Overthinking Disorder: जरूरत से ज्यादा सोचना इस दौर की बड़ी समस्या है । वैज्ञानिक अध्ययनों और मनोवैज्ञानिकों ने इसके बारे में बताए हैं कुछ ऐसे तथ्य जो Overthinking Disorder समझने और इससे बाहर निकलने में सहायक सिद्ध होंगे ।-
Overthinking Disorder Symptoms| How to Treat Overthinking Disorder
आप मक्खी बनेंगे या मधुमक्खी ?
वर्तमान में हैं परेशान
ओवरथिंकिंग के दो रूप होते हैं- बीती बातों के बारे में सोचते हुए दुःखी होना , और भविष्य के बारे में चिंतित रहना । यानी ओवरथिंकर वर्तमान में परेशान रहता है । यह चिंता और अनिर्णय की स्थिति है । ओवरथिंकिंग आत्मविश्लेषण भी नहीं है , क्योंकि खुद में झांककर आप अपनी कमियों को पहचानते हैं , गलतियों से सबक लेते हैं और बेहतर बनते हैं ।
ओवरथिंकिंग करके आप केवल निराश , हताश , दुःखी , चिंतित और कुंठित होते जाते हैं । ओवरथिंकिंग किसी भी लिहाज से न तो उचित है , न ही इसका कोई लाभ है ।
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स्त्रियां अधिक सोचती हैं
कैलिफोर्निया के आमेन क्लीनिक ने 45 हजार से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण करके सिद्ध किया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के मस्तिष्क में ज्यादा गतिविधियां चलती हैं । इसी संदर्भ में जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिसीज में प्रकाशित एक स्टडी से पता चलता है महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक सोचती हैं । इसका कारण उनकी दिमागी गतिविधियों की अधिकता से जुड़ा है ।
मन में चलता दुष्चक्र
2013 में जर्नल ऑफ एब्नॉर्मल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अपने दोषों , गलतियों और समस्याओं के बारे में ही सोचते रहने से अवसाद और दुश्चिंता जैसी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं । दूसरी तरफ , मानसिक समस्याओं के चलते ज्यादा सोचने की बीमारी बढ़ती जाती है । इस तरह एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है ।
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अनिर्णय का रोग
ओवरथिंकर्स को लगता है कि वे दरअसल किसी मुद्दे पर मंथन कर रहे हैं , जिससे सही फैसला करने में मदद मिलती है । परंतु येल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि जरूरत से ज्यादा सोचने से निर्णय लेने की क्षमता कुंद पड़ जाती है । यहां तक कि इससे व्यक्ति रोजाना के साधारण कामों से जुड़े छोटे - छोटे फैसले भी नहीं कर पाता ।
नींद से दुश्मनी
पर्सनैलिटी एंड इंडिविजुअल डिफरेंसेस नामक एक जर्नल के अनुसार , ओवरथिंकिंग से हमारी नींद की अवधि के साथ ही उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है । विचारों का क्रम शुरू होता है तो नींद भाग जाती है । अगर देर रात को नींद पड़ती भी है तो वो जल्दी टूटती है , फिर विचार घुमड़ने लगते हैं ।
गौर से सुनें और देखें
अध्ययन बताते हैं कि माइंडफुलनेस से ओवरराथंकिंग , चिंता , नकारात्मकता आदि से निजात पाई जा सकती है । माइंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान में रहना । जब आप हवा की ठंडक महसूस करते हैं , चिड़िया की चहचहाहट पर गौर करते हैं , बच्चे की मुस्कान देखते हैं या किसी भी चीज पर ध्यान देते हैं तो आपके मन से विचारों का बोझ हट जाता है ।
खाने की लत से नाता
येल यूनिवर्सिटी की स्टडी कहती है कि अत्यधिक सोचना गंभीर भावनात्मक कष्ट को बुलावा देने की तरह होता है । अक्सर लोग इस तरह की पीड़ा से दूर भागने के लिए खूब खाने लगते हैं या धूम्रपान मद्यपान जैसी गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं ।
खुद से कहें - रुको !
जर्मन साइकोथैरेपिस्ट रुबेन बर्गर कहते हैं कि जब भी भान हो कि आप ओवरथिंकिंग कर रहे हैं , तत्काल उस पर रोक लगा दें । खुद से कहें- रुको ! बेहतर होगा कि आप ऐसा बोलकर कहें । रुबेन सुझाव देते हैं कि आप अपनी कलाई में एक रबरबैंड भी पहन सकते हैं । जब भी आपको विचारों का प्रवाह रोकना हो तो उस रबर को थोड़ा खींचकर छोड़ दें ।
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