कंप्यूटर के मुख्य भाग एवं उनके कार्य (Main Componets of a Computer and there Functions)
कम्प्यूटर के मुख्य भाग निन्म है-
- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट(Centeal Processing Unit) |
- कन्ट्रोल यूनिट(Control Unit) |
- अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट(Arithmetic Logic Unit-ALU) |
- मैमोरी (Memory) -
- आउटपुट यूनिट(Output Unit) |
कंप्यूटर की मैन मैमोरी दो प्रकार की होती है :-
- रैम (RAM-Random Access Memory)
- रोम (ROM-Read Only Memory) -
रोम के अन्य प्रकार -
- प्रोम (PROM- Programmble Read Only Memory)
- इम्प्रोम(EPROM-Erasable Programmble Read Only Memory)
कम्प्यूटर के मुख्य भाग एवं उनके कार्य ( Main Components of a Computer and thire Functions) -
सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Centeal Processing Unit) -सी.पी.यू कंप्यूटर का दिमाग होता है | इसका मुख्य कार्य प्रोग्रामों (Programs) को क्रियांविंत (Execute) करना हैं |
इसके आलावा सी.पी.यू कंप्यूटर के सभी भागों ,जैसे --मेमोरी ,इनपुट,और डाटा, इसके नियंत्रण मैं मेमोरी मैं संग्रहित होते है | इसी के नियंत्रण मैं आउटपुट स्क्रीन (Screen) पर दिखाई देता है या प्रिंटर के द्वारा कागज पर छपता है |
माइक्रो कंप्यूटर मैं सी.पी.यू (CPU) एक छोटा सा माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) होता है | अन्य कम्प्यूटरों में एक से आदिक माइक्रोप्रोसेसर हो सकते है | इस सी.पी.यू के माइक्रोप्रोसेसर पर तीन भागों का परिपथ(Circuit) होता है ,वे है -सी.यू (CU) , ए.ऐल.यू (ALU) और रजिस्टर (Register) |
माइक्रोप्रोसेसर के अविष्कार से पहले कंप्यूटर का परिपथ (Circuit) ट्रांजिस्टरों को संयोजित करके तैयार किया जाता था | कंप्यूटर को अधिक कार्यकुशल और बहुपयोगी बनाने के लिए इसके परिपथ मैं ट्रांजिस्टरों ( Transistors) की संख्या मैं अत्यधिक वृद्धि होती गई |
इससे ट्रांजिस्टरों का परिपथ जटिल होता गया और परिपथ में और अधिक ताप (Temperature) उत्पन होने से इनके ख़राब होने की समस्या उत्पन होती गई अतः एक ऐसे चिप (Chip) की आवश्यक्ता होती गई जिसमें अनेक ट्रांजिस्टरों के तुल्य परिपथ हो |
सबसे पहले माइक्रोप्रोसेसर सन 1970 मैं इंटेल कॉर्पोरेशन ने Intel 4004 के रूप मैं तैयार किया | Intel 4004 चिप मैं लगभग 2300 ट्रांजिस्टर के बराबर क्षमता थी माइक्रोप्रोसेसर का चिप आधे इंच का वर्गाकार (Square ) सिलिकॉन पदार्थ का टुकड़ा होता है जो एक खोल (Case ) मैं छोटे-छोटे कनैक्टर्स (Connectors ) के साथ व्यवस्थित रहता है |
Intel 4004 चिप के बाद माइक्रोप्रोसेसर की तकनीक विकसित होती गई और अधिक ट्रांजिस्टरों (Transistors ) के बराबर उनका परिपथ होता गया |
कंट्रोल यूनिट ( Control Unit )- यह भाग कंप्यूटर की आतंरिक क्रियाओं का संचालन करता है | यह इनपुट /आउटपुट क्रियाओं को नियंत्रित करता है ,साथ ही मेमोरी और ALU के मध्य डाटा के आदान-प्रदान को निर्देशित करता है |
यह प्रोग्राम को क्रियान्वित करने के लिए प्रोग्राम के निर्देशों को मेमोरी में से प्राप्त करता है | निर्देशों की विधुत-संकेतों (Electric Signals ) में परिवर्तित करके ये उचित डिवाइसेज तक पहुँचता है , जिससे डाटा प्रक्रिया का कार्य सम्पन हो जाय |
