Power of The Positive Thinking: Past और Future को मन में पालना ही Negativity की जड़ है, भविष्य, आमतौर पर अतीत की ही प्रतिकृति या कहें कि उसका अक्स हुआ करता है। कुछ सतही बदलाव भले ही हो जाते हों, लेकिन वास्तविक रूपांतरण शायद ही कभी होता हो, और वह भी इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या आप वर्तमान में इतना विद्यमान रह सकते हैं कि अतीत का अंत ही कर दें?
कल्पना करिए कि आप करोड़ों रुपए जीत गए हैं, फिर आपकी Life किस तरह बदल जाएगा। जीवन स्थायी रूप से बदलेगा या धन आने से वे बदलाव सतही ही होंगे? भले ही आप अमीर हो जाएं लेकिन अपने कामधाम उसी संस्कारग्रस्त ढर्रे के साथ केवल थोड़े अधिक विलासितापूर्ण वातावरण में कर रहे होंगे। फिर सवाल है कि जीवन में वास्तविक बदलाव कैसे होंगे?
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अगर आपका मन अतीत का बोझ उठाए चल रहा है तो आपको वह बोझ बढ़ता हुआ ही लगेगा। वर्तमान के अभाव में ही अतीत खुद की निरंतरता बनाए रखता है। वर्तमान में चैतन्यता या जागरूकता की जैसी अवस्था होगी, वैसा ही आपके भविष्य का स्वरूप होगा जो कि, वास्तव में 'अब' के रूप में ही अनुभूत किया जा सकता है।
हमारे जीवन में जितनी भी Negativity है, वह मानसिक समय का संग्रह करने और वर्तमान का परित्याग करने के कारण होती है। सरल अर्थों में कहें तो हम कल्पना लोक में जीते रहते हैं। बेचैनी, व्यग्रता, तनाव, दबाव, चिंता ये सब भय के ही रूप हैं, और जरूरत से ज्यादा भविष्य को पालने और पर्याप्त रूप से वर्तमान में न रहने के कारण ही ये भय पैदा होते हैं।
अपराध भाव, पश्चाताप, कुढ़न, व्यथा, शिकायत, उदासी, कटुता और क्षमा न करने का कोई भी रूप ये सभी जरूरत से ज्यादा अतीत को पालने और पर्याप्त रूप से वर्तमान में न रहने के कारण ही पैदा होते हैं। अधिकतर लोगों के लिए यह विश्वास करना मुश्किल लगता है कि चैतन्यता की अवस्था में नकारात्मकता से पूरी तरह मुक्त हो जाना संभव हो जाता है।- एकहार्ट टॉल्ल की किताबदपावर ऑफनाउ से साभार
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