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मक्खन और मलाई- Short Story In Hindi | मक्खन और मलाई छोटी कहानी

Short stories लघुकथा: बच्चों ने दद्दू के कमरे को खेल का मैदान बना रखा था। सफ़ाई पसंद दद्दू को यह क़तई रास नहीं आ रहा था।

मक्खन और मलाई छोटी कहानी 

मक्खन और मलाई- Short Story In Hindi | मक्खन और मलाई छोटी कहानी

दद्दू भड़के हुए थे, घर में शोर जो मचा पड़ा था।  ऊधम की वजह थे उनके दो नाती और एक पोता। तीनों की उम्र थी बस पांच से सात के बीच! पहली बार इकट्ठा हुए थे गांव के बाड़े पर छुट्टियों में !

दद्दू जरा टेढ़े क़िस्म के इंसान थे और हर वक़्त मैं, मेरा कमरा, मेरा बिस्तर, मेरी अलमारी बस इसी में उलझे-से रहते। कोई आए उनके कमरे में यह उनके लिए था नाक़ाबिले बर्दाश्त !

घर में एकदम शांति होनी चाहिए और सारे सिस्टम चुस्त-दुरुस्त !

आज इन तीनों बच्चों ने उनके सारे नियमों की धज्जियां उड़ा रखी थीं। पलंग पर गुलाटियां खाई जा रही थीं। पिलो फाइट हो रही थी, चादर जमीन पर फेंक दी गई थी। छड़ी का घोड़ा बन चुका था, पुरानी टोपी नाव बन के बाल्टी में डूब रही थी, छाते की झोपड़ी बन गई थी। अलमारी एक पहाड़ बन गई और बच्चे उसके ख़ानों में पैर रखकर ज्यों ही चढ़े ऊपर, ऊपर रखी पुरानी शेर के मुंह वाली सुराही नीचे... धड़ाम । 

दद्दू ने आपा खो दिया और लगे चिल्लाने! बच्चे सहम के दुबक गए। सत्तू कूटती बुआ सब देख रही थीं। घर की बड़ी थीं सो दद्दू से बोलीं, 'आज जो ये सब घर में हो रहा है न, इसे देखने के लिए आदमी नंगे पैर सैकड़ों मील चलकर मंदिरों के पत्थरों को अपने सर पटक-पटक कर घिस देता है। नाती-पोतों का ये शोर और हुड़दंग बड़ी मन्नतों से नसीब होता है दामोदर, होश में आ !'

थोड़ी देर बाद सच में दद्दू घोड़ा बने थे और उनकी पीठ पर लदी थीं तीन मक्खन की टोकरियां! दद्दू आवाज दे रहे थे- मक्खन ले लो, मलाई ले लो !

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