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हिन्दू धर्म में पवित्र और प्रामाणिक माने गये अन्य धर्मग्रन्थ भी है ?

Hindu dharm:  हिन्दू धर्म में पवित्र माने गये ग्रन्थ अनगिनत हैं। हाँ, उनमें से सर्वाधिक मान्य एवं महत्वपूर्ण हैं: रामायण, महाभारत, भगवद्गीता, मनुस्मृतियाँ, आगम, इतर ऋषियों की पुराण, दर्शन आदि। ये परम्परा से मान्य ग्रन्थ हैं और अधिकांश वर्गों-वर्णों द्वारा समादृत भी। संक्षेप में उनका नीचे परिचय दिया जा रहा है।


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रामायण में श्रीराम के जीवन तथा आचरण का वर्णन हुआ है। महाभारत में कुरु पांडु राजकमारों की कथा अंकित है। इसी में श्रीकृष्ण का भी चरित्र है जिसने सदियों से हिन्दुओं को जीवन संघर्ष में अनप्रेरित किया और गतिशील बनाया है। 


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भगवद्गीता गीता नाम से अमर है। यह महाभारत का ही एक अंग है। यह लोकप्रिय भी है। उपनिषदों को गायें मान लें तो गीता उनका साररूप क्षीर है। यह कृष्ण तथा पराक्रमी अर्जुन के बीच चला संवाद है। कुरुक्षेत्र के मैदान से यह संवाद चलता है।

 

इसका मुख्य सन्देश है कि जटिल और अप्रिय लगने पर भी व्यक्ति को दृढ़ता और स्वार्थ रहित समर्पण भावना से अपना कर्त्तव्य-कर्म पूरा करना है। ईश्वर को प्रसन्न रखने, संसार की सेवा करने और समाज से उऋण होने के लिए प्रत्येक स्त्री-पुरुष को अपने स्वधर्म का पालन करना है। 


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स्वधर्म के अन्तर्गत अपनी क्षमता के अनुरूप महत्वाकांक्षा और उसकी पूर्ति के लिए आवश्यक प्रवृत्ति भी आ जाती है। स्वधर्म पालन में ही अपना कल्याण है। परधर्म, यदि हमने अपना लिया है, तो अवश्य ही भयावह है। वह हानि पहुँचाता है। मनु, याज्ञवल्क्य, पराशर आदि द्वारा रचे संकलन ही स्मृतियाँ हैं। वेद में वर्णित शाश्वत सत्य को ध्यान में रखते हुए परिवर्तनशील युगों में हिन्दू समाज का नियंत्रण और मार्गदर्शन स्मृतियों द्वारा हुआ है। 


प्रत्येक हिन्दू के लिए वैयक्तिक तथा सामाजिक स्तर पर आचार-संहिता का निरूपण स्मृतियों में मिलता है। विधि विधान द्वारा विभिन्न देवों की उपासना, मंदिरों से संबद्ध पूजा पाठ, उपासना के स्थान तथा विभिन्न आध्यात्मिक साधनाओं का वर्णन आगमों में हुआ है।


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थोड़ी बहुत ऐतिहासिक सामग्रियों से युक्त पुराणों में कहानी, रूपक, उपमा, प्रतीक आदि के माध्यम से नैतिक आदर्शों और आध्यात्मिक सत्य का चित्रण हुआ है। पुराण जनसाधारण की धार्मिक एवं साँस्कृतिक शिक्षा का प्रमुख साधन है। विष्णु पुराण एवं श्रीकृष्ण के जीवन से सम्बद्ध भागवत पुराण अधिक लोकप्रिय है 


दर्शन संख्या में छह हैं। इनमें विभिन्न संप्रदायों का व्यवस्थित विवेचन है। सृष्टि का मूल, संसार की रचना, परमात्मा, जीवात्मा आदि मूलभूत प्रश्नों का उत्तर यहाँ मिलता है। इनमें पातंजल योगदर्शन और बादरायणव्यास विरचित वेदान्त सूत्र आज भी लोकप्रिय हैं।


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