आपदा भूस्खलन से चिपको आंदोलन ' वाले गौरा देवी के रैणी गांव का वजूद संकट में
आपदा भूस्खलन से हाईवे बंद ' चिपको आंदोलन ' वाले गौरा देवी के गांव का वजूद संकट में दुनिया को ' चिपको आंदोलन ' देने वाले उत्तराखंड के चमोली के रैणी गांव के वजूद पर संकट पैदा हो गया है ।
आपदा भूस्खलन से चिपको आंदोलन ' वाले गौरा देवी के रैणी गांव का वजूद संकट
फरवरी में ऋषिगंगा में आई भीषण आपदा के बाद अब बारिश के चलते गांव के एक हिस्से में भूस्खन हुआ है । नीति - मलारी हाईवे भूस्खलन से बंद हो गया है । इससे चीन सीमा से जुड़े गांवों के साथ ही सेना व आइटीबीपी की चौकियों से भी संपर्क कट गया है ।
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ग्रामीणों समेत सेना के कई वाहन रैणी के दूसरे छोर पर फंसे हैं । रैणी में जोशीमठ मलारी हाईवे का 40 मीटर हिस्सा धंस गया था । इसके बाद 54 परिवारों के करीब 350 लोग परिचितों के यहां चले गए , लेकिन 100 लोग यहीं फंसे हैं ।
इनका कहना है कि जब तक प्रशासन पशुओं समेत विस्थापन नहीं करता वे नहीं जाएंगे । शुक्रवार को तहसीलदार जोशीमठ चंद्रशेखर ग्रामीणों से बात करने पहुंचे । ग्रामीण मुआवजे व विस्थापन की मांग पर अड़े हैं ।
ग्राम प्रधान भवान सिंह ने बताया , पहले मौसम खराब होने पर लोग पहाड़ चढ़कर गुफाओं में शरण ले रहे थे अब वहां भी पहाड़ धंसने लगे हैं । ऋषिगंगा में उफान , कटान जारी ऋषिगंगा में उफान व उससे कटान जारी है ।
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गांव के नीचे पुरानी सड़क साफ हो चुकी है । सेना का बेली पुल गिरने वाला है । ऐसे में गांव वाले कहां जाएंगे ? चमोली की डीएम स्वाति एस भदौरिया कहती हैं गांव वाले जानवरों को छोड़कर तपोवन शिफ्ट होने को तैयार नहीं हैं ।
गौरा देवी की प्रतिमा हटी तो रो पड़े
लोग रैणी में गौरा देवी के नाम से बना गेस्ट हाउस , स्मारक व प्रवेशद्वार भी भूस्खलन की चपेट में आया । वीरवार को बीआरओ के जवान गौरा देवी की प्रतिमा स्मारक से चमोली जिला मुख्यालय ले गए ।
प्रतिमा निकाले जाने के दौरान वहां मौजूद ग्रामीण रो पड़े । मार्च 1974 में 2500 पेड़ों को बचाने को गौरा देवी ने इसका विरोध किया था ।
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