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Child Future: बच्चो को रूचि के अनुसार कॅरिअर चुनने का अवसर दें

Planning for Child Future: प्रतिस्पर्धा के दौर में अब बच्चों को पढ़ाई के साथ कुछ एक्टिविटीज में भी माहिर होना जरूरी है । इसके लिए एक्टिंग जैसे कई विकल्प मौजूद हैं । आप अपने बच्चे के लिए किस विकल्प को चुनना चाहती हैं ? एक्टिंग क्लासेस में उन बच्चों का डर और झिझक खत्म हो जाती है, जो अपनी बात नहीं कह पाते हैं.


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Planning for Child Future


आज के दौर में बच्चों के बहुमुखी विकास के लिए यह जरूरी है कि पढ़ाई के साथ - साथ उन्हें कुछ अन्य रचनात्मकता गतिविधियों वाले क्षेत्रों से भी परिचित कराया जाए । इस तरह की गतिविधियों से उनका मानसिक और शारीरिक विकास तो होता ही है , कई बार यह उनके भविष्य में कॅरिअर के संभावित विकल्प भी बनने में सहायक होती हैं ।


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इन विकल्पों में अभिनय के अलावा संगीत व नृत्य और चित्रकला जैसी बहुआयामी गतिविधियां हो सकती हैं ।या इन से बेहतर बहुत कुछ और इसके लिए आपको अपने बच्चे की नब्ज भी टटोलनी होगी कि उसकी रुचि किस कला में है । 


एक्टिंग : अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा तरह - तरह की बातें करने और लोगों की नकल उतारने में माहिर है तो आप उसका दाखिला थिएटर, ड्रामा, पपेट्री यानी कठपुतली आदि की एक्टिंग क्लासेस में करा सकती हैं । आज के समय में कई ड्रामा और थिएटर स्कूल चल रहे हैं । बच्चे इस तरह की क्लासेस में खूब मस्ती करते हैं, क्योंकि वहां उन्हें क्लास के दौरान किसी कहानी या गाने पर ही ड्रामा या एक्टिंग कराई जाती है ।


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इन क्लासेस में बच्चों को अभिनय की बारीकियां सिखाते हुए प्रशिक्षण दिया जाता है । एक और खास बात यह है कि इन सबके बीच वे कैमरे का सामना करना भी सीख जाते हैं । इन क्लासेस में ऐसे बच्चों का डर और झिझक भी खत्म हो जाती है, जो अपनी बात समाज या घर - परिवार में कहने से घबराते हैं । 


नृत्य और संगीत : टीवी पर आजकल तरह तरह के म्यूजिक और डांस प्रोग्राम देखने को मिलते हैं । इनमें से कई तो केवल बच्चों के लिए ही हैं । जाहिर है कि आज के बच्चों में कितना हुनर है , बस जरूरत है उनकी इस रचनात्मकता को एक सही दिशा में आगे बढ़ाने की । अगर आपका बच्चा भी नृत्य या संगीत की किसी भी विधा में रुचि रखता है तो आप उसे लोक गीत, शास्त्रीय संगीत, गजल, भजन, पॉप म्यूजिक और फिल्मी डांस, सांस्कृतिक नृत्य, बैली, कत्थक, जुंबा, हिपहॉप, सालसा आदि सिखा सकती हैं ।


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इसके अलावा गिटार, ड्रम, ढोलक, तबला, पियानो जैसे संगीत साज भी सिखवा सकती हैं । आजकल तो नृत्य और संगीत सिखाने वाले संस्थान कई शॉर्ट टर्म कोर्सेस भी चलाने लगे हैं । संगीत और नृत्य के लिए चलने वाली हॉबी क्लासेस में सभी तरह के नृत्य के शुरुआती गुर सिखाए जाते हैं । 


आर्ट एंड क्राफ्ट : ड्रॉइंग और क्राफ्ट एक ऐसा विषय है, जो अधिकांश स्कूलों के पाठ्यक्रम में भी शामिल है । अक्सर देखा जाता है कि बच्चों का मन इनमें खूब रमता है । ऐसे में आप भी उनके साथ बैठकर अपनी रचनात्मकता दिखा सकती हैं । जब आप रंगों का प्रयोग करते हुए कुछ बनाती हैं तो उससे बच्चे भी प्रेरणा लेते हैं । इस तरह की गतिविधि से बच्चे जहां आपसे कुछ सीखते हैं, वहीं आप भी अपने बचपन की यादें ताजा कर पाती हैं । आज के उपभोक्तावादी दौर में तो कई बड़े ब्रांड्स ने एडल्ट कलरिंग बुक्स भी बाजार में उतार रखी है । 


इसके अलावा बच्चों को आप अलग से पेंटिंग्स क्लास में भी भेज सकती हैं । कैनवास पर जब बच्चे अपनी रचनात्मकता दिखाते हैं तो वो मन को अलग ही आनंद देता है । इसलिए कोबाल्ट ब्लू, एक्सॉटिक ऑरेंज, सनी यलो और केंडी एपल रेड जैसे रंगों के साथ बच्चों को रचनात्मक बनने दें । छोटे बच्चों में अपनी बनाई हर पेंटिंग के साथ उनका आत्मविश्वास बढ़ जाता है । पेंसिल और ब्रश पकड़ने से उनकी यह शुरुआत एक नामी पेंटर पर जाकर खत्म हो सकती है ।


रसोई घर जहां बच्चे सीखेंगे भी और बढ़ेंगे भी ।


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