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Sankashti Chaturthi: व्रत, पूजा विधि और महत्व

संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माता गणेश की विशेष पूजा और व्रत का दिन है। यह प्रतिमासी के चौथे दिन मनाया जाता है.

Sankashti Chaturthi, व्रत, पूजा विधि और महत्व


Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान गणेश की विशेष पूजा और व्रत का दिन है। यह प्रतिमासी के चौथे दिन मनाया जाता है और हर माह के कृष्ण पक्ष में आता है। यह त्योहार गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन मनाया जाता है और उसे "संकष्टी चतुर्थी" भी कहा जाता है। यह त्योहार भक्तों के बीच बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है और गणेश भगवान की आराधना और वंदना का एक महान अवसर प्रदान करता है। इस लेख में हम Sankashti Chaturthi के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।


संकष्टी चतुर्थी का महत्व


शंकटी चतुर्थी का महत्व गणेश भगवान के विशेष अवसर के रूप में माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को आर्थिक समृद्धि, सुख, शांति, और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस विशेष दिन पर गणेश भगवान की कृपा से सभी अवसरों में बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान गणेश के सामरिक और ऐश्वर्य प्रदान करने वाले स्वरूप की आराधना का अवसर है।


पूजा का आयोजन


यहां दिए गए हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि के चरण:


1. शुभ मुहूर्त चुनें


संकष्टी चतुर्थी का पालन करते हुए, एक शुभ मुहूर्त चुनना महत्वपूर्ण होता है। अधिकांश लोग इस व्रत को चार महीनों में एक बार मनाते हैं और तिथि का चयन उनके परिवार और संबंधित धार्मिक पंथ के अनुसार करते हैं। शुभ मुहूर्त के अलावा, व्रत करने से पहले निश्चित तारीख और समय की जांच करना भी महत्वपूर्ण है।


2. पूजा सामग्री एकत्र करें


पूजा के लिए सामग्री को पहले से ही तैयार रखना चाहिए। संकष्टी चतुर्थी की पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:


  • गणेश मूर्ति या प्रतिमा
  • दीपक और घी
  • वस्त्र (चौली, पीला वस्त्र प्राथमिकता होती है)
  • अगरबत्ती और धूप
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, मधु और शहद का मिश्रण)
  • पुष्प (फूल)
  • नैवेद्य (मिठाई या फल) मोदक
  • पूजन सामग्री (कलश, कलशी, कटोरी, स्थानीय फल और पत्ते, लौंग, इलायची, सुपारी, धातू की थाली)

3. पूजा का आयोज


शंकटी चतुर्थी के दिन पूजा का आयोजन इस प्रकार करें:


घर की सफाई और सजावट


पूजा करने से पहले घर को साफ करें और उसे सजाएं। मंदिर या पूजा कक्ष को विशेष रूप से सजाएं और सभी सामग्री को एकत्र करें।


विधान पूजा


शंकटी चतुर्थी की पूजा के विधान के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:

पूजा का आरंभ: शुभ मुहूर्त में पूजा का आरंभ किया जाता है। गणेश भगवान की मूर्ति को सजाया जाता है और धूप, दीप, अगरबत्ती जलाए जाते हैं।


गणेश मंत्र का उच्चारण: गणेश मंत्रों का उच्चारण करते हुए भगवान की पूजा की जाती है। भक्त भगवान के नाम का जाप करते हैं और मंगलाचरण गाते हैं।


पूजा अर्चना: पूजा अर्चना के दौरान विभिन्न प्रकार के फल, पुष्प, मिठाई, धूप, अगरबत्ती भगवान की प्रसन्नता के लिए चढ़ाए जाते हैं।


आरती: पूजा के अंत में भगवान की आरती की जाती है। आरती गाने के बाद व्रत कथा की सुनाई जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है।4. व्रत कथा सुनें


