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सच तो यह है-हिंदी शार्ट मॉरल स्टोरी | Sach to Yahi Hai Short Hindi Story

Hindi Short Story: "सच तो यह है" एक हिंदी छोटी कहानी है जो एक विकलांग ससुर के जीवन बहु के उनके प्रति सम्मान बारे में है। इस कहानी के मुख्य किरदार रतन जी हैं। "सच तो यह है" एक अनोखी लघुकथा है एक बहु जो घर ऑफिस के साथ साथ विकलांग पिता समान ससुर की सेवा करती है। 

उम्र और कमज़ोरी के चलते रतन जी से अक्सर भूलें हो जातीं और बहू को दोगुना काम करना पड़ता। बहू ने इस बारे में पति से कहा भी था, रतन जी को अहसास था, पर सच्चाई यह नहीं थी।

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सच तो यह है Sach to Yahi Hai Short Hindi Story

Unique Short Hindi Story: झन..झन..झनाक ! झन स्टील का गिलास रतन जी के हाथ से छूटकर, लुढ़कता हुआ दूर चला गया। 75 साल के रतन जी की आंखों में शर्म और चेहरे पर मायूसी छा गई।

दो साल पहले हृदयाघात के बाद, उनके हाथ थरथराने लगे थे। व्यायाम एवं प्राणायाम से अब तो किसी चीज को पकड़ने की कोशिश करने लगे हैं परंतु कभी-कभी असफल हो जाते हैं।

नीचे फैले पानी को, अपने कमजोर पैरों से पोंछने में लग गए थे। अब पैर पोंछने का पायदान भी पैरों से घसीटा नहीं जाता था उनसे।.

'बाबूजी से बहुत काम बढ़ जाता है मेरा। अरे घर में बैठने वाली बहू भी दिन भर सेवा नहीं कर सकती उनकी। मैं जानती हूं कि मैं कैसे ऑफिस और घर संभालती हूं।' चार दिन पहले ही रतन जी की बहू अलका ने उनके बेटे दीपक को सुनाया था।

'सचमुच, बहू बहुत थक जाती है। नौकरी, घर परिवार और फिर अर्धअपंग मुझे संभालना।' रतन जी की आंखें छलक पड़ीं।

पैरों के तले से पायदान हट गया था और बहू कपड़ा लिए पानी साफ़ कर रही थी। शायद अभी ही ऑफिस से घर पहुंची है।

'माफ़ करना बहू, ऑफिस से आते ही तुम्हें मेरे कारण फर्श पोंछना पड़ा।' दीन भाव से रतन जी बोल पड़े।

हाथ धोकर बहू रतन जी के सामने बैठ गई और उनकी आंखों से आंसू पोंछ कर कहने लगी, 'बाबूजी, आप अपराध बोध से ग्रस्त होते जा रहे हैं। आप अपनी तरफ से बहुत कोशिश कर रहे हैं। हम सब आपके साथ हैं बाबूजी। मेरी गुस्से में कही बातों पर ध्यान मत दीजिएगा। आपका ध्यान मुझे ऑफिस में भी रहता है।' कहती हुई अलका चाय बनाने चली गई।

'आज जल्दी कैसे आ गई बहू?' रतन जी ने आवाज़ लगाई।

'ऑफिस के लोग सामाजिक सेवा के तहत एक संस्था जा रहे थे। मैं घर आ गई। आप घर में अकेले हैं, तो ऐसे किसी संस्था में कोई मदद करके मुझे कोई नेकी कहां से मिलती।' अलका की आवाज़ से रतन जी के हृदय में स्नेह और आशीर्वाद की लहरें उमड़ने लगीं।

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