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उत्तराखंड का इतिहास -प्रागैतिहासिक काल

History of Uttarakhand in Hindi: उत्तराखण्ड का इतिहास विशेषकर पौराणिक इतिहास बहुत गौरवपूर्ण रहा है। यहाँ पहाड़ों ,घाटियां,जंगल तथा नदियां से भरपूर यह क्षेत्र आदिकाल से ही राजाओं,ऋषिओं,तीर्थ यात्रिओं के आकर्षक का हमेशा केंद्र रहा है। विभिन्न कालों (प्रागेतिहासिक ,आद्यऐतिहासिक तथा ऐतिहासिक) के अनुसार राज्य का सक्षिप्त इतिहास अधोलिखित है। 


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उत्तराखंड का इतिहास -प्रागैतिहासिक काल (History of Uttarakhand - Prehistoric Period)


uttarakhand ka itihas: राज्य के विभिन्न स्थलों से प्राप्त होने वाले गुफा,शैलचित्र,पाषाण कालीन उपकरण,कंकाल,मृदभांड,और धातु उपकरण प्रागैतिहासिक काल मैं मानव निवास की पुष्टि करते है।


लाखु गुफ़ा (Lakhu cave) - 1963  मैं लाखु गुफ़ा (उड्डयार ) की खोज हुई ,यह अल्मोड़ा के बाड़ेछीना के पास दलबैंड पर स्थित है,यहाँ से मानव तथा पशुओं के चित्र प्राप्त हुए है, इसके आलावा मानव आकृति को समूह या अकेले नृत्य करते दिखाया गया है। पशु-पक्षियों के चित्रः भी मिले है,इन चित्रों को रँगों से भी सजाया गया है।


उत्तराखण्ड: सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान 

आद्यऐतिहासिक काल के प्रमुख्य लेख और परीक्षा उपयोगी प्रशन

uttarakhand pariksha vani-आधुनिक काल इतिहास


ग्वारख्या गुफ़ा - चमोली मैं अलकनंदा नदी के किनारे डुंग्री गांव के पास स्थित ग्वारख्या गुफ़ा (Cave )  से मानव,भेड़,लोमड़ी,बारहसिंगा आदि के रंगीन चित्रः मिले है,जो की लाखु गुफा से अधिक चटकदार है।  


किमनी गाँव - चमोली के थराली के पास स्थित किमनी गांव की गुफा से हलके सफ़ेद रंग के चित्रित हथियार एवं पशुओं के शैलचित्र मिले ।  


मलारी गाँव - चमोली जिले मैं तिब्बत सीमा  पर सटे मलारी गाँव मैं हज़ारों वर्ष पुराना नर कंकाल (Skeletons )  ,मिट्टी के बर्तन( Clay Pots ),जानवरों के अंग (Animal Oragan ) और 5. 2 किलोग्राम का एक सोने का मुखावरण मिला। यह सन 2002 मैं गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोध्कर्ताओं (Researcher ) को मिला था । शोधकर्ताओं के अनुसार नर कंकाल और मिट्टी के बर्तन ईसा के 2000 वर्ष से 6 वीं सदी ईसा पूर्व तक के है.


ल्वेथाप -  अल्मोड़ा के ल्वेथाप से मिले शैलचित्र मैं मानव को शिकार करते तथा हाथों मैं हाथ डालकर नृत्य करते हुए दिखाया गया है।  


हुडली - उत्तरकाशी के हुडली से प्राप्त शैल चित्रों मैं नील रंग का प्रयोग किया गया है।  


पेटशाल -  अल्मोड़ा के पेटशाल व् पूनाकोट गांव के बीच स्थित कफ्फरकोट से नृत्यरत मानव आकृतियां कत्थई रंग से रेंज हुए है।


फलसीमा  - अल्मोड़ा के फलसीमा से योग व् नृत्य मुद्रा वाली मानव आकृतियां मिली है । 


रामगंगा घाटी - रामगंगा घाटी से पाषाणकालीन (Paleolithic ) शवगार (Mortuary ) और कपमार्क्स   मिले है 


बनकोट - 8 ताम्र मानवाकृतियों मिली है पिथौरागढ़ के बनकोट क्षेत्र से ।  


गढ़वाल - गढ़वाल के कई क्षेत्र से चित्रित धूसर मृद्रभाण्ड (Gray Pottery ) मिले है ।  


प्रागैतिहासिक काल के मानव गुफाओं में रहते थे तथा गुफाओं पर सूंदर चित्रों से सजाते थे,व् अपने भोजन की पूर्ति के शिकार व् कंद-मूल फलों का सेवन करते थे। इसी काल मैं वे आग से भी परचित हो गए थे।  


प्रागैतिहासिक काल के महत्वपूर्ण प्रश्न

 

1-राज्य के किस प्रागैतिहासिक पुरास्थल से 5. 2 किलो का सोने का मुखौटा मिला है -मलारी गाँव (चमोली )


2-मलारी गांव के प्रागैतिहासिक पुरास्थल की खुदाई कब और किसके द्वारा हुई ?- गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा ,सन 2002 में किस स्थल से नीले रंग के शैलचित्र मिले ? - हुडली - उत्तरकाशी 


3-8 ताम्र मानवाकृतियों की प्राप्ति गई है - बनकोट क्षेत्र पिथौरागढ़ 


4-किस प्रागैतिहासिक स्थल के शैलचित्र मैं योगमुद्रा मैं मानव को चित्रण किया गया है ?-अल्मोड़ा के फलसीमा 


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