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भारतीय संविधान का प्रस्तावना, निर्माण,गठन, सदस्य ,समितियां

भारत का संविधान Constitution of India

भारतीय संविधान सभा:संविधान वह दस्तावेज होता है,जिसके आधार पर किसी भी देश की शासन व्यवस्था संचालित की जाता है। भारतीय संविधान का निर्माण कररने वाली संविधान सभा का गठन ,जुलाई 1946 में केबिनेट मिशन की सन्तुतियों के आधार पर किया गया। 

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भारतीय संविधान का प्रस्तावना (Preamble to the Indian Constitution in Hindi) 

"हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी पन्थ-निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ( मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छः विक्रमी ) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

भारतीय संविधान का निर्माण (Making of The Constitution in Hindi)

संविधान जीवन का वह मार्ग है जिसे राज्य ने अपने लिए अपनाया है। भारत में संविधान सभा की मांग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतन्त्रता की ही मांग थी। संविधान सभा के सिद्धान्त के सर्वप्रथम दर्शन 1895 के 'स्वराज विधेयक' में होते हैं जिसे तिलक के निर्देशन में तैयार किया गया था।

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कैबिनेट मिशन योजना में निश्चित किया गया कि भारतीय संविधान के निर्माण हेतु परोक्ष निर्वाचन के आधार पर एक संविधान सभा की स्थापना की जाए जिसमें कुल 389 सदस्य हों जिनमें 292 ब्रिटिश प्रान्तों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि और 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि हों।

संविधान सभा का गठन (Constitution of Constituent Assembly in Hindi)

कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार जुलाई 1946 में संविधान सभा के कुल 389 सदस्यों में से प्रान्तों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिए ही ये चुनाव हुए जिसमें से कांग्रेस के 208, मुस्लिम लीग के 73 तथा 15 अन्य दलों के व स्वतन्त्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए। 

बाद में मुस्लिम लीग ने अपनी निर्बल स्थिति देखकर संविधान सभा के बहिष्कार का निश्चय किया तथा पाकिस्तान के लिए बिल्कुल पृथक् संविधान सभा की मांग प्रारम्भ कर दी। 

वस्तुतः संविधान सभा का गठन तीन चरणों में पूरा हुआ। सर्वप्रथम 'कैबिनेट मिशन योजना' अनुसार संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन हुआ एवं कुल 389 सदस्यों की संख्या निश्चित की गयी। द्वितीय चरण की शुरुआत 3 जून, 1947 की विभाजन योजना से होती है जिसके अनुसार संविधान सभा का पुनर्गठन किया गया, जिसमें 324 प्रतिनिधि होने थे।

तृतीय चरण देशी रियासतों से संबंधित था और उनके प्रतिनिधि संविधान सभा में अलग-अलग समय में सम्मिलित हुए। हैदराबाद ही एक ऐसी रियासत थी जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित हुए।

संविधान सभा का कार्यकरण (Functioning of the Constituent Assembly in Hindi)

संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसम्बर, 1946 को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में प्रारम्भ हुआ। डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को सर्वसम्मति से अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। संविधान सभा की इस बैठक में 210 सदस्य उपस्थित थे। 11 दिसम्बर, 1946 की बैठक में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया। 
बी. एन. राव को संविधान सभा के 'संवैधानिक सलाहकार' के पद पर नियुक्त किया गया। 13 दिसम्बर, 1946 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध "उद्देश्य प्रस्ताव' प्रस्तुत कर संविधान की आधारशिला रखी। यह उद्देश्य प्रस्ताव 23 जनवरी, 1947 को पारित किया गया। 

संविधान सभा के प्रमुख सदस्य (Key Members of the Constituent Assembly in Hindi)

कांग्रेस के नेता पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना आजाद, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पं. गोविन्द बल्लभ पन्त, बाल गोविन्द खेर, बाबू पुरुषोत्तम दास टण्डन, के. एम. मुन्शी, आचार्य जे. बी कृपलानी और टी. टी. कृष्णामाचारी इसके सदस्य थे।