कंट्रोल यूनिट ,ALU को यह बताती है की प्रक्रिया हेतु डाटा,मेमोरी में कहाँ उपस्थित है , क्या क्रिया करनी है प्रक्रिया के पश्चात परिणाम मेमोरी में संगृहीत होना है | इन सभी निर्देशों के विधुत संकेत,सिस्टम बस (System Bus ) की नियंत्रक बस (Control Bus ) के माध्यम से कंप्यूटर के विभिन्न भागों (Components ) तक संचरित होता है |
अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit -ALU )--- यह यूनिट डाटा पर अंकगणतीय क्रियांए और तार्किक क्रियांए (Logical Operations ) करती है | इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होता है जो बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic ) की गणनाये करने में सक्षम होता है |
ए.ऐल.यू सभी गणनाओं को पहले सरल अंकगणितीय क्रियाये में बाँट लेता है, जैसे- गुणा (Multiplication ) को बार-बार जोड़ने की क्रिया में बदलना | इन्हे विधुत पल्स ( Pulse ) में बदल कर परिपथ में आगे संचारित किया जाता है |
तार्किक क्रियाएँ (Logical Operations ) में ए. एल.यू दो संख्याओं या डाटा की तुलना करता है और प्रक्रिया (Processing ) में निर्णय लेने का कार्य करती है |
" अनेक तारों( Wires ) का समूह बस (Bus ) कहलाता है ,यह बस सिस्टम यूनिट के विभिन्न भागों में विघुत -संकेतों का संचरण करती है | संचरित किये जाने वाले संकेतों के अनुसार बस (Bus ) नाम दिया जाता है ,जैसे- सिस्टम यूनिट की कुछ बस 'सिस्टम बस'(System Bus) और कंट्रोल संकेतों के लिए बस 'कंट्रोल बस' कहलाती है" |
ए.एल.यू (ALU ), कंट्रोल यूनिट से निर्देश या मार्गदर्शक लेता है | यह मेमोरी से डाटा प्राप्त करता है और मेमोरी में ही सूचना (Information ) को लौटा देता है |
ए.एल.यू (ALU ) कार्य करने की गति अति तीव्र होती है | लगभग 1000000 गणनाये प्रति सेकंड की गति से करता है | इसमें कई रजिस्टर (Registers ) और एक्युमुलेटर (Accumulators ) होते है जो गणनाएं के दौरान Momentary Collection का कार्य करती है |
ए.एल.यू प्रोग्राम के आधार पर कण्ट्रोल यूनिट के बताये अनुसार सभी डाटा मेमोरी से प्राप्त करके एक्युमुलेटर (Accumulators ) मैं रख लेता है |
मैमोरी (Memory )- मेमोरी कंप्यूटर का कार्य कारी संग्रह (Working Storage ) है | यह कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जहां डाटा,सुचना,और प्रक्रिया के दौरान स्थित रहते है और आवश्य्कता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध होते है |
मेमोरी को प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory ) या मेन मेमोरी (Main Memory ) भी कहते है जिनकी संख्या निश्चित होती है यह मेमोरी की क्षमता या मेमोरी का आकर (Memory Size ) कहलाता है ,जैसे-256 KB ,512 MB ,1GB आदि |
प्र्त्येक स्थान (Location ) का एक एड्रेस (Address ) होता है ,उसी प्रकार मेमोरी मैं प्र्त्येक स्थान की एक पहचान-संख्या होती है | यह पहचान संख्या ही इसका एड्रेस (Address ) कहलाती है
कंप्यूटर की मेन मेमोरी दो प्रकार की होती है -
(A ) रैम (RAM ) या RANDOM ACCES MEMORY
(B ) रोम (ROM ) या READ ONLY MEMORY
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(A ) रैम (RAM) -रैम या रैण्डम एक्सेस मैमोरी कंप्यूटर की अस्थायी मेमोरी होती है | की-बोर्ड या अन्य किसी इनपुट डिवाइसेस से इनपुट किया गया डाटा,प्रक्रिया से पहले रैम (RAM) मैं ही संग्रहीत (Stored ) होता है और सी.पी.यू द्वारा आवश्यकतानुसार वहां से प्राप्त कर लिया जाता है |
रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थायी रूप से संग्रहीत (Storage ) रहते है कंप्यूटर को बंद (off ) करने पर रैम (RAM) मैं Storage Data मिट जाता है | इसलिए RAM को वोलेटाइट (Volatile ) या अस्थायी मेमोरी (Temporary Memory ) कहते है | रैम (RAM) की क्षमता या आकार (Size ) विभिन्न होते है, जैसे-1 MB ,2 MB 32 MB ,512 MB,1GB ,4GB आदि |
रोम (ROM )-READ ONLY MEMORY - यह स्थायी मेमोरी होती है जिसमें कंप्यूटर के निर्माण के समय प्रोग्राम स्टोरेज कर दिए जाते है | इस मेमोरी मैं स्टोरेज प्रोग्राम परिवर्तित (Changed ) और नष्ट (Destroyed ) नहीं किया जा सकता है | उन्हें केवल पढ़ा ही जा सकता है ,इसलिए यह मेमोरी ,रीड ओन्ली मेमोरी (Read Only Memory ) कहलाती है |
जब हम कंप्यूटर को स्विच ऑन करके इसे चालू करते है तो रोम (ROM ) मैं स्थायी रूप से स्टोरेज प्रोग्राम स्वतः ही क्रियांविंत (Executed ) हो जाते है | ये प्रोग्राम कंप्यूटर की सभी डिवाइसेस को जाँच कर उन्हें सक्रिय (Active ) अवस्था मैं लाते है |
रोम (ROM ) मैं उपस्थित यह अस्थायी प्रोग्राम बायोस (BIOS -Basic Input System ) के नाम से जाने जाते है | रोम (ROM ) के अन्य आवशयक प्रोग्राम और गणतीय मानकों की सारणी (sin ,cos ,tan square root ,) आदि के मान स्टोरेज रहते है | जिनका उपयोग प्रक्रिया के दौरान होता है |
कंप्यूटर का स्विच ऑफ करने के बाद भी रोम (ROM ) मैं स्टोरेज अवयव (Components ) नष्ट नहीं होते है | अतः रोम (ROM ) नॉन-वालेटाइल (Non -Valatile ) या स्थायी संग्रह माध्यम (Permanent Storage Medium ) कहलाते है |
रोम (ROM ) एक सेमी -कन्डक्टर चिप (Semi -Conductor Chip ) होती है, जिसमें प्रोग्राम व सॉफ्टवेयर (Software ) स्टोरेज रहते है | इस प्रकार की 'हार्डवेयर' 'और सॉफ्टवेयर' की संयोजित (Combined ) तकनीक फर्मवेयर (Firmware ) कहलाती है | रोम (ROM ) एक Firmware है | रोम (ROM ) के अन्य प्रकार या Firmware निम्नलिखित है -
(a ) प्रोम (PROM -Programmble Read Only Memory ) -- PROM एक ऐसा रिक्त Rom होता है जिसमें आवश्यकता होने पर विशेष उपकरणों द्वारा प्रोग्राम स्टोरेज किया जा सकता है और एक बार स्टोरेज होने पर इन्हे मिठाया नहीं जा सकता है |
(b ) इम्प्रोम (EPROM -Erasable Programmble Read Only Memory ) -यह प्रोम (Prom ) के सामान ही होता है लेकिन इसमें स्टोरेज प्रोग्राम पराबैगनी प्रकाश (Ultraviolet Light ) की उपस्थिति मैं मिठाये जा सकते है और नए प्रोग्राम स्टोरेज किये जा सकते है
नई तकनीकी के इम्प्रोम (EPROM) भी होते है ,जैसे -Electrical Erasable Programmable Read Only Memory
५ आउटपुट यूनिट (Output Unit )- यह ऐसा यूनिट है जो कंप्यूटर से प्रक्रिया के पश्च्यात सुचना और परिणामों को कंप्यूटर के बाहरी वातावरण मैं प्रतुत करती है | आउटपुट यूनिट के लिए मुख्य आउटपुट डिवाइस स्क्रीन (Screen ) या मॉनिटर (Monitor ) होता है |
मॉनिटर मैं एक टीवी के सामान कैथोड किरण ट्यब (Cathode Ray Tube- CTR ) होता है इसके अलावा अन्य निम्लिखित आउटपुट डिवाइसेस भी कम्प्यूटर से प्राप्त आउटपुट को हमें प्रस्तुत करता है
(a ) प्रिंटर (Printer )
(b ) प्लाटर (Plotter )
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