । यह चिंता और अनिर्णय की स्थिति है । ओवरथिंकिंग आत्मविश्लेषण भी नहीं है , क्योंकि खुद में झांककर आप अपनी कमियों को पहचानते हैं , गलतियों से सबक लेते हैं और बेहतर बनते हैं । 

ओवरथिंकिंग करके आप केवल निराश , हताश , दुःखी , चिंतित और कुंठित होते जाते हैं । ओवरथिंकिंग किसी भी लिहाज से न तो उचित है , न ही इसका कोई लाभ है । 

Read More:- मन की शक्ति,मन के प्रकार ,चेतन और अवचेतन मन और उनके कार्य | mind power in hindi

स्त्रियां अधिक सोचती हैं 

कैलिफोर्निया के आमेन क्लीनिक ने 45 हजार से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण करके सिद्ध किया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के मस्तिष्क में ज्यादा गतिविधियां चलती हैं । इसी संदर्भ में जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिसीज में प्रकाशित एक स्टडी से पता चलता है महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक सोचती हैं । इसका कारण उनकी दिमागी गतिविधियों की अधिकता से जुड़ा है । 

मन में चलता दुष्चक्र 

2013 में जर्नल ऑफ एब्नॉर्मल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अपने दोषों , गलतियों और समस्याओं के बारे में ही सोचते रहने से अवसाद और दुश्चिंता जैसी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं । दूसरी तरफ , मानसिक समस्याओं के चलते ज्यादा सोचने की बीमारी बढ़ती जाती है । इस तरह एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है ।

Read More:-  Power of positivity: खुद की आलोचना न करें ये सुधार में बाधक है

अनिर्णय का रोग 

ओवरथिंकर्स को लगता है कि वे दरअसल किसी मुद्दे पर मंथन कर रहे हैं , जिससे सही फैसला करने में मदद मिलती है । परंतु येल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि जरूरत से ज्यादा सोचने से निर्णय लेने की क्षमता कुंद पड़ जाती है । यहां तक कि इससे व्यक्ति रोजाना के साधारण कामों से जुड़े छोटे - छोटे फैसले भी नहीं कर पाता ।

नींद से दुश्मनी 

पर्सनैलिटी एंड इंडिविजुअल डिफरेंसेस नामक एक जर्नल के अनुसार , ओवरथिंकिंग से हमारी नींद की अवधि के साथ ही उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है । विचारों का क्रम शुरू होता है तो नींद भाग जाती है । अगर देर रात को नींद पड़ती भी है तो वो जल्दी टूटती है , फिर विचार घुमड़ने लगते हैं ।

 गौर से सुनें और देखें 

अध्ययन बताते हैं कि माइंडफुलनेस से ओवरराथंकिंग , चिंता , नकारात्मकता आदि से निजात पाई जा सकती है । माइंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान में रहना । जब आप हवा की ठंडक महसूस करते हैं , चिड़िया की चहचहाहट पर गौर करते हैं , बच्चे की मुस्कान देखते हैं या किसी भी चीज पर ध्यान देते हैं तो आपके मन से विचारों का बोझ हट जाता है । 

खाने की लत से नाता

 येल यूनिवर्सिटी की स्टडी कहती है कि अत्यधिक सोचना गंभीर भावनात्मक कष्ट को बुलावा देने की तरह होता है । अक्सर लोग इस तरह की पीड़ा से दूर भागने के लिए खूब खाने लगते हैं या धूम्रपान मद्यपान जैसी गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं । 

खुद से कहें - रुको !

 जर्मन साइकोथैरेपिस्ट रुबेन बर्गर कहते हैं कि जब भी भान हो कि आप ओवरथिंकिंग कर रहे हैं , तत्काल उस पर रोक लगा दें । खुद से कहें- रुको ! बेहतर होगा कि आप ऐसा बोलकर कहें । रुबेन सुझाव देते हैं कि आप अपनी कलाई में एक रबरबैंड भी पहन सकते हैं । जब भी आपको विचारों का प्रवाह रोकना हो तो उस रबर को थोड़ा खींचकर छोड़ दें ।

Read More:- 

Power of Positivity: सकारात्मक बने रहने के लिए ये 15 वाक्य दोहराएं

Power of Positivity: खुशी व्यक्तिगत होकर भी पूरे परिवेश को खुशनुमा बनाती है

पावर ऑफ पॉज़िटिविटी: इन चंद सवालों से अपना सकारात्मकता अनुपात चेक करें


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.