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Sankashti Chaturthi: पौराणिक कथाओं के साथ महत्वपूर्ण पर्व

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Sankashti Chaturthi:
आपने शायद ही कभी संकष्टी चतुर्थी के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं इस व्रत का महत्व क्या है? क्या कहते हैं पौराणिक कथाएं? कैसे मनाया जाता है यह पर्व? संकष्टी चतुर्थी एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको संकष्टी चतुर्थी के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

Sankashti Chaturthi Introduction


संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार में भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनकी आराधना की जाती है। संकष्टी शब्द का अर्थ होता है "संकट ग्रहण करने वाला" और चतुर्थी का अर्थ होता है "चौथा दिन"। इसे भगवान गणेश के उपासकों द्वारा पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।



What is Sankashti Chaturthi?


संकष्टी चतुर्थी क्या है?


संकष्टी चतुर्थी व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे मासिक रूप से मनाया जाता है। यह चतुर्थी व्रत भगवान गणेश की पूजा और अर्चना करके मनाया जाता है। यह पर्व भक्तों के द्वारा संकटों से मुक्ति की कामना के साथ विशेष आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व


संकष्टी चतुर्थी को मनाने का महत्वपूर्ण कारण है भगवान गणेश के आशीर्वाद की प्राप्ति। गणेश देव को विधिवत व्रत और पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। इस दिन गणेश भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वे अपने जीवन में नयी ऊर्जा और आनंद की अनुभूति करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा


भारतीय पौराणिक कथा के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत


कई साल पहले की बात है, एक बार देवताओं पर एक अत्यधिक संकट आया। वे इस संकट का समाधान नहीं निकाल पा रहे थे और इसलिए वे भगवान शिव के पास उपास्य और आदर्श पुत्र गणेश जी की मदद के लिए गए। भगवान शिव ने इस संकट का समाधान करने के लिए गणेश जी और कार्तिकेय से प्रार्थना की।

भगवान कार्तिकेय ने बिना किसी विलम्ब के अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। वहीं गणेश जी के पास मूषक (चूहा) की सवारी थी। इस बीच में, मोर की तुलना में मूषक का जल्दी से परिक्रमा करना संभव नहीं था। इसलिए गणेश जी ने विवेकपूर्वक अपने स्थान पर खड़े होकर माता पार्वती और भगवान शिव की सात परिक्रमाएँ की। महादेव ने गणेश जी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। तब गणेश जी ने उत्तर दिया, "माता पिता के चरणों में ही पूरा संसार होता है।"

इस उत्तर को सुनकर भगवान शिव और माता पार्वती बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गणेश जी को चुना कि वे संकट का निवारण करेंगे। इसके साथ ही, भगवान शिव ने गणेश जी को यह वरदान भी दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन गणेश पूजा कर चंद्रमा को जल अर्पित करेगा, उसके सभी संकट दूर हो जाएंगे। साथ ही, उसे पाप का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

Vrat and Puja Vidhi Fasting and Prayers for Sankashti Chaturthi


संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत की पूर्व संध्या में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसमें गणेश मंत्रों का जाप, दीप दान, फूलों की अर्चना, गणेश चालीसा का पाठ आदि शामिल होता है। इससे व्रत की शुरुआत होती है और भक्तों का मनोबल बढ़ता है।

पूजा की शुरुआत में गणेश भगवान को अग्रपूजा दी जाती है। इसमें भगवान की मूर्ति को पुष्प, दूप, दीप, धूप, फल, पानी, नैवेद्य, धान्य, गंध आदि से सजाया जाता है। इससे भगवान को प्रसन्नता मिलती है और उनकी कृपा बनी रहती है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तों का नियमित उपवास होता है। उपवास के दौरान भोजन में आलू, प्याज, लहसुन, मसूर दाल, गोभी, गाजर आदि का सेवन नहीं किया जाता है। इसके अलावा, शाकाहारी और फलाहारी आहार का पालन किया जाता है। उपवास के दौरान भगवान गणेश की पूजा और मन्त्र जाप का भी ध्यान रखा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व


संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करने से श्रद्धालुओं को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत के द्वारा गणेश भगवान की कृपा प्राप्त होती है और विभिन्न परिस्थितियों से संरक्षण मिलता है। यह व्रत भक्तों को सफलता, खुशहाली, सुख, धन, और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है। इसके अलावा, यह व्रत दुर्भाग्य, संकट, और दुःखों को दूर करने में भी सहायता करता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करने के लिए श्रद्धालु को सुबह उठकर नहाने के बाद शुद्ध मन और शुद्ध वेष में गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद चंद्रमा को जल अर्पित करते हुए व्रत की दिनचर्या का पालन करना चाहिए। व्रत के दिन सभी ब्रह्मणों को भोजन कराना चाहिए और गणेश जी का विसर्जन भी करना चाहिए।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा के लाभ


  • संकटों का निवारण
  • सुख-शांति और धन-समृद्धि की प्राप्ति
  • पापों का नाश
  • परिवार में सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसका पालन करने से भक्त गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion


इस रूप में, संकष्टी चतुर्थी व्रत हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा और अर्चना के माध्यम से मनाया जाता है। इस व्रत का पालन करने से भक्त अपने जीवन में संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करते हैं। आप भी संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करके अपने जीवन को समृद्ध, सुखी, और सम्पन्न बना सकते हैं।

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