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Kabir Das Quotes in Hindi | कबीर दास जी के सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन

कबीर दास की काव्य रचनाएँ अपनी सादगी, गहराई और सार्वभौमिक अपील के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हिंदी में कुछ गहन कबीर दास उद्धरण दिए गए हैं जो आत्मनिरीक्षण

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Kabir Quotes In Hindi:  इस लेख में हम कबीर दास के प्रेरणादायक उद्धरणों के बारे में चर्चा करेंगे। कबीर दास एक मशहूर संत, कवि और समाज सुधारक थे जिनकी कविताएं आध्यात्मिकता, जीवन मूल्यों और सद्भावना के मुद्दों पर आधारित थीं। उनके उद्धरण आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं और जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन का संकेत देते हैं। यहां हम आपके साथ कबीर दास के प्रसिद्ध उद्धरणों का एक संग्रह साझा कर रहे हैं जो जीवन की चुनौतियों को पार करने, अपने अंदर की शांति की खोज करने, प्यार और सद्भावना के माध्यम से एकजुट होने और आत्म-जागृति की ओर बढ़ने में मदद कर सकते हैं।


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Kabir Das Quotes in Hindi | कबीर दास जी के सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन 


कबीर दास जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने का महान कार्य किया है। उनके अमूल्य वचन जीवन के विभिन्न पहलुओं में संरक्षण, सम्पन्नता और शांति की ओर ले जाते हैं। इस लेख में हम कुछ भावपूर्ण कबीर के अनमोल उद्धरण प्रस्तुत करेंगे।

"मन के हारे हार हैं, मन के जीते जीत। जो मन को जीतता है, वही विजेता है।"

 

यह उद्धरण मन की विजय और आंतरिक शांति के महत्व पर ध्यान केंद्रित करता है। कबीर कहते हैं कि जो अपने मन को नियंत्रित करके उसे जीतता है, वही असली विजेता होता है।

"भई अब्दुल करीम की गति, आप नीके सब बाट। जिनहीं नाम रखा, रब भक्ति में समाट।"

 

यह उद्धरण सारे मानव जाति की एकता, बंधुत्व और भाईचारे को दर्शाता है। कबीर कहते हैं कि ईश्वर की भक्ति में आपसी सम्बंधों का महत्व नहीं होता, वे सभी ईश्वर के प्रेमी हो जाते हैं।

"मोको कहाँ ढूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में। ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में।"

 

इस उद्धरण में कबीर दास कहते हैं कि आत्म-ज्ञान खोजने के लिए हमें बाहरी स्थानों या वस्त्रों की तलाश नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने अंदर में खोज करनी चाहिए। ईश्वर हमारी आत्मा के निकट ही होते हैं।


Kabir Das Quotes in Hindi | कबीर दास जी के सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन

 

"कबीरा खड़ा बाजार में, सब की मांगे खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।"

 

इस उद्धरण में कबीर दास कहते हैं कि जैसे वह बाजार में खड़ा होकर सबको खैरात मांगता है, वैसे ही हमें ना किसी से दोस्ती की आशा होनी चाहिए और ना ही किसी से द्वेष। हमें अपनी मेहनत, संघर्ष और संकल्प के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।

"प्रेम गली अती संकरी, ताम साम डोलत चाल। इक दिन पागली भी चाले, जब प्रीत निकलत फाल।"

 

इस उद्धरण में कबीर कहते हैं कि प्रेम की गली बहुत संकरी होती है, वहां माया की भ्रमण करने वाली चालें होती हैं। लेकिन जब प्रेम का फल प्रकट होता है, तो उस समय एक भक्त भी पागलों की तरह चलता है। इससे हमें यह समझ मिलता है कि दिव्य प्रेम को समझने और प्राप्त करने के लिए हमें निश्चयपूर्वक साधना करनी चाहिए।

"हर रोज़ सोचना चाहिए, संभालना चाहिए रे।
जीवन एक गुलाब की तरह, महकना चाहिए रे॥"

 

यह उद्धरण हमें यह सिखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोच रखना चाहिए और अपने जीवन को संभालना चाहिए। हमारे जीवन को गुलाब की तरह सुंदर और महकने वाला बनाना चाहिए।

"प्रेम का बंधन कांडा है, जीवन को तारे रे।
नफ़रत में अंधे ना बनो, प्रेम में धरती धारे रे॥"

 

कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम एक बंधन हो सकता है, जो हमें जीवन की ओर आगे बढ़ने में मदद करता है। हमें नफ़रत के बंधन में न पड़ना चाहिए और प्रेम के माध्यम से सबको प्यार और सम्मान देने की क्षमता बनानी चाहिए।

