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बच्चो के लिए खतरनाक है ब्लू लाइट यानी गेजेट्स की रोशनी |
बच्चो के लिए खतरनाक है ब्लू लाइट यानी गेजेट्स की रोशनी
Screen Exposure बच्चों में स्क्रीन एक्सपोजर बढ़ रहा है , इस खतरे को घटाइए यानी गैजेट्स की रोशनी Blue Light कितनी खतरनाक है ?रिसर्च गेट के एक शोध के अनुसार 8 साल की उम्र तक के बच्चे 5 घंटे तक मोबाइल पर बिता रहे हैं । बढ़ा हुआ यह स्क्रीन टाइम कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है ।
ये 6 बड़े खतरे है स्क्रीन एक्सपोजर,मोबाइल( गैजेट्स ) की रोशनी से जुड़े हुए हैं -
रेटिना को क्षति
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बच्चो के लिए खतरनाक है ब्लू लाइट यानी गेजेट्स की रोशनी |
कैंसर
रात में ब्लू लाइट के एक्सपोजर और नींद के प्रभावित होने के बीच संबंध पाया गया है । इससे ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ता है ।
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मोटापा
मेलाटोनिन और नींद के साथ ही ब्लू लाइट भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को भी प्रभावित करती है । इससे मोटापे का खतरा बढ़ता है ।
अवसाद Depression-
ब्लू लाइट के कारण जिनका मेलाटोनिन प्रभावित हो चुका है और बॉडी क्लॉक बिगड़ गई है उनमें अवसाद की आशंका सर्वाधिक होती है ।
न्यूरोटॉक्सिन
नींद के लंबे समय से प्रभावित होने के कारण शरीर में न्यूरोटॉक्सिन का निर्माण होने लगता है , जिससे अच्छी नींद की संभावना और कम हो जाती है ।
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कमजोर मेमोरी
नींद के प्रभावित होने के कारण ध्यान आसानी से भंग हो जाता है , जिससे याददाश्त प्रभावित होती है ।
आंखों से जुड़ी 3 खराब आदतें
स्क्रीन का बहुत नजदीक होना
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर बहुत नजदीक से देखने के कारण ब्लू लाइट आंख के मैक्युलर को क्षति पहुंचा सकती है । पलकों का झपकना कम होता है । आंखों में ड्राइनेस , दर्द और थकान बढ़ती है ।
• न्यूयार्क के सनी कॉलेज ऑफ ऑप्टोमेट्री के अनुसार गैजेट 40 सेमी की दूरी पर रखें । फॉन्ट बड़ा रखें ।
तनाव भी आंखों के लिए खतरा
स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल रेटिना की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है । इससे सेंटर सीरियस कोरियो - रेटिनोपैथी का खतरा बढ़ता है , जिससे धुंधला दिखाई देने लगता है ।
• ब्रिटेन में हुए एक शोध के अनुसार एक घंटे का म्यूजिक कॉर्टिसोल हार्मोन को 25 % तक घटाता है ।
हरी सब्जियां कम खाना
हरी सब्जियों में लुटीन जैसे न्यूट्रियन्ट्स होते हैं , जो मैक्युलर डिजनरेशन से बचाते हैं ।
•एक शोध के अनुसार एक कप पालक रोज खाने से ग्लूकोमा का खतरा 30 % तक कम होता है । .