
तद्धित प्रत्यय: तद्धित प्रत्यय वे हैं, जो संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों में जुड़कर नये शब्दों की रचना करते हैं। जैसे- सुन्दर से 'सुन्दरता', मनोहर से 'मनोहरता'।
संस्कृत के प्रमुख तद्धित प्रत्यय Tadhit Suffix of Sanskrit
संस्कृत के प्रमुख 'तद्धित' प्रत्यय नीचे दिये गये है..
प्रत्यय |
मूल शब्द |
तद्धितान्त शब्द |
अ |
गुरु निशा लघु वसुदेव शिव |
गौरव नैश लाघव वासुदेव शैव |
इक |
प्रशासन प्रकृति अध्यात्म लोक प्रदेश भूगोल चमत्कार निसर्ग |
प्राशासनिक प्राकृतिक आध्यात्मिक लौकिक प्रादेशिक भोगोलिक चामत्कारिक नैसर्गिक |
इत |
निद्रा कुसुम पल्लव फल पीड़ा |
निंद्रा कुसुमित पल्लवित फलित पीड़ित |
इन |
दण्ड पूर्व मल रक्त |
दण्डिन पुर्विन मलिन रक्तिन |
इमा |
मधुर हरित नील पूर्ण |
मधुरिमा हरीतिमा नीलिमा पुर्णिमा |
इष्ठ |
धर्म बल |
धर्मिष्ठ बलिष्ठ |
ई |
वसन्त विषय योग काम भोग रोग |
वसंती विषयी योगी कामी भोगी रोगी |
ईन |
नव ग्राम कुल प्राच |
नवीन ग्रामीण कुलीन प्राचीन |
ईय |
देश स्वर्ग भारत पाणिनि |
देशीय स्वर्गीय भारतीय पाणिनीय |
एय |
राधा कोशल गंगा पौरुष
|
राधेय कोशलेय गांगेय पौरुषेय |
क |
पुष्प कृषि भ्रम अश्व |
पुष्पक
कृषक
(ई का लोप ) भ्रामक
अश्वक
(अश्व के समान मूर्ति ) |
तः |
अंश फल मूल विशेष |
अंशत: फलत: मूलत: विशेषत: |
तया |
विशेष अंश |
विशेषतया अंशतया |
ता |
मूर्ख दीर्ध लधु नम्र |
मूर्खता दीर्घता लघुता नम्रता |
त्य |
दक्षिण पूर्व |
दक्षिणात्य पौर्वात्य |
त्व |
मनुष्य स्त्री पुरुष पशु |
मनुष्यत्व स्त्रीत्व पुरुषत्व पशुत्व |
तर |
लधु पटु |
लघुतर पटुतर |
था |
अन्य तत सर्व यत |
अन्यथा तथा(
'तू' का
लोप ) सर्वथा यथा
( 'तू' का
लोप ) |
निष्ठ |
धर्म मर्म कर्म उभय |
धर्मनिष्ठ मर्मनिष्ठ कर्मनिष्ठ उभयनिष्ठ |
मय |
जल दया मंगल तेज: |
जलमय दयामय मंगलमय तेजोमय |
य |
अधिक उचित योग शूर ग्राम भोग |
आधिक्य औचित्य योग्य शौर्य ग्राम्य भोग्य |
वान् |
गुण श्रद्धा बल दया |
गुणवान् श्रद्धावान बलवान् दयावान् |
मान् |
शक्ति श्री बुद्धि हनु |
शक्तिमान् श्रीमान् बुद्धिमान् हनुमान् |
व |
केश अर्णस
मणि अणि |
केशव
( बालोंवाला ) अर्णव(जलवाला) मणिव
( मणिवाला ) अणिव(
तीखी धारवाला ) |
संस्कृत में अनेक ऐसे शब्द हैं, जो सामासिक पदों में प्रत्यय के समान प्रयुक्त होते हैं। यद्यपि इन शब्दों का स्वतन्त्र अर्थ होता है तथापि वे वाक्य में स्वतन्त्र रूप में प्रयुक्त नहीं होते। इस कोटि के प्रमुख शब्द निम्नलिखित हैं:-
कर- |
सुधा प्रभा दिन सुख हित रवि |
सुधाकर प्रभाकर दिनकर सुखकर हितकर रविकर |
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कार- |
चर्म स्वर्ण कहानी एकांकी नाटक ग्रन्थ |
चर्मकार स्वर्णकार कहानीकार एकांकीकार नाटककार ग्रन्थकार |
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द- |
धन जल वारि सुख |
धनद जलद वारिद सुखद |
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दायक- |
फल गुण जल आनन्द |
फलदायक गुणदायक जलदायक आनन्ददायक |
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धर- |
जल गिरि हल मुरली |
जलधर गिरिधर हलधर मुरलीधर |
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शील- |
कर्म धर्म विचार दान |
कर्मशील धर्मशील विचारशील दानशील |
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हीन- |
कर्म शक्ति बुद्धि धर्म |
कर्महीन शक्तिहीन बुद्धिहीन धर्महीन |
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स्थ- |
धर्म उदर तट उभय |
धर्मस्थ उदरस्थ तटस्थ उभयस्थ |
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ज्ञ- |
शास्त्र मर्म विशेष सर्व नीति वेद |
शास्त्रज्ञ मर्मज्ञ विशेषज्ञ सर्वज्ञ नीतिज्ञ वेदज |
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