Short Story Anmol Dharohar in Hindi:-पिता का घर बेटों को अपनी जिम्मेदारियां निभाने में मददगार धन मुहैया करा सकने का ज़रिया दिख रहा था। पर पिता घर से, अपनी किताबों के ख़ज़ाने से अलग नहीं होना चाहते थे।
लघुकथा -अनमोल धरोहर
अनमोल धरोहर एक लघुकथा
पापा, आप, धीरज ने खीझते हुए कहा। आप यहां लाइब्रेरी में बैठे हैं, हमने आपको पूरे घर में ढूंढ 'वो एजेंट ख़रीदार को लेकर कभी भी पहुंच सकता है। आप बाहर आकर बैठिए, 'मंझला बेटा नीरज बोला।
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'पापा, अब तो डील हो चुकी है, इस घर की हर चीज् हमें यहीं छोड़नी होगी, यही ख़रीदार की शर्त है, 'छोटा बेटा जलज बोल पड़ा। तभी बाहर कार की आवाज आई, तीनों भागे। देखा तो उनकी बड़ी बहन मुक्ता कार से बाहर निकली। मुक्ता जैसे ही घर में आई, तीनों भाई बरस पड़े।' क्या चाहिए तुम्हें, अब यहां क्यों आई हो।
'मुक्ता को मौन खड़े देखकर छोटे ने उबलते हुए कहा- 'ज़रूर दीदी को सौदे की ख़बर मिल गई होगी।'
'पर दीदी ने तो साइन कर दिए हैं कि उन्हें संपत्ति में से कुछ नहीं चाहिए, उन्हें जरूरत भी नहीं है, सम्पन्न परिवार में हैं, 'नीरज ने मक्खन लगाते हुए कहा।
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'दीदी, हमारे बच्चे अभी छोटे हैं, बेटियों की शादियां होना बाकी हैं, आपके तो बच्चों की शादियां भी हो चुकी हैं। फिर भी आप अपना हिस्सा चाहती हैं? कमाल है '-धीरज ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
श्रीकांत जी ने गरजते हुए कहा- 'चुप भी करो, मत भूलो अभी भी यह घर मेरा है और मेरे घर में मेरी बेटी का अपमान करने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी?"
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मुक्ता कुछ बोलती इसके पहले एजेंट आ गया, तीनों भाइयों ने कह, 'अरे आप अकेले आए?' -
'अरे भाई मैडम तो पहले ही आ गई हैं, इनकी तरफ से तो मैं सौदा कर रहा था, 'एजेंट ने हंसते हुए कहा। तीनों भाइयों के मुंह खुले के खुले रह गए।
मुक्ता ने कहा- 'मैं ही पिता की इस विरासत को ले रही हूं। पापा यहीं रहेंगे, अपने घर में। पापा, घर के एक हिस्से में हम मां के नाम से वाचनालय बनाएंगे जिसमें आपकी पुस्तकें रखी जाएंगी। आपकी अनमोल धरोहर, आपका ख़जाना, अब सभी के उपयोग में आएगा। 'श्रीकांत जी मुग्ध होकर मुक्ता को देख रहे थे और तीनों भाई लज्जित-से खड़े थे।
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