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बीएसएफ भारत-पाक सीमा पर करेगी पौधारोपण

बीएसएफ भारत-पाक सीमा पर करेगी पौधारोपण बॉर्डर पर बनेंगे 4000 साल पुरानी तकनीक से 8216 पौधे की दीवार


BSF,Border Security Force


 बीएसएफ भारत-पाक सीमा पर करेगी पौधारोपण 


राजस्थान में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बॉर्डर पर किले तार के पास हरियाली की दीवार खड़ी कर रही है। रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण पानी की कमी की वजह से पौधों का पनपना बड़ी परेशानी है। रेगिस्तान क्षेत्र होने के कारण यहाँ पर औसत वार्षिक वर्षा बहुत कम यानी न के बराबर होती है जिसके कारण यहाँ पर वनस्पति पेड़-पौधों का उगना बहुत ही मुश्किल भरा होता है ।  


लेकिन BSF ने 4000 साल पुरानी तक तकनीक का उपयोग कर इसका हल निकाल लिया है। यह टपक सिंचाई प्रणाली (ड्रिप इरिगेशन या Trickle Irrigation) का ही पुराना रूप है।यह सिचाई की एक विशेष पध्यति है ,जिसमें पानी की कम मात्रा से ही पौधों की सिचाई की जाती है।  इस प्रकार की व्यवस्था की टपक सिचाई या बूंद सिचाई भी कहते है। 


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साधारण सिचाई विधि से पानी का उचित उपयोग नहीं हो पाता तथा रेगिस्तान में पानी की कमी व् अत्यधिक गर्मी से पानी वाष्पीकरण हो जाता है जिसके कारण पौधों को पानी नहीं मिल पता। अतः BSF पौधारोपण में अपनाई गयी विधि द्वारा पानी का पूर्ण उपयोग होगा व् साथ ही जल का रिसाव कम होने से पौधों को अधिक जल उपलब्ध हो पायेगा।  


इस पद्धति से बीएसएफ ने गडरा रोड फॉरवर्ड सीमा चौकी के पास नर्सरी तैयार की है इसमें 8216 पौधे तैयार हो चुके हैं इस तकनीकी से कम पानी में अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं।जिसके द्वारा रेगिस्तान की धरती को हरा भरा बनाया जा सके 


मटके के तल में छोटा छेद कर पौधे के पास जमीन में गाड़ दे हैं फिर उसमें भरा जाता है पानी.टपक तकनीक अफ्रीका इरान जर्मनी देशों में भी अपनाया जा रहा है।  बीएसएफ की 144 वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर राजपाल सिंह ने बताया कि इसमें मटके के तल में छोटा सा छेद कर पौधे के पास जमीन में काटते हैं। फिर उसमें पानी भरकर ढक्कन लगाते हैं छेद में पानी बूंद बूंद विश कर पौधे को मिलता है एक बड़े मटके में पानी करीब एक महा चलता है। 


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