Type Here to Get Search Results !

BK Shivani Motivational Thoughts in Hindi | ब्रह्माकुमारी शिवानी के अनमोल विचार

ब्रह्माकुमारी शिवानी के अनमोल विचार,

खबर डेली अपडेट के इस अंश में आज हम पढ़ेंगे बीके शिवानी, आध्यात्मिक वक्ता और लेखिका, ब्रह्माकुमारी शिवानी के विचार, bk shivani thoughts, bk shivani positive thoughts in hindi,  Bk Shivani ke anmol vachan, Brahma kumari Bk Shivani Thoughts in hindi, Sister Shivanib k shivani motivational speech in hindi, bk shivani motivational thoughts, ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी के विचार,brahma kumaris suvichar.


बीके शिवानी- अपनी शक्ति को बचाना बहुत जरूरी है


BK Shivani Thoughts in Hindi:  अगर लाइफ में अचानक से कोई मुश्किल परिस्थिति आ जाए, तब हमारे पास उसका सामना करने की शक्ति नहीं होती है। क्योंकि हमने अपनी शक्ति को पहले ही फोन क्यों बजा, गाड़ी ने ओवरटेक क्यों किया, उसने हॉर्न क्यों बजाया, सरकार ने ऐसा क्यों किया, उस क्रिकेटर ने वैसा क्यों किया, पड़ोसी ने ऐसा क्यों किया, ये सब सोचने और बोलने में वेस्ट कर दिया होता है। पहले अपनी शक्ति को सेव करें। जब आत्मा की शक्ति सेव होगी, तभी हमारे जीवन में कुछ और सेव होगा। अगर आत्मा की शक्ति को नहीं बचाया तो हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे।


हम में से बहुत लोग बिजली और पानी की बचत के प्रति केयरफुल होते हैं। यदि कहीं थोड़ा-थोड़ा भी पानी वेस्ट हो रहा होता है तो हम नल बंद कर देते हैं। कोई एक एक्स्ट्रा लाइट ऑन होती है तो हम तुरंत ही उसको बंद करते हैं। उसी तरह हमें माइंड की पावर को भी बचाना है। वर्तमान समय में मन की एनर्जी को सेव करना बहुत ही जरूरी है। उसको सेव करने के लिए हमारी थॉट इधर-उधर ऐसी-वैसी नहीं चलनी चाहिए। अचानक से किसी का फोन बजता है तो हमारा रिस्पांस क्या होता है वो हम पहले से ही डिसाइड कर लेते हैं। अगर हम अपने जीवन को देखें तो बहुत सारी चीजें हमें पता है कि ये होती हैं। लेकिन फिर भी हम रिएक्ट करते हैं।


Read More:- बीके शिवानी: अपने जीवन को प्रतिस्पर्धा न बनाएं | bk shivani motivational speech


आज के दिन को आप सुबह 6:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक चेक करो। क्या कोई बात ऐसी हुई पिछले 12 घंटे में या 24 घंटे में जिसमें मैंने रिएक्ट किया है? मतलब थोड़ा-सा इरिटेटेड, आक्रामक, बेसन, असुरक्षित-सा रिएक्शन। रिएक्शन मतलब एक एनर्जी जो कम्फर्टेबल नहीं थी। आज अगर 12 घंटे में नहीं थी तो कल के दिन को भी देख लें। 


अगर ऐसा सीन दिख जाता है तो आप देखो कि वही परिस्थिति कल फिर से आती है, कुछ भी चेंज नहीं होगा। तो अपने आपको देखें कि समान परिस्थिति में हम अगले दिन अलग तरह से रिस्पांस कैसे कर सकते हैं। अब आप अपने आपको एक अलग तरह से रिस्पांड करते हुए देखिए। एक ऐसा रिस्पांस जो हमारे मन को स्वस्थ रखेगा। हमारी एनर्जी बचाएगा। जो हमारे चारों तरफ एक अच्छी एनर्जी पैदा करेगा। हम में से बहुतों को लगता है कि वही रिएक्शन सही था, कोई और रिस्पांस उस सीन में होना ही नहीं चाहिए था। लेकिन उस टाइम में जब हमने रिएक्ट किया था चाहे वो आज सुबह था या कल था तो किस-किस को लगा था कि मेरा रिएक्शन जायज है ?


आपने नोटिस किया फोन अभी भी किसी न किसी के बज रहे हैं। फोन हमेशा किसी के बजते ही रहते हैं। हमारे पास चॉइस है कि हर बार जब बजे तो या तो हम पांच निगेटिव थॉट क्रिएट करें या स्वीकार कर लें कि इतने सब बैठे हैं तो किसी न किसी का फोन बज ही जाएगा। स्वीकार करें और कोई एक अच्छी-सी थॉट भेज दें। क्योंकि वो तो ऐसे ही डरजाते हैं, जब उनका फोन बज जाता है। किसी को भी टेंशन हो जाती है कि मेरा फोन इतनी देर बज गया हॉल के अंदर। आपको पता है उनको इतनी सारी टेंशन से एकदम से बहुत सारी निगेटिव एनर्जी उन तक पहुंच जाती है। 


क्योंकि पांच सौ लोग थॉट क्रिएट कर लेते हैं कि हॉल के अंदर बैठे हैं तो फोन बंद करना चाहिए था। जब से ये फोन आया है ना, तब से बैठे-बैठे बिना कारण के निगेटिव थॉट्स क्रिएट करते रहते हैं। फिर कोई और बात आएगी, दूसरा कोई निगेटिव थॉट, ऐसे करते-करते मेरे माइंड की एनर्जी बूंद-बूंद करके वेस्ट हो रही है। जब हमने इतनी व्यर्थ की बातों में एनर्जी वेस्ट कर दी तो फिर हम घर गए, बच्चे ने कुछ कह दिया तो उस समय हमें शांत रहना चाहिए था, लेकिन तुरंत रिएक्शन आ जाता है।


तो पहले रिएक्ट करने के टाइम एनर्जी वेस्ट होती है। फिर सामने से व्यक्ति जो है वो उस तरह से रिएक्ट करता है तो हर्ट हो जाता है तो और एनर्जी वेस्ट होती है। अचानक से पता ही नहीं चलता और एक दिन हम कहते हैं हमें बहुत एंग्जायटी फील हो रही है। पूछो आपकी लाइफ में कोई प्रॉब्लम चल रही है तो कहेगा नहीं। क्या हुआ तो कहेगा पता नहीं। डर लग रहा है तो किस बात का डर लग रहा है? कहेगा पता नहीं आगे क्या होगा, घर का क्या होगा। चिंता हो रही है फ्यूचर में क्या होगा। 


ये चिंता, ये डर, ये एंग्जायटी कभी-कभी पैनिक, कभी- कभी डिप्रेसिव फील कराता है। यह संकेत है कि मेरी आत्मा की बैटरी थोड़ी-सी कम हो गई। हमारी बैटरी कम इसलिए हो गई, क्योंकि हमने इधर-उधर की बातों में सोच-सोचकर अपनी एनर्जी को वेस्ट कर दिया। जैसे हमारा फोन है, इस पर इतने सारे एप्स खुले होते हैं तो हमारी बैटरी बिना बात के वेस्ट हो रही होती है। उनको हमने शटडाउन नहीं किया है। फिर मुझे कोई अर्जेंट फोन कॉल करना पड़े तो बैटरी नहीं होती है फोन के अंदर।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.