कांग्रेस के अतिरिक्त अन्य दलों से सम्बद्ध व्यक्तियों में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, पं. हृदयनाथ कुंजरू, एन. गोपालास्वामी आयंगर, डॉ. जयकर, बख्शी टेकचन्द, सर अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, प्रो. के. टी. शाह और डॉ. भीमराव अम्बेडकर प्रमुख थे। महिला सदस्यों में श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्रीमती हंसा मेहता और श्रीमती दुर्गाबाई देशमुख प्रमुख थीं। संविधान सभा की सदस्यता अस्वीकार करने वाले व्यक्तियों में तेजबहादुर सप्रू ( स्वास्थ्य के आधार पर ) एवं जयप्रकाश नारायण थे। उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी ने संविधान सभा से बाहर रहना ही उचित समझा था।

संविधान सभा की प्रमुख समितियां (Major Committees of the Constituent Assembly in HINDI)

संविधान के निर्माण का कार्य करने के लिए अनेक समितियां बनायी गयीं जिनमें प्रमुख थीं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में संचालन समिति, पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में संघ संविधान समिति, सरदार बल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में प्रान्तीय संविधान समिति, जे. बी. कृपलानी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ध्वज समिति तथा डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की प्रारूप समिति।

संविधान समिति

समितियाँ

अध्यक्ष

प्रारूप

डॉ . बी आर अम्बेडकर

कार्य संचालन

के एम मुंशी

संघ संविधान, संघ शक्ति

जवाहरलाल नेहरू

मूल अधिकार, अल्पसंख्यक,प्रान्तीय संविधान

सरदार वल्लभभाई पटेल

प्रक्रिया, वार्ता,तदर्थ झण्डा समिति

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

अल्पसंख्यक उपसमिति

एच सी मुखर्जी

सदन समिति

पी पट्टाभि सीतारमैया

वित्त एवं स्टाफ

एएन सिन्हा

प्रारूप समिति (Constituent Assembly Drafting Committee in Hindi)

संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा द्वारा प्रारूप समिति ( Drafting Committee ) का गठन किया गया। इस समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की नियुक्ति की गई। सर्वश्री एन. गोपालास्वामी आयंगर, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, के. एम. मुंशी, टी. टी. कृष्णामाचारी,मोहम्मद सादुल्लाह, डी. पी. खेतान और एन. माधवराव प्रारूप समिति के अन्य सदस्य थे। 

प्रारूप समिति का काम था कि वह संविधान सभा की परामर्श शाखा द्वारा तैयार किए गए संविधान का परीक्षण करे और संविधान के प्रारूप को विचारार्थ संविधान सभा के सम्मुख प्रस्तुत करे। प्रारूप समिति ने भारत के संविधान का जो प्रारूप तैयार किया- वह फरवरी, 1948 में संविधान सभा के अध्यक्ष को सौंपा गया। 

संविधान की स्वीकृति (Acceptance of the Constitution  in Hindi)

प्रारूप समिति द्वारा जो 'प्रारूप संविधान' तैयार किया गया वह फरवरी, 1948 के दिन संविधान सभा के अध्यक्ष को सुपुर्द किया गया। 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अन्तिम  रूप प्रदान किया और इसी दिन इस पर अध्यक्ष के हस्ताक्षर हुए। संविधान के कुल 15 अनुच्छेद 26 नवम्बर, 1949 को ही लागू कर दिए गए परन्तु शेष संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। 

26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू करने का वास्तविक कारण यह था कि 1930 से ही सम्पूर्ण भारत में 26 जनवरी का दिन 'स्वाधीनता दिवस' के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा की अन्तिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई और इसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया। सम्पूर्ण संविधान निर्माण में 2 वर्ष, 11 मास और 18 दिन लगे। इस कार्य पर 63 लाख 96 हजार 729 रुपए खर्च हुए। अन्तिम रूप से स्वीकृत संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं।

संविधान निर्मात्री सभा ( The Constituent Assembly in Hindi)

