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ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बनाया कोविड अलार्म पीसीआर और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीकता

 ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन , भविष्य की महामारियों में भी काम आएगा कोविड अलार्मः 

अगर कमरे में संक्रमित मौजूद है तो 15 मिनट में पता लगा लेगा डिवाइस , पीसीआर और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीकता

कोविड अलार्मः संक्रमित मौजूद है तो 15 मिनट में पता लगा लेगा डिवाइस , पीसीआर और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीकता
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बनाया कोविड अलार्म पीसीआर और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीकता

बिना लक्षणों वाले मरीजों की पहचान भी आसानी से करता है एजेंसी लंदन ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ऐसा डिवाइस बनाने में सफलता हासिल की है , जो महज 15 मिनट में ही कमरे में कोरोना संक्रमण का पता लगा लेता है । बड़े रूम में 30 मिनट लगते हैं । 

कोरोना संक्रमितों की जानकारी देने वाला ये डिवाइस आने वाले समय में विमान के केबिनों , क्लासरूम , केयर सेंटरों , घरों और ऑफिसों में स्क्रीनिंग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है ।

इसका नाम कोविड अलार्म रखा गया है । यह डिवाइस स्मोक अलार्म से थोड़ा बड़ा है । लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन ( एलएसएचटीएम ) और डरहम

यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा इस पर किए गए रिसर्च के शुरुआती नतीजे आशाजनक रहे हैं । वैज्ञानिकों ने टेस्टिंग के दौरान दिखाया है कि डिवाइस में नतीजों की सटीकता का स्तर 98-100 फीसदी तक है । 

यह पीसीआर लैब आधारित कोविड -19 परीक्षण और और एंटीजन टेस्ट की तुलना में कहीं ज्यादा सटीकता से कोरोना संक्रमितों के बारे में जानकारी दे रहा है । 

डिटेक्टर कोविड वायरस से संक्रमित लोगों को ढूंढ सकता है , चाहे संक्रमित व्यक्ति में कोरोना के लक्षण ना दिखे लेकिन मशीन अपना काम प्रभावी तरीके से करती है । एक बार पता चलने डिवाइस संक्रमण पहचान कर अधिकृत व्यक्ति को मैसेज भेज देता है

रोबोसाइंटिफिक का ये डिवाइस त्वचा और सांसों द्वारा उत्पादित रसायनों का पता लगाकर संक्रमितों की पहचान करता है । वायरस के चलते वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों ( वीओसी ) में बदलाव होने लगता है । इससे शरीर में गंध पैदा होती है , डिवाइस में लगे सेंसर इसे पहचान लेते हैं । 

डिवाइस अधिकृत व्यक्ति को यह जानकारी मैसेज के जरिए भेज देता है ।के बाद कमरे में मौजूद लोगों का व्यक्तिगत स्तर पर टेस्ट करना होता है । शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजे फिलहाल प्रारंभिक चरण में हैं ।

 स्टडी पेपर में प्रकाशित की गई है , जिसकी समीक्षा की जानी है । शोधकर्ताओं के मुताबिक सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमण का पता लगाने और कोरोना के अलावा भविष्य की महामारियों की पहचान के लिए भी ये कारगर होगा , जिनका कुछ ही हफ्तों में फैलने का जोखिम रहता है । 

डरहम यूनिवर्सिटी में बायोसाइंस के प्रोफेसर स्टीव लिंडसे कहते हैं कि हर बीमारी की अलग गंध होती है । हमने रिसर्च कोरोना से शुरू की । संक्रमित और सामान्य लोगों की गंध में अलगाव ने काम आसान कर दिया । बीमारियों के पहचान की ये तकनीक रोचक है ।

 डिवाइस करीब 5.15 लाख रुपए का है लेकिन जानलेवा महामारियों की पहचान के लिए यह बहुत बड़ी राशि नहीं है ।

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