अब 29 देशों में कोरोना का लेम्डा वैरिएंट, यह भी तेजी से फैलता है
- वैरिएंट ऑफ कंसर्न के बाद अब वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट
- अब 29 देशों में कोरोना का लेम्डा वैरिएंट, यह भी तेजी से फैलता है
अब 29 देशों में कोरोना का लेम्डा वैरिएंट, यह भी तेजी से फैलता है
अच्छी बात... भारत और पड़ोसी देशों में इसका एक भी मरीज नहीं मिला दुनिया कोरोना की दूसरी लहर से बेहाल है। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट ' वैरिएंट ऑफ कंसर्न ' है। इस बीच कोरोना का एक और वैरिएंट 29 देशों में फैल गया है, इसका नाम है लेम्डा। यह बेहद तेजी से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) ने इसे ' वैरिएंट ऑफ इंस्ट्रेस्ट ' करार दिया है। जानिए इससे जुड़े सवाल और उनके जवाब ...
लेम्डा वेरिएंट क्या है, कहां मिला?
यह वैरिएंट अगस्त 2020 में मिला था। गत अप्रैल से पेरू में जितने मामले सामने आए हैं, उनमें से 81% के पीछे यही वैरिएंट है, फिर यह दक्षिणी अमेरिका में फैला। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार यूके में इसके छह मामलों का पता चला है, सभी मरीज विदेश यात्राओं से जुड़े है।-
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यह कितने देशों में फैला चुका है?
लेम्डा के जून तक चिली, अर्जेंटीना, पेरू, इक्वाडोर, ब्राजील, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, स्पेन, इजरायल, फ्रांस और यूके समेत 29 देशों में मरीज मिले। इन देशों में दो महीने में इस वैरिएंट के 32% तक मामले बढ़े।
यह वैरिएंट कितना घातक है?
इसके स्पाइक प्रोटीन में 7 म्यूटेशन देखे गए हैं, जो इसे ज्यादा संक्रामक बनाते हैं। इसलिए इसे घातक माना जा रहा है। वहीं, डेल्टा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में तीन म्यूटेशन हैं। डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिक कोरोना के अन्य स्ट्रेन से तुलना का अध्ययन कर रहे हैं। डर है कि कहीं यह अभी तक सामने आए वैरिएंट्स से अधिक घातक तो नहीं।
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लेम्डा किन वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है?
चिली में हुए शोध में लेम्डा को अल्फा और गामा से ज्यादा संक्रामक बताया गया है। हालांकि इसका और अध्ययन होना बाकी है। विशेषज्ञों के अनुसार यह वैरिएंट तेजी से फैलता है और शरीर को भी तेजी से नुकसान पहुंचाता है।
क्या वैक्सीन इस वैरिएंट पर काम करती हैं?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार लेम्डा में एंटीबॉडीज के प्रति प्रतिरोध ज्यादा है। वैक्सीन इस पर कितनी कारगर है, इस पर रिसर्च की जरूरत है। चिली के अध्ययन में पाया गया कि चीनी वैक्सीन सिनोवैक के दोनों डोज लगने के बावजूद लोग लेम्डा वैरिएंट से संक्रमित हुए। दूसरी ओर, यूके के वैज्ञानिक कहते हैं कि अभी इस बात के सबूत नहीं हैं कि वैक्सीन कम असरदार है। लक्षणों की बात करें तो अन्य वैरिएंट की तरह इसके भी बुखार, खांसी, गंध और स्वाद न आना प्रमुख लक्षण हैं।
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