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देश में नया राज्य बनाने के लिए कानूनी प्रक्रिया क्या होती है

देश में नया राज्य बनाने के लिए कानूनी प्रक्रिया क्या होती है,उत्तर प्रदेश का विभाजन कर पूर्वांचल राज्य बनाने की संभावनाएं व् अटकलें जारी हैंराज्यों का

देश में नया राज्य बनाने के लिए कानूनी प्रक्रिया क्या होती है,उत्तर प्रदेश का विभाजन कर पूर्वांचल राज्य बनाने की संभावनाएं व् अटकलें जारी हैं । 


मामले पर बहस भी तेज हो गई है । आइए जानते हैं कि नए राज्यों का गठन कैसे होता है ?।- 


भारत में कानून बनाने का अधिकार किसके पास है, कानून बनाने का अधिकार किस संस्था का है, किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार किसको होता है,देश में कानून कौन बनाता है ,कानून बनाने का अधिकार किस सरकार के पास है ,भारत में नए कानून कौन बनाता है ,कौन नए राज्य को संघ में शामिल करता है, नए राज्य के गठन की शक्ति है


राज्य गठन के लिए निम्नलिखित चरण होते है जो इस प्रकार है -


  1. राज्य विधानसभा में अलग राज्य बनाए जाने के संबंध में  प्रस्ताव पारित करना पड़ता है 
  2.  पारित प्रस्ताव पर केंद्रीय कैबिनेट (union cabinet ) की स्वीकृति ली जाती है।
  3.  महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सोच -विचार के लिए मंत्रि समूह का गठन किया जाता है।
  4. केंद्र मंत्रि समूह की सिफारिश पर विधेयक का एक मसौदा( draft ) तैयार करता है,और फिर से मंत्रि समूह की अप्रूवल  ली जाती है।
  5.  जो ड्राफ्ट तैयार किया जाता है उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति बिल को विधानसभा में सदस्यों की राय जानने के लिए भेजते हैं। 
  6.  बिल का ड्राफ्ट वापस केंद्र राज्य के विधायकों की राय को शामिल करते हुए, गृह मंत्रालय एक नया कैबिनेट नोट तैयार करता है।
  7.  केंद्रीय कैबिनेट राज्य पुनर्गठन विधेयक बिल को अंतिम रूप देता है।इसके बाद बिल संसद में पेश किया जाता है। और दोनों सदनों में बहुमत से पारित करना पड़ता है 
  8.   अंत में राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद नया राज्य गठित हो जाता है।

नया राज्य बनाने के प्रावधान क्या  हैं ? 


केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत अलग राज्य के गठन का अधिकार है । वह किसी भी राज्य का क्षेत्र बढ़ा या घटा सकती है । 


किसी भी राज्य की सीमाएं बदल सकती है । केंद्र राज्य का नाम भी बदल सकता है 


नया  राज्य बनाने की क्या प्रक्रिया है ? 


पहले विधानसभा नए राज्य के गठन का प्रस्ताव पास करती है । वह इसे राष्ट्रपति को भेजती है । इस पर केंद्र कदम उठा सकता है । उत्तर प्रदेश विधानसभा नवंबर 2011 में राज्य के चार हिस्सों में बंटवारे का प्रस्ताव पास कर चुकी है । 


इसमें बुंदेलखंड , पूर्वांचल , अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश बनाने का प्रस्ताव है । यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास से होते हुए गृह मंत्रालय पहले ही पहुंच चुका है । सरकार यदि फैसला ले तो गृह मंत्री संसद में नए राज्य के गठन का प्रस्ताव पेश करते हैं ।

 

इस प्रस्ताव में तय कर दिया जाएगा कि नए राज्य में कितने जिले और कितनी विधानसभा और लोकसभा सीटें होंगी । - 


पूर्वांचल बन गया तो इस क्षेत्र  की क्या स्थिति होगी ? 


यदि ऐसा हुआ तो , क्षेत्र के मौजूदा विधायक नए राज्य के विधायक कहलाएंगे । यूपी विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 8 महीने बचा है । 


नए राज्य की प्रोविजनल विधानसभा होगी । इसमें स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होगा । नई प्रोविजनल विधानसभा में बहुमत वाली पार्टी को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा । 


क्या केंद्र नए राज्य का प्रस्ताव समीक्षा के लिए योगी सरकार को भेजेगी?


मायावती सरकार ने पूर्वांचल के गठन का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था । केंद्र प्रस्ताव में संशोधन कर सकता है । लेकिन इसे नए सिरे से योगी सरकार को भेजने की बाध्यता नहीं है ।


राज्य के क्षेत्रों का परिसीमन किस तरह होगा ?


राज्य की लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन का कार्य निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है । यह काम चुनाव आयोग के दायरे में आता है । 


आयोग को यह तय करना होता है कि कौन सी सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी । '


पूर्वांचल राज्य बना तो कितनी विधानसभा और लोकसभा सीटें होंगी ? 


अगर पूर्वांचल राज्य बना तो इसमें 125 विधानसभा सीटें और 25 लोकसभा सीटें हो सकती हैं । इस क्षेत्र में भाजपा 115 सीटों के साथ बहुमत में है । 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी क्षेत्र से हैं । वे नए राज्य में भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं ।


पूर्वांचल राज्य गठन की सियासी संभावनाएं क्या हैं ? 


यूपी के विभाजन की मांग लंबे समय से उठ रही है । अगले साल यहां विधानसभा चुनाव हैं । ऐसे में पूर्वांचल का गठन भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है । 


हालांकि , अभी सिर्फ चर्चाओं का दौर है । यदि पूर्वांचल राज्य बनता है तो भाजपा को नए राज्य से फायदा हो सकता है ।