शंकटी चतुर्थी के दिन गणेश व्रत कथा की सुनें। इस कथा में गणेश भगवान के उपासना का महत्वपूर्ण वर्णन होता है। व्रत कथा सुनने से पूर्व ध्यानपूर्वक स्नान करें और विधान पूजा के बाद व्रत कथा का पाठ करें।


5. व्रत का अन्त


पूजा के बाद भक्तों को व्रत का अन्त करना चाहिए। गणेश भगवान को प्रसाद के रूप में मिठाई या फल चढ़ाएं और उसे पूरी दृढ़ता और श्रद्धा के साथ खाएं। अगले दिन सुबह जल्दी उठें और फल, दूध या दही का नियमित सेवन करें।


संकष्टी चतुर्थी के उत्सव की विशेषताएं


संकष्टी चतुर्थी  का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव भक्तों के बीच एक आनंदमय और आत्मीय वातावरण बनाता है। लोग मंदिरों में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके चरणों में अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की कामना करते हैं। भक्तों की भीड़ उत्साह और उमंग से भरी होती है और सभी एकजुट होकर पूजा के पश्चात ब्रह्माण्डिक शंकटी माता के प्रसाद का लुट्फ़ उठाते हैं।


संकष्टी चतुर्थी के उपयोगी उपाय


संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त गणेश भगवान के प्रति अपनी विशेष आस्था और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। इस दिन कुछ उपयोगी उपायों का पालन करके भक्त गणेश भगवान की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं:


  • भगवान गणेश के उपासना मंत्रों का जाप करें। "ॐ गं गणपतये नमः" या "ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा" जैसे मंत्रों का जाप करने से आप गणेश भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
  • अपने मन में गणेश भगवान की ध्यान लगाएं और उनकी कृपा का अनुभव करें।
  • भक्त शंकटी चतुर्थी की व्रत कथा सुनें और उनके लिए आरती गाएं।
  • भगवान गणेश के मंदिर में जाकर पूजा करें और प्रसाद ले जाएं।
  • दिनभर गणेश भगवान के नाम का जाप करते रहें और उनकी कृपा की कामना करते हुए उनके श्री चरणों में ध्यान लगाये 

संकष्टी चतुर्थी महत्व


संकष्टी चतुर्थी व्रत करने का महत्वपूर्ण कारण है कि इस दिन भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस व्रत के माध्यम से, भक्त अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति के लिए गणेश भगवान की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, यह व्रत भक्ति और समर्पण का एक विशेष अवसर है जिससे हम अपने आप को आराधना और सेवा में समर्पित कर सकते हैं।


अंत में, संकष्टी चतुर्थी एक पवित्र त्योहार है जो हिन्दू संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह त्योहार गणेश भगवान की पूजा, आराधना और व्रत के माध्यम से मनाया जाता है। इससे हमें आनंद, समृद्धि, समस्याओं से मुक्ति, और शुभकामनाएं प्राप्त होती हैं।


FAQs:


संकष्टी चतुर्थी क्या है?

संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में माता गणेश की पूजा और व्रत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।

क्या व्रत करने से कोई लाभ होता है?

हां, संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है।

क्या सभी लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर सकते हैं?

हां, संकष्टी चतुर्थी व्रत को कोई भी व्यक्ति कर सकता है, अनुसरण करते हुए विधान पूजा और नियमों का।

क्या व्रत के दौरान कुछ खाने-पीने की सीमा होती है?

व्रत के दौरान कुछ विशेष आहार सामग्री का सेवन किया जाता है, जैसे कि फल और दूध। इसके अलावा, किसी खास सीमा का पालन करने की आवश्यकता नहीं होती है।

क्या मैं इस व्रत को बिना पूजा के कर सकता हूँ?

हां, आप व्रत को बिना पूजा के भी कर सकते हैं। आप भगवान गणेश के नाम का जाप करते हुए और उनकी आराधना करते हुए व्रत कर सकते हैं। यह आपके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है।