Motivational Thought: भूल को सही साबित करने की बजाय उसे स्वीकार करिए
Motivational Thought: भूल को सही साबित करने की बजाय उसे स्वीकार करिए। उसका औचित्य सिद्ध करना बहुत सतही है, क्योंकि यह अपराधबोध को नहीं हटाता। अपने अपराधबोध के साथ सौ प्रतिशत रहिए, तब वह पीड़ा एक ध्यान की तरह बन जाएगा। और आपको अपराधबोध भी खत्म हो जाएगा।
भूल को सही साबित करने की बजाय उसे स्वीकार करिए
भूल करने वाले एक व्यक्ति से आप कैसे पेश आते हैं? उसे उसकी भूल के बारे में मत बताएं, जो कि वह पहले से ही जानता है। न ही उसे अपराधी, रक्षात्मक या विद्वेषपूर्ण महसूस कराएं। क्योंकि इससे और अधिक दूरी कायम होगी। केवल उसी व्यक्ति को भूल की ओर ध्यान दिलाएं जो कि उससे अनभिज्ञ है पर जानने का इच्छुक है। बहुत लोगों को पता होता है कि उन्होंने क्या भूल की है, पर वे नहीं चाहते कि कोई उनका ध्यान इस ओर दिलाए।
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दूसरों की भूलों के पीछे अभिप्राय मत देखिए। जब कोई कुछ गलत करता है तो अक्सर हम सोचते हैं कि ऐसा उसने जानबूझकर किया। लेकिन एक विशाल दृष्टिकोण से देखने पर हम पाते हैं कि एक अपराधी वस्तुतः स्वयं एक शिकार भी है।
एक प्रबुद्ध व्यक्ति दूसरों में सिर्फ गलतियां नहीं देखता, वह करूणा के साथ उन्हें उन भूलों से उबरने में सहायता करता है। लेकिन एक मूर्ख दूसरों की भूलों पर खुश होता है और सारे संसार के समक्ष उसकी सगर्व घोषणा करता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति सदैव दूसरों की प्रशंसा करता है।
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आत्मा का उत्थान करना विवेक है। जब आप केन्द्रित होते हैं, तब हमेशा अपने चारों ओर सभी का उत्थान करने के लिए तत्पर रहते हैं। अपने मन को सहेजें। जब मन स्थापित होता है तब आप चाहो तो भी गलत नहीं कर सकते। आत्मज्ञान से भय, क्रोध, अपराधबोध, अवसाद जैसी सभी नकारात्मक भावनाएं खत्म हो जाती हैं।
Thoughts of the day
बच्चे रंग भरने की किताब नहीं होते, आपको उनमें अपने पसंदीदा रंग भरने की जरूरत नहीं है।- खालिद हुसैनी, अफगानी अमेरिकी लेखक
दुनिया में एक ही पाप है, चोरी। जब आप झूठ बोलते हैं तो किसी के सच जानने के अधिकार को चुरा लेते हैं।
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Today's Positive Challenge
छोटे-छोटे उद्देश्य बनाएं: बड़ा लक्ष्य हासिल करना पहाड़ चढ़ने सा मुश्किल होता है। ऊपर से मोटिवेशन भी जवाब दे जाता है। दुनिया के विख्यात लाइफकोच सुझाव देते हैं कि छोटे-छोटे उद्देश्य बनाइए और उनको लेकर स्पष्ट रहिए। जैसे तय करें कि वॉक करने के दौरान आसपास की हरियाली को देखेंगे। या खाना खाते हुए सिर्फ खाने को महूसस करेंगे, फोन टीवी नहीं देखेंगे। लोगों से मुस्कुराकर बात करेंगे। ये छोटे उद्देश्य मुश्किल नहीं होते और मोटिवेशन का काम भी करते हैं।
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