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बौद्धकथा- वृद्ध का अनुभव | vrddh ka Anubhav bodhkatha

बौद्धकथा- वृद्ध का अनुभव बौद्धकथा: जर्मनी के सम्राट ज फ्रेडरिक महान यह जानकर बहुत चिंतित हुए कि उनके देश की आर्थिक स्थिति दिनों - दिन खराब होती जा


बौद्धकथा- वृद्ध का अनुभव, bodhkatha,


वृद्ध का अनुभव Vrddh ka Anubhav 


बौद्धकथा:  जर्मनी के सम्राट फ्रेडरिक महान यह जानकर बहुत चिंतित हुए कि उनके देश की आर्थिक स्थिति दिनों - दिन खराब होती जा रही है । उन्होंने एक दिन राज्य कर्मचारियों को विचार - विमर्श के लिए बुलाया तथा उनसे पूछा कि राज्य के खजाने की आय कम होने का क्या कारण है ? 


दरबार में यह प्रश्न उठते ही सन्नाटा छा गया । अचानक दूर बैठे एक वयोवृद्ध नागरिक ने कहा, 'सम्राट की आज्ञा हो तो मैं इस प्रश्न का उत्तर देने को तैयार हूं ।' 


उस व्यक्ति ने मेज पर प्याले में रखे बर्फ के एक टुकड़े को उठाया तथा उसे अपने पास बैठे हुए एक व्यक्ति को देते हुए कहा, 'इसे अपने पास बैठे हुए व्यक्ति को दे दो । एक के के बाद दूसरे के हाथों आगे बढ़ाते हुए इसे सम्राट के पास पहुंचाना है ।' देखते ही देखते बर्फ का टुकड़ा


अनेक हाथों से होता हुआ सम्राट के हाथों में पहुंचा तो उसका आकार चौथाई हो चुका था । 


सम्राट ने पूछा, 'बर्फ का यह टुकड़ा यहां तक आते - आते इतना छोटा कैसे हो गया ?' वृद्ध ने बताया कि बर्फ के टुकड़े की तरह ही प्रजा से वसूले गए कर की राशि सरकारी कोष में पहुंचते - पहुंचते चौथाई रह जाती है । 


सम्राट की शंका का समाधान हो गया । उन्होंने उसी समय भ्रष्ट कर्मचारियों की छंटनी कर दी । कुछ ही दिनों में राज्य की आय बढ़ने लगी ।