10 mantras of happiness of a happy country
Finland पिछले 4 वर्षों से वर्ल्ड हैप्पीनेस रैंकिंग में शीर्ष पर है- फिनलैंड समेत यूरोप के नॉर्डिक क्षेत्र के देश खुशी के पहले पैमाने - आत्म संतुष्टि पर खरे उतरते हैं । वजह- इन सभी देशों की संस्कृति कुछ अलिखित नियमों पर चलती है । इन्हें पहली बार नॉर्वे के लेखक अक्सेल सैंडेमोस ने अपनी किताब में 1933 में ' यांते की संहिता ' के नाम से 10 नियमों में ढाला ।
अब यह संहिता पूरे नॉर्डिक क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाई जाती है । समझिए.. खुशी का फार्मूला: सबसे खुशहाल देश फिनलैंड से सीखिए खुशी के 10 मंत्र,फिनलैंड में कैसे लागू होती है ये संहिता , कैसे आप इसे अपना सकते हैं-
खुशी का फार्मूला: सबसे खुशहाल देश फिनलैंड से सीखिए खुशी के 10 मंत्र
1-तुम्हें यह नहीं सोचना है कि कोई खास या आम है,समाज में सब समान हैं
यानी खास और आम की अवधारणा को ही खत्म किया जाए । फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकि में भी मकानों की कीमत इलाके के हिसाब से नहीं आकार के हिसाब से तय होती है । कोई भी मोहल्ला अमीरों का नहीं है । यहां आपको हर मोहल्ले में अमीर और गरीब एक साथ ही रहते मिल जाएंगे । हर व्यक्ति अपनी जरूरत के मुताबिक कहीं भी मकान खरीद सकता है ।
2-तुम्हें नहीं सोचना है कि तुम्हारी संपत्ति किसी से ज्यादा है ,दिखावा नहीं करना
यानी अपनी संपत्ति का प्रदर्शन न किया जाए । फिनलैंड के किसी भी शहर में महंगी गाड़ियां नहीं दिखेंगी । देश के सबसे अमीर व्यक्ति एंट्टी हर्लिन भी साधारण गाड़ी से ही चलते हैं । यहां निजी संपत्ति का दिखावा करने को पूरा समाज एक बुराई के रूप में देखता है । यहां आम लोगों में इसकी चर्चा भी नहीं होती कि फिनलैंड में सबसे अमीर व्यक्ति कौन है ।
3-तुम्हें यह नहीं सोचना है कि तुम्हारा ज्ञान दूसरों से ज्यादा है,सीखते रहना है
यानी ज्ञान का दिखावा नहीं करना है । फिनलैंड में टीचर बनने के लिए सबसे कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है । यहां मान्यता है कि टीचर का पेशा सबसे अहम है । सबसे योग्य व्यक्ति ही टीचर की नौकरी पा सकता है । योग्यता के साथ ही विनम्रता टीचर्स के लिए अनिवार्य है । यहां टीचर्स बच्चों के दोस्त बनकर रहते हैं । यही शिक्षण व्यवस्था की खासियत है ।
4-तुम्हें नहीं मानना है कि तुम सबसे बेहतर हो,सबको समझने का प्रयास करना है
यानी पद या प्रतिष्ठा से बेहतरी न जुड़ी हो । फिनलैंड की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कोच मार्क कनेर्वा यहां रोल मॉडल हैं । वे खुद ख्यात फुटबॉलर रहे इसके बावजूद एलिमेंट्री स्कूल में टीचर भी बने । बतौर कोच उनकी खासियत यह मानी जाती है कि वे टीम के सेवक सा व्यवहार करते हैं । वे बिना दबाव के सीखने की प्रक्रिया के पक्षधर हैं ।
5-तुम्हें यह नहीं सोचना है कि शिक्षा पर तुम्हारा विशेषाधिकार,ये सबका हक
यानी शिक्षा पर सबका समान अधिकार हो । फिनलैंड में शिक्षा बिल्कुल मुफ्त है । सिर्फ स्कूली शिक्षा ही नहीं , विश्वविद्यालयों तक में शिक्षा पूरी तरह निशुल्क है ... बाहर से आकर पढ़ने वालों के लिए भी । स्थानीय छात्रों को सरकार पढ़ाई के दौरान भत्ता भी देती है । यहां किसी को अपनी उच्च शिक्षा का दंभ नहीं होता ।
6-तुम्हें यह नहीं सोचना है कि तुम ज्यादा अहम हो,सबसे समान व्यवहार
यानी हर नागरिक से समान व्यवहार हो । फिनलैंड में हाल ही में तीन कैबिनेट मंत्रियों ने सरकारी अस्पताल में बच्चों को जन्म दिया । उन्हें वही सुविधाएं मिलीं जो आम नागरिक को मिलती हैं । यहां खास ख्याल रखा जाता है कि किसी को भी विशेष सुविधा न दी जाए । सबसे समान व्यवहार हो । सरकारी सिस्टम से जुड़े लोग इसका ज्यादा ख्याल रखते हैं ।
7-तुम्हें कभी जन्म , योग्यता या उपलब्धि पर किसी से ईर्ष्या नहीं करनी है
यानी जीवन के हर पहलू में समानता हो । फिनलैंड में स्वास्थ्य व शिक्षा की सुविधाएं सबके लिए समान हैं । रोजगार के अवसर भी समान हैं । नेता , मंत्री , व्यापारी , नौकरीपेशा या बेरोजगार ... सभी के बच्चे एक समान वातावरण में बड़े होते हैं । यही कारण है कि यहां बच्चों में असमानता की वजह से कभी ईर्ष्या का भाव नहीं आता ।
8-तुम्हें कभी , किसी भी वजह से किसी प्राणी का मजाक नहीं उड़ाना है
यानी सबकी भावनाओं का सम्मान हो । फिनलैंड के समाज में इस में बात पर फोकस बचपन से ही किया जाता है । यह ध्यान रखा जाता है कि बच्चे एक साथ मिलकर हंसें , मगर एक - दूसरे पर कभी न हंसें । किसी की शारीरिक बनावट , समझ के स्तर या सामाजिक परिस्थिति का कभी उपहास नहीं किया जाता । उपहास यहां संस्कृति का हिस्सा ही नहीं है ।
9-तुम्हें दूसरों की राय नहीं , खुद को जानना है,ये प्रकृति की गोद में संभव
यानी अपनी खुशी प्रकृति में तलाशी जाए । फिनलैंड का 70 % इलाका जंगल है । देश में 1.88 लाख झीलें हैं । लोगों का सबसे पसंदीदा काम प्रकृति के बीच समय बिताना है । शहरों में रहने वाले लगभग हर व्यक्ति के पास ग्रामीण इलाके में समर कॉटेज भी है । यहां आने वाले पर्यटक कहते हैं कि फिनलैंड में नागरिकों का जीवन किसी रिसॉर्ट के मेहमान जैसा है ।
10 तुम्हें अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना है,बिना श्रेय लिए काम करो
यानी श्रेय लेने के बजाय चुपचाप काम किया जाए । कोरोनाकाल में फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन ने खुद लोगों के लिए आवश्यक चीजें जुटाईं , ग्राउंड पर प्रबंधन देखा । मगर कभी इसका प्रचार नहीं किया । देश के अमीरों ने जमकर दान दिया , लेकिन कोई भी सामने नहीं आया । यहां कोई भी काम का श्रेय लेना अच्छी बात नहीं मानता है ।