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Itni Bhi Suvidha Na De Moral Story in Hindi | इतनी भी सुविधा न दें दिल छू लेने वाली लघुकथा

Short Moral Stories:-जो काम कभी सीखा ही नहीं, उसे न कर पाने की घोषणा करना तो ठीक है, लेकिन उसे स्त्रियोचित कहकर जिस तरह पुरुष नकार देते हैं, उससे एक ग़लत सोच को और बल मिलता है। बेटों को इतनी सुविधा भी न दें कि उन्हें अपने काम करवाना हक़ लगने लगे। 

Itni Bhi Suvidha Na De Moral Story,

Itni Bhi Suvidha Na De Moral Story in Hindi 

Hindi Kahani: सुबह स्कूल जाने का समय होते ही ऋषि और रिया हर सुबह स्कूल में झगड़ा शुरू हो जाता। रीमा एक ओर किचन संभालती, दूसरी ओर राज और बच्चों को नाश्ता कराती। तीसरी ओर मशीन में कपड़े डालती, बर्तन सिंक में डालकर अपना लंच पैक करती और भागते हुए नौकरी पर जाती। इस बीच बच्चों का यह झगड़ा राज कभी बच्चों के झगड़े में पड़ता ही नहीं था। रीमा कभी इस बारे में राज से कुछ कहती तो उसके पास एक ही जवाब होता था, 'मुझे गुस्सा आ जाता है। मार देता हूं तो कहती हो कि बच्चों पर हाथ नहीं उठाना चाहिए।' इस एक जुमले के साथ उसके हिस्से का काम ख़त्म हो जाता।

ऐसे अनुभव अधिकांश कामकाजी दंपतियों के होते होंगे। लेकिन टीनएज में पहुंच चुके ऋषि- रिया के घर एक दिन कुछ और भी घटा....

उस दिन सुबह से ही ऋषि, रिया को परेशान कर रहा था। 'रिया, मेरा स्कूल बैग ले आओ। रिया, तुमने मेरा लंच बाक्स क्यों नहीं रखा? रिया, तुमने अपनी वॉटर बॉटल भर ली, मेरी क्यों नहीं भरी ?"

रिया चिढ़ रही थी। उसने मम्मी से शिकायत की, 'मम्मी,भइया को रोको न, मुझे क्यों हैरान करता है!' 

'बेटा, तुम अपनी बोतल भरती हो तो उसी के साथ भाई की भर दिया करो। इस तरह झगड़ा मत करो।' रीमा के यह कहने पर रिया ने तुरंत कहा, 'यही बात तुम भाई से भी तो कह सकती हो। वह बड़ा है, बैग जमाने में उसे मेरी मदद करनी चाहिए। उसे मेरी वॉटर बॉटल भरकर देनी चाहिए। हमेशा तुम मुझे ही शांत रहने और काम करने को कहती हो। भाई को तो कुछ नहीं कहती हो। कुछ दिन पहले कामवाली नहीं आई थी तो मैंने घर में झाड़ लगाई थी, भाई बैठा टीवी देख रहा था। घर के काम की छोड़ो, वह अपने ख़ुद के भी काम नहीं करता। अब मैं उसका एक भी काम नहीं करने वाली।'

राज ने उसे समझाते हुए कहा, भाई का थोड़ा काम करने में इतना गुस्सा नहीं किया जाता। तुम दोनों को मिल- जुल कर रहना चाहिए।'

रिया ने पिता से संयत स्वर में कहा 'पापा, यही बात आपको भाई को भी समझानी चाहिए। इसे केवल छोटी बहन पर हुकुम चलाना आता है।'

इस पर राज तैश में आ गया, 'यह इतना गुस्सा क्यों कर रही है रीमा ? थोड़ा-सा काम करने में इतनी किचकिच ! यह सब कौन सिखाता है इसे ?'

'कोई नहीं सिखाता पापा। मैं अपनी सभी फ्रेंड्स के घरों में देखती हूं. सभी लड़कियों को ही काम करने की सलाह देते हैं, जबकि लड़कों को भी बराबर काम करना चाहिए। और प्लीज, आप भी थोड़ी मम्मी की मदद किया कीजिए। बेचारी पूरा दिन काम करती रहती हैं।' इतना कहकर रिया घर से तेजी से निकल गई। पर घर का वातावरण तनावपूर्ण हो गया।

राज को लगा कि रीमा यह सब सिखाती है। रीमा को लगा कि रिया की बात सच है। ऋषि भी कुछ बोले बगैर चला गया।

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