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लघुकथा प्रमोशन | promotion short story in Hindi

Hindi Short Stories: तरक्की के लिए दफ़्तरी जद्दोजहद का नतीजा मन-माफ़िक नहीं भी मिले, लेकिन अगर समय का निवेश घर पर किया है, तो सम्मान की तरक्की निश्चित है।

लघुकथा प्रमोशन| promotion short story in Hindi


लघुकथा प्रमोशन| Promotion Short Story in Hindi

ऑफिस के कामों में उलझा विवेक नंदिता को जैसे भूल ही गया था। सुबह जल्दी निकल जाना और कभी-कभी रात के दस बजे घर लौटना नंदिता को बिलकुल भी ठीक नहीं लग रहा था। आज सवेरे-सवेरे उसने विवेक से कह ही दिया- 'आखिर कब तक ऐसा चलेगा? आप रोज जल्दी ऑफिस के लिए निकल जाते हो और देर रात तक लौटते हो, ऑफिस वालों ने सारा काम आपको ही दे दिया क्या?" 

"हां! सारा काम मुझे दे दिया, क्योंकि सभी मुझे जिम्मेदार और विश्वास योग्य समझते हैं। जिस काम को कम समय में करने का टारगेट मुझे मिला है, उसके पूरा होने के बाद एचआर मैनेजर से सीधे ब्रांड एक्जीक्यूटिव की पोस्ट मिल जाएगी।'

'उससे क्या हो जाएगा? ज्यादा से ज्यादा तरक्की और सैलरी इन्क्रीमेंट! मगर मुझे भी तो वक़्त दो। पत्नी हूं तुम्हारी! शादी के तीन साल बाद अभी तक एक बार भी मुझे कहीं बाहर घुमाने, मॉल या सिनेमा नहीं ले गए।' 'नंदिता! बहस करके बात मत बढ़ाओ। यह सब तुम्हारे और रिंकू के लिए कर रहा हूं। मैं जा रहा हूं। आज शाम को जल्दी आ जाऊंगा क्योंकि आज मेरा टारगेट पूरा हो जाएगा और शायद नतीजे भी मिल जाएं।' 

इतना कहकर विवेक ऑफिस के लिए निकल गया। 

शाम को जब उखड़ा चेहरा लेकर विवेक घर लौटा तो नंदिता ने पानी का गिलास देते हुए पूछा, 'क्या हुआ? कुछ उदास दिखाई दे रहे हो?"

'नंदिता! मैंने वादे के मुताबिक कंपनी का टारगेट पूरा किया मगर इसका क्रेडिट को- एचआर मैनेजर आकाश को मिल गया। मीटिंग में आज उसके प्रमोशन का अनाउंसमेंट हुआ न कि मेरा।'

"कोई बात नहीं! उदास होने से कुछ नहीं होगा। आगे और भी मौके मिलेंगे। सफलता एक बार में नहीं मिलती। आपने प्रमोशन को लक्ष्य बना लिया था। यदि टारगेट पर ध्यान दिया होता तो बात कुछ और होती।'

'हां नंदिता। ठीक ही कहा तुमने मुझे अफ़सोस है कि प्रमोशन के चक्कर में तुम्हें और रिंकू को वक्त नहीं दे पाया। अब हफ्ते की छुट्टी कल से। हम कल ही कुल्लू-मनाली जा रहे हैं।'

विवेक का ऑफिस में प्रमोशन न हुआ सही, लेकिन दाम्पत्य जीवन में परफेक्ट हसबैंड को लेकर प्रमोशन होते देर न लगी।

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