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दृष्टिहीन होने के बावजूद दिव्यांगों को वित्तीय साक्षर कर रहे राहुल केलापुरे

दृष्टिहीन होने के बावजूद दिव्यांगों को वित्तीय साक्षर कर रहे,10 हजार लोगों को ट्रेनिंग दी,सेबी में कार्यरत राहुल फाइनेंशियल लिटरेसी के मिशन पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी ) के अनुसार देश में महज 27 फीसदी लोग ही वित्तीय साक्षर हैं। हालांकि डिसएब्ल यानी दिव्यांग लोगों की वित्तीय साक्षरता के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। 

लेकिन विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार देश के 2.1 करोड़ दिव्यांगों में वित्तीय साक्षरता का औसत बेहद कम है। दिव्यांगों की इसी जरूरत को देखते हुए 38 साल के राहुल केलापुरे उन्हें वित्तीय रूप से साक्षर बनाने के मिशन पर हैं। 

दृष्टिहीन होने के बावजूद दिव्यांगों को वित्तीय साक्षर कर रहे,10 हजार लोगों को ट्रेनिंग दी

गोल्डमैडलिस्ट हैं,50 से ज्यादा वर्कशॉप आयोजित कर चुके हैं 

महाराष्ट्र के चंद्रपुर में जन्मे राहुल केलापुरे जन्म से ही जेनेटिक बीमारी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से ग्रसित हैं। दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। वह गवर्मेंट लॉ कॉलेज मुंबई से गोल्ड मैडलिस्ट हैं। इसके बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज़ मार्केट से सिक्योरिटी लॉ में कोर्स किया।

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सेबी के लीगल विभाग में असिस्टेंट लीगल एडवाइजर राहुल 2018 से अब तक 50 वर्कशॉप में 10 हजार से ज्यादा दिव्यांगों को फाइनेंशियली रूप से आत्मनिर्भर बनने की जानकारी दे चुके हैं। वह कुल 25 हजार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। अपनी वित्तीय सवालों के लिए rkelapure@gmail.com के जरिए भी संपर्क कर सकते हैं।

राहुल बताते हैं कि देश में लोग अभी भी बिना सोचे-समझे निवेश करने हैं। गलत सलाह से गलत उत्पादों में पैसा लगा देते हैं और जरूरत के समय उन्हें पैसा नहीं मिलता। दिव्यांग लोगों की स्थिति तो और भी खराब है। आर्थिक मामलों में उनकी निर्भरता परिवारवालों