  • संविधान निर्माण के लिए गठित प्रतिनिधि सभा को 'संविधान निर्मात्री सभा' कहा जाता है।
  • भारत में संविधान निर्मात्री सभा का गठन केबिनेट मिशन योजना के आधार पर हुआ। 
  • मिशन का मत था कि संविधान सभा का गठन वयस्क मताधिकार पर हो चूंकि इससे विलम्ब होता अतः व्यावहारिक उपाय यह था कि प्रान्तीय विधान सभाओं का निर्वाचनकारी संस्थाओं के रूप में उपयोग किया गया। मिशन की सिफारिश थी कि संविधान सभा में प्रान्तों का प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर हो मतदान एकल संक्रमणीय मत द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर हो?
  • मिशन योजना के अनुसार जुलाई 1946 में संविधान सभा के चुनाव हुए। कुल 389 सदस्यों में से प्रान्तों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिए ही चुनाव हुए। कांग्रेस को 208 और मुस्लिम लीग को 73 सीटें प्राप्त हुई। 
  • निर्वाचित सदस्यों में भारतीय जनजीवन के प्रत्येक क्षेत्र की उत्कृष्टतम विभूतियां सम्मिलित थीं।
  • 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा का विधिवत् उद्घाटन हुआ। सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा सभा के अस्थायी सभापति बने।
  • 3 जून, 1947 की योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने के बाद भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 रह गई थी जिसमें 235 स्थान प्रान्तों के लिए और 89 देशी राज्यों के लिए थे। 
  • 11 दिसम्बर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 
  • 13 दिसम्बर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव 'प्रस्तुत किया। 13 से 19 दिसम्बर ( कुल आठ दिन तक ) तक उद्देश्य प्रस्ताव पर विचार किया गया। 
  • उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियां नियुक्त कीं।
  • 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने प्रारूप समिति को नियुक्ति की। डॉ. भीमराव अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष चुने गए। 30 अगस्त, 1947 को प्रारूप समिति की पहली बैठा हुईं. 
  • संविधान का पहला प्रारूप संवैधानिक परामर्शदाता बी. एन. राव की देखरेख में संविधान सभा के सचिवालय की परामर्श शाखा ने अक्टूबर 1947 में तैयार किया।
  • प्रारूप समिति ने भारत का जो प्रारूप संविधान तैयार किया वह फरवरी 1948 में संविधान सभा के अध्यक्ष की सेवा में प्रस्तुत किया।
  • संविधान का तीसरा वाचन 26 नवम्बर, 1949 तक चला। 
  • संविधान सभा के अन्तिम दिन 24 जनवरी, 1950 को संविधान की तीन प्रतियां सभा पटल पर रखीं गईं। सदस्यों ने संविधान की प्रतियों पर हस्ताक्षर किए और 'सभा' का संविधान सभा के रूप में समापन हो गया। 26 जनवरी, 1950 को उसका भारतीय गणराज्य की ( अन्तरिम ) संसद के रूप में आविर्भाव हुआ। 
  • संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 मास और 18 दिन लगे इस कार्य पर लगभग 64 लाख रुपए खर्च हुए। अपने अन्तिम रूप में संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। संविधान कुछ अनुच्छेद 26 नवम्बर, 1949 के दिन से ही लागू कर दिए गए शेष संविधान ऐतिहासिक महत्व के कारण 26 जनवरी, 1950 ई. से लागू किया गया। 
  • संविधान सभा की निम्नांकित आधार पर आलोचना की जाती है

  1. यह प्रभुत्व सम्पन्न संस्था नहीं थी 
  1. यह एक प्रतिनिधिक संस्था नहीं थी 
  1. इसके संगठन का साम्प्रदायिक आधार था 
  1. इसमें वकीलों का प्रभुत्व था 
  1. इसके द्वारा निर्मित संविधान को लोकप्रिय अनुज्ञप्ति प्राप्त नहीं थी ।

देश का पहला अन्तरिम मन्त्रिमण्डल (Country's first Interim Cabinet)

देश का पहला अन्तरिम मन्त्रिमण्डल

जवाहरलाल नेहरू

कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष,

विदेशी मामले तथा राष्ट्रमण्डल

वल्लभभाई पटेल

गृह, सूचना एवं प्रसारण

बलदेव सिंह

रक्षा

सी राजगोपालाचारी

शिक्षा

राजेन्द्र प्रसाद

खाद्य एवं कृषि

जगजीवनराम

श्रम

आई आई चुन्दरीगर

वाणिज्य

जॉन मथाई

उद्योग तथा आपूर्ति

सी एच भाभा

खान एवं बन्दरगाह

आसफ अली

रेलवे 

लियाकत अली खाँ

वित्त

अब्दुल रब निश्तार

संचार

गजफ्फर अली खाँ

स्वास्थ्य

जोगेन्द्र नाथ मण्डल

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