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"खुश रहना सबसे आवश्यक है, धन धरती धारे रे।
खुद न परेशान होना, दूसरों को प्यार करे रे॥"

 

इस उद्धरण में कबीर दास जी हमें सिखाते हैं कि हमें खुश रहना सीखना चाहिए। हमें अपने आप को परेशान नहीं होने देना चाहिए और दूसरों के प्रति प्यार और सहानुभूति बनाए रखना चाहिए।

"सत्य की महिमा जगत में, ज्ञान तारे रे।
सत्य का ध्यान रखना, उसमें जीवन भरे रे॥"

 

कबीर दास जी कहते हैं कि सत्य की महिमा सबसे ऊँची है और ज्ञान के माध्यम से हम उसे प्राप्त कर सकते हैं। हमें सत्य का पालन करना चाहिए और उसे अपने जीवन में समाहित करना चाहिए।

"अध्यात्मिक ज्ञान बातों का, सब गहना रे।
आपहुं ज्ञान समझना, विश्राम आते नहीं रे॥"

 

कबीर दास जी हमें यह बताते हैं कि अध्यात्मिक ज्ञान ही हमारी असली धनराशि है और हमें इसे समझने की क्षमता होनी चाहिए। हमें अपने आप को संयमित रखना चाहिए और निरंतर ज्ञान की खोज करते रहना चाहिए।

"दिल का भरोसा ना खोना, ईमानत तारे रे।
जीवन का मार्ग चुनना, खुशियां लहराए रे॥"

 

यह उद्धरण हमें यह बताता है कि हमें अपने दिल पर भरोसा रखना चाहिए और दूसरों पर विश्वास करना चाहिए। हमें अपने जीवन का सही मार्ग चुनना चाहिए और खुशियों को फैलाना चाहिए।

"कर्म का महत्व समझो, नियति धारे रे।
खुद को समर्पित करो, फल की चिंगारी जलाए रे॥"

 

कबीर दास जी हमें यह बताते हैं कि हमें कर्म की महत्वपूर्णता को समझना चाहिए और अपने कर्मों को ईश्वर को समर्पित करना चाहिए। हमें फल की चिंगारी को जलाकर कार्य करना चाहिए।

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"सबको सम्मान देना, न जाति धारे रे।
मन की गहराई समझो, सभी में भगवान बसे रे॥" 

 

कबीर दास जी कहते हैं कि हमें सभी को सम्मान देना चाहिए और जाति को महत्व नहीं देना चाहिए। हमें मन की गहराई को समझना चाहिए और सभी में भगवान का निवास मानना चाहिए।

"ज्ञान बिना जो सब धनगुन समाना।"

 

कबीर दास भौतिक संपत्ति पर ज्ञान के महत्व पर जोर देते हैं। सच्चा धन भौतिक प्रचुरता में नहीं बल्कि ज्ञान और ज्ञान के अर्जन में निहित है।

"ज्ञानी बिना जग अँधेरा।"

 

इस उद्धरण में, कबीर दास अज्ञानता और अंधकार को दूर करने में ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हैं। ज्ञान के बिना, मानवता खोई हुई और ज्ञान से रहित रहती है।

"सत्य अहिंसा धर्म है।"

 

कबीर दास ने इस उद्धरण में धर्म के मूल सिद्धांतों को समझाया है। वह एक धर्मी और सामंजस्यपूर्ण समाज की नींव के रूप में सत्य और अहिंसा के महत्व पर जोर देता है।

"जो तात पाले, वो तोप छोड़े।"

 

कबीर दास करुणा और अहिंसा के संदेश को बढ़ावा देते हैं। वह व्यक्तियों को हथियारों को त्यागने और पोषण गुणों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, प्रेम और दया की शक्ति पर जोर देता है।

"राम नाम जपत जाहीं, वहीं राम रहियो रहे।"

 

कबीर दास इस उद्धरण में परमात्मा की सर्वव्यापकता पर जोर देते हैं। उनका सुझाव है कि परमात्मा के प्रतीक राम के नाम का आह्वान आध्यात्मिक क्षेत्र के साथ संबंध स्थापित कर सकता है।

"ज्ञान की पोथी उठा कर जग में पंडित ना पढ़हिं।"

 

कबीर दास उन लोगों की आलोचना करते हैं जो ज्ञान रखते हैं लेकिन इसके सार को आत्मसात करने में विफल रहते हैं। वह व्यक्तियों को केवल सतही ज्ञान का पर्दाफाश करने के बजाय ज्ञान में गहराई तक जाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

कबीर दास जी के उद्धरण हमें जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं। इन उद्धरणों में छिपे सार्थक संदेश हमें सकारात्मक और आदर्शपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।


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