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आद्यऐतिहासिक काल के प्रमुख्य लेख और परीक्षा उपयोगी प्रशन

आद्यऐतिहासिक काल प्रमुख्य लेख- राज्य के विभिन्न स्थानों पर शिलालेख, मन्दिरलेख, गुह्यभित्तिलेख, ईंटलेख ,त्रिशूलेख, ताम्रपत्रलेख , मूर्तिपीठिकालेख ,और

आद्यऐतिहासिक काल प्रमुख्य लेख-  राज्य के विभिन्न स्थानों पर शिलालेख, मन्दिरलेख, गुह्यभित्तिलेख, ईंटलेख,त्रिशूलेख, ताम्रपत्रलेख, मूर्तिपीठिकालेख,और मुद्रा लेख आदि लेख मिले है जो इस प्रकार है-


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आद्यऐतिहासिक काल के प्रमुख्य लेख और परीक्षा उपयोगी प्रशन 


लाखामंडल, कालसी, सिरोली मण्डल, एवं माणा आदि स्थानों पर शिलालेख मिले है। 

सम्राट अशोक ने राज्य की उत्तरी सीमा पर ई.पू  257  में  कालसी (देहरादून के उत्तर टांस और यमुना के संगम पर) मैं स्थापित किया था । यह लेख पालिभाषा मैं है। इस लेख मैं यह घोषणा की गयी थी की कि उनके राज्य मैं हर स्थान पर मनुष्यों एवं पशुओं की चिकित्सा की पूरी व्यवस्था की गयी है इसमें लोगों से हिंसा को छोड़ कर अहिंसा के पथ पर चलने की बात कही गई है


उत्तराखण्ड: सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान

उत्तराखण्ड ऐतिहासिक काल (प्राचीन काल )का इतिहास

उत्तराखंड का इतिहास -प्रागैतिहासिक काल


कालसी के अभिलेख मैं यहाँ के लोगों को पुलिंद और क्षेत्र के लिए अपरांत शब्द को प्रयोग किया गया है।  


गोपेश्वर,कालीमठ,केदारनाथ,नाला के लेख मंदिरों की दीवारों पर की गई है। 


देहरादून के जौनसार भबर स्थित लाखामंडल से राजकुमारी ईश्वरा  का शिलालेख मिला है,इसके अनुसार यमुना उपत्यका मैं यादवों राज्य था


देवप्रयाग (वामनगुफा ) और कल्पनाथ के गुफाओं के अंदर दीवारों पर लेख मिले है


नैनीताल व् बड़ावाला (देहरादून) से ईटों पर उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुए है। 


देवलगढ़ व् कोलसारी से मूर्तिपीठिका लेख और गोपेस्वर तथा बड़ावाला से त्रिशूल लेख दो राजाओं (नागपतिनाग और अशोकचल्ल ) के लेख है ।  6-7 वीं शती मैं नागपति नाग ने इस क्षेत्र को जीता था तथा 12 वीं शदी  मैं प. नेपाल के राजा अशोक चल्ल ने जीता था ।


प्रथम एवं द्वितीय सदी के कुषाणकालीन मुद्राएं मुनिकीरेती तथा सुमाड़ी से मिली है । 


कार्तिकपुर राजाओं के ताम्रपत्रीय लेख, पांडुकेश्वेर, कंडारा, चंम्पावत,तथा बैजनाथ आदि स्थानों से मिले है। पांडुकेश्वेर से चार 4,कंडारा से 1, तथा चंम्पावत से 1 ताम्र लेख मिला है। 


प्राचीनकालीन लेखों मैं पल्लिका (छोटेग्राम ) ग्राम,पट्टी, तथा परगना नामक इकाइयों के अलावा महत्तम (ग्राम शासक ), भृत्य (सेवक ), प्रतिहार (द्वार रक्षक ), गोप्त (रक्षक ), कोट्ट्पाल (गढ़रक्षक ), बाला अध्यक्ष (सेनानायक ), महादंडनायक (लेखा पारी ), कुलचारिक (तहसीलदार ), आदि का उल्लेख मिलता है । 


परीक्षा उपयोगी प्रशन


उत्तराखंड के आद्य -इतिहास के प्रमुख स्रोत है -पौराणिक ग्रंथ

 

उत्तराखंड का प्रथम उल्लेख किस धार्मिक ग्रंथ मैं मिलता है -ऋग्वेद मैं 


ऋग्वेद मैं उत्तराखंड क्षेत्र के लिए कहा गया है - देवभूमि एवं मनीषियों की पूर्ण भूमि 


किस ग्रन्थ मैं उत्तराखंड क्षेत्र के लिए उत्तर-कुरु शब्द प्रयुक्त किया गया है - ऐतरेव ब्राह्मण मैं 


स्कंदपुराण मैं उत्तराखंड क्षेत्र की सर्वाधिक चर्चा है ।  इसमें इस क्षेत्र को क्या नाम दिया गया है ?-मानसखण्ड और केदारखण्ड 


हरिद्वार (मायाक्षेत्र ) से हिमालय तक के विस्तृत क्षेत्र को स्कंदपुराण मैं क्या कहा गया है -केदारखण्ड (गढ़वाल क्षेत्र )


स्कंदपुराण मैं नंदादेवी पर्वत से कलागिरि तक के क्षेत्र तो कहा गया है - मानसखंड (कुमाऊ क्षेत्र) 


मानसखंड और केदारखंड के सयुक्त क्षेत्र को पुराणों मैं कहा गया है - उत्तर -खंड,ब्रह्मपुर , एवं खसदेश 


पालिभाषा के बौद्ध साहित्य मैं उत्तराखंड क्षेत्र के लिए प्रयुक्त शब्द - हिमवंत 


गढ़वाल क्षेत्र को पहले कहा जाता था -बद्रिकाश्रम क्षेत्र ,तपोभूमि एवं केदारखंड 


मनुष्यों के आदि पूर्वज मनु का निवास स्थान था - अल्कापुरी 


गणेश, नारद, मुकचंद, व्यास, एवं स्कन्द गुफाएं स्थित है - बद्रीनाथ के पास 


भगवान राम ने अपने अंतिम समय मैं किस स्थान पर तपस्या की थी -तपोवन (टिहरी गढ़वाल ) मैं 


केदारनाथ को प्राचीन ग्रंथो मैं कहा जाता है -भृगतुंग 


महाभारत के किस पर्व मैं लोमश ऋषि के साथ पांडवों की बद्रीनाथ यात्रा का वर्णन है - वन पर्व मैं 


महाभारत के वनपर्व के अनुसार पुलिंद राजा सुबाहु की राजधानी थी - श्रीनगर 


प्राचीन  क्षेत्र मैं  विद्यापीठ थे - बद्रिकाश्रम और कण्वाश्रम 


दुश्यंत और शकुंतला का प्रेम प्रसंग जुड़ा है - कण्वाश्रम मैं 


जिसके नाम पर नाम भारत पड़ा,उसी सम्राट भरत का जन्म कहा हुआ - कण्वाश्रम मैं 


कण्वाश्रम किस नदी के तट पर स्थित है -मालिनी 


 परचिनकाल मैं गढ़वाल क्षेत्र मैं खास जातियों ( इन्हे आर्य भी कहा  जाता है ) की प्रधानता थी । इनके समय अधिक हुआ - बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार 


गढ़वाल क्षेत्र का वह कोन सा नगर है, जिसको गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहा जाता है - कोटद्वार 


कुमाऊ का पौराणिक नाम है - मानसखण्ड 


पौराणिक काल के बाद के ग्रंथों मैं कुमाऊ क्षेत्र के लिए प्रयुक्त नाम है - कुर्मांचल 


कुमाऊ क्षेत्र का सर्वाधिक उल्लेख किस पुराण मैं है? -स्कंदपुराण मैं 


किस पुराण मैं कुमाऊ क्षेत्र मैं किरात, किन्नर, यक्ष, गन्धर्व, विद्याधर, नाग, आदि जातियों के निवास करने का उल्लेख है ? -महाभारत मैं 


अल्मोड़ा के जाखन देवी मंदिर से किसके निवास की पुष्टि होती है - यक्षों की  


कुमाऊ क्षेत्र मैं स्थित अनेक नाग मंदिरों से पुष्टि होती है ? -नागों के निवास की 


सबसे प्रसिद्ध नाग मंदिर बीनाग या बेनीनाग अवस्थित है - पिथौरागढ़ मैं 


कुमाऊं  क्षेत्र मैं बौद्ध धर्म का पचार हुआ - खसों के समय  


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