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अब राज्यों को नहीं खरीदना पड़ेगा टीका ,केंद्र ही खरीदकर सबको मुफ्त देगा

अब राज्यों को नहीं खरीदना पड़ेगा टीका ,केंद्र ही खरीदकर सबको मुफ्त देगा 
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अब राज्यों को नहीं खरीदना पड़ेगा टीका ,केंद्र ही खरीदकर सबको मुफ्त देगा 

 मुफ्त टीके का राष्ट्रीयकरण - महीने भर की आपाधापी के बाद केंद्र की वैक्सीन खरीद की नीति फिर बदल गई । अब केंद्र सरकार ने 18 से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाने की घोषणा की है । 

सोमवार शाम राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि अब राज्यों को वैक्सीन खरीदने की जरूरत नहीं है । केंद्र ही वैक्सीन खरीद मांग और जरूरत के मुताबिक राज्यों को मुफ्त देगा । 

इस मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम में 18 से 44 वर्ष के लोग भी शामिल होंगे । यह व्यवस्था 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से शुरू होगी । केंद्र सरकार खुले बाजार से 75 % वैक्सीन खरीदेगी । 25 % वैक्सीन निजी अस्पताल खरीद सकेंगे ।

निजी अस्पताल टीका लगवाने वालों से वैक्सीन की कीमत के ऊपर सिर्फ 150 रुपए का सर्विस चार्ज ही ले पाएंगे । पीएम ने घोषणा की कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन के लिए पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान शुरू की गई गरीब कल्याण अन्न योजना को नवंबर , 2021 यानी दीपावली तक जारी रखा जाएगा । 

18 से 44 वर्ष के लोगों को 1 से टीका लगना शुरू हुआ था और इस आयुवर्ग के लिए टीके का इंतजाम राज्यों को खुद करना था । राज्यों ने ग्लोबल टेंडर निकाले थे , मगर सफलता नहीं मिली थी । कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी भी सामने आई थी ।

इसके बाद दिल्ली , केरल , ओडिशा , बंगाल समेत कई राज्यों ने मांग की थी कि वैक्सीन खरीद का जिम्मा केंद्र उठाए ।

वेक्सिनेशन पर pm  मोदी द्वारा मुख्य बिन्दु 

पीएम मोदी ने की सबके मन की बात,21 जून से 18+ के सभी लोगों के लिए केंद्र सरकार ही मुहैया कराएगा मुफ्त टीका

  1.  खुले बाजार से 75 % वैक्सीन अब केंद्र सरकार खरीदेगी 25 % वैक्सीन निजी अस्पताल को खरीदने की अनुमति
  2. पिछले वर्ष शुरू हुईगरीब कल्याण अन्न  योजना दीपावली तक चलेगी ,80 करोड़  गरीब लोगों को मुफ्त राशन मिलेगा 
  3. संबोधन में वैज्ञानिकों की तारीफ , विपक्ष पर तंज ' पहले देशको वैक्सीन मिलने में दशकों लग जाते थे

प्रधानमंत्री ने वैक्सीन के बहाने विपक्ष पर तंज भी कस दिया । उन्होंने कहा , ' भारत ने एक साल में दो कोराना वैक्सीन लॉन्च की । कल्पना कीजिए , अगर हमारी कंपनियां कोरोना वैक्सीन नहीं बनाती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता । पिछले n M

50-60 साल का इतिहास देखें । भारत को विदेशों से वैक्सीन पाने में दशकों लग जाते थे । ' पीएम के संबोधन के बाद कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि पीएम तथ्य जांच लें । देश 50 वर्षों से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है । 

राहुल गांधी ने कहा कि जब सबको मुफ्त टीका लगना है तो निजी अस्पतालों को चार्ज क्यों लेना चाहिए ।

कोर्ट ने वैक्सीन खरीद पर सरकार से पूछे थे 4 सवाल --

वैक्सीनेशन की स्थिति केंद्र की नीति पर स्वतः संज्ञान से सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से 4 सवाल पूछे थे-

  1.  केंद्र सरकार व राज्यों के लिए वैक्सीन कंपनियों ने अलग - अलग कीमतें क्यों रखी हैं , एक ही कीमत क्यों नहीं है ?
  2. केंद्र सरकार ही वैक्सीन खरीदकर राज्यों को जरूरत के मुताबिक मुहैया क्यों नहीं करवा सकती ?
  3.   वैक्सीन के लिए बजट में घोषित 35 हजार करोड़ का क्या हुआ , इससे राज्यों के लिए टीका क्यों नहीं खरीद सकते ? 
  4. 18 से 44 वर्ष के लोगों को भी केंद्र सरकार मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल क्यों नहीं कर सकती ? 

 पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन खरीद पर उठाए गए कदमों से जुड़े सभी दस्तावेज और फाइल नोटिंग कोर्ट में पेश करने को कहा था । सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी 30 जून तक पेश करनी है । 

सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई से पहले वैक्सीन खरीद की नई व्यवस्था लागू हो चुकी होगी । यानी सुप्रीम कोर्ट के उठाए चारों सवालों का हल हो चुका होगा ।

निजी अस्पताल सर्विस चार्ज 150 रु . ही ले पाएंगे , मगर कीमत पर संशय

 पीएम मोदी ने संबोधन में स्पष्ट किया कि खुले बाजार से 25 % वैक्सीन निजी अस्पताल ले सकेंगे । मगर वे जनता से टीके की कीमत के ऊपर 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकते हैं । हालांकि अब नई नीति की वजह से वैक्सीन कंपनियां निजी सेक्टर के लिए पहले घोषित कीमत में परिवर्तन भी कर सकती हैं । 

अब तक कोविशील्ड निजी अस्पतालों को 600 रु . , कोवैक्सीन 1200 रु . में मिलती है । जबकि स्पुतनिक ने 958 रु . का एक ही रेट जारी किया है । 

केंद्र की नई नीति के बाद वैक्सीन कंपनियों को 75 % का बड़ा बल्क केंद्र को बेचना है । केंद्र को 150 रुपए प्रति डोज मिल रही है । जुलाई में यह दरें दोबारा तय होनी है । 

यदि केंद्र को रियायती दरों पर वैक्सीन देनी पड़े तो वैक्सीन कंपनियां निजी अस्पतालों के लिए दरों में बढ़ोतरी कर सकती हैं । ऐसे में सर्विस चार्ज की कैपिंग के बावजूद निजी अस्पतालों में वैक्सीन महंगी हो सकती है । 

वैक्सीन खरीद से जुड़ी विस्तृत गाइडलाइन अभी केंद्र व राज्य मिलकर तय करेंगे ।







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