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Hindu Dharm में क्या सूर्य देव ही रविवार के देवता माने गए हैं?

Hindu Dharm में क्या सूर्य देव ही रविवार के देवता माने गए हैं? रोमन काल में संडे सप्ताह का पहला दिन हुआ करता था। इस महत्वपूर्ण दिन को सूर्य देव का नाम दिया गया था। हीलिओस या हाइपरियन यूनानी-रोमन सूर्य देवता थे। बाद में वे एक अन्य यूनानी देवता 'अपोलो' के साथ जुड़ गए। 


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अपोलो एक युवा, ऊर्जावान व सुंदर देवता थे, जो तीर मारकर अंधेरे को दूर करते थे। जब रोमन साम्राज्य ईसाई बन गया, तो सूर्य का दिन डॉमिनिका कहा जाने लगा यानी गॉड का दिन।ईसाइयों के अनुसार छह दिनों में दुनिया का निर्माण करने के बाद गॉड इस दिन विश्राम करते थे। वर्ष के महीनों के विपरीत सप्ताह के दिनों और खगोल विद्या में कोई संबंध नहीं है। 


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यह समय का एक मनमाना विभाजन है। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति बाबिल में हुई थी जहां से यह पूर्व की ओर भारत और फिर चीन व पश्चिम की ओर रोम से होकर भूमध्यसागर के आसपास फैला। जिस प्रकार रोमन लोगों ने सप्ताह के पहले दिन को सूर्य से जोड़ा, उसी प्रकार भारतीयों ने भी इसे रविवार कहकर सूर्य से जोड़ा। लेकिन इसका कारण कोई नहीं जानता।

 

यह इतिहास के उन रहस्यों में से एक है जिसका अब तक कोई हल नहीं मिला। भारत में रविवार का सबसे पहला उल्लेख 400 ईस्वी के बाद के ग्रंथों से मिलता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त राजाओं के समय भारत आने वाले हुन, पार्थवासी और शक वासी सूर्य की उपासना भारत लाए। 


हिंदू धर्म में सूर्य एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे मुख्य ग्रह हैं जिनके चारों ओर सभी खगोलीय ग्रह घूमते हैं। वे परम पिता हैं जिनके रथ में 12 पहिए हैं और जिसे सात घोड़े खींचते हैं। प्रत्येक पहिया ऋतुओं से जुड़ा होता है। कहते हैं कि जबकि छह घोड़े दिखाई देते हैं, सातवां घोड़ा अदृश्य होता है।


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यह सहज ज्ञान का रहस्यमय घोड़ा है जिसकी उपस्थिति केवल महसूस की जाती है। आरुणि सूर्य के सारथी हैं। सूर्य की पत्नी को सरन्यू या संज्ञा कहा जाता है। अपने पति के साथ उन्होंने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था: यम, जो मृत्यु को प्राप्त करने वाले पहले मनुष्य थे और इसलिए मृत्यु के देवता बने।और यमी, जो यमुना नामक नदी में बदल गई और जिसने यामिनी नामक रात में बदलकर अपने भाई का शोक मनाया। अपने पति का तेज सहन नहीं कर पाने के कारण सरन्यू भाग गईं और उनकी जुड़वां छाया पीछे रह गईं। छाया ने शनि देव को जन्म दिया, जो विश्व में विलंब लाते हैं। 


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लेकिन छाया यम को शनि जितना प्यार नहीं करती थीं। यह देखकर सूर्य समझ गए कि छाया सच्ची पत्नी नहीं है। इसलिए वे सरन्यू की खोज में निकल पड़े। यह जानते ही कि वे एक घोड़ी बन गई हैं, उन्होंने घोड़े का रूप लेकर सरन्यू को लुभाया। दोनों के अश्वीय मिलन से अश्विन नामक घोड़े के सिर वाले जुड़वां भाइयों ने जन्म लिया। वैदिक काल में पुरुष घोड़ों की सवारी नहीं करते थे। घोड़ों का उपयोग केवल रथ खींचने के लिए किया जाता था। घुड़सवारी भारत में बहुत बाद में मध्य एशिया से आई। शायद ये घुड़सवार भी सूर्य उपासक थे।


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इसलिए सूर्य, जो सात घोड़ों द्वारा खींचे गए रथ पर सवार होते हैं, का पुत्र भी मध्य एशिया के पार्थ और शक वासियों की तरह घोड़े पर सवार होता है और तीर चलाता है। सूर्य पहले मानव राजा मनु के पिता भी हैं। मनु के माध्यम से सूर्य ने राजाओं के सबसे शानदार इक्ष्वाकु राजवंश को जन्म दिया जिसके राम भी वंशज थे। 


सूर्य का एक नाम आदित्य भी है और विक्रमादित्य अर्थात सौर विजेता भारत के महानतम राजा का नाम है। लोककथाओं के अनुसार योद्धा होने के अलावा सूर्य देव थोड़े बहुत प्रलोभक भी थे। सूरजमुखी उन्हें हर समय प्यार से निहारती रहती है। कमल आकाश में सूर्य आते ही खिल जाता है। रात की रानी का हृदय सूर्य देव ने तोड़ा था। इसलिए सूर्य की रोशनी में वह अपनी सुगंध छोड़ने से इनकार करती है और केवल रात में खिलती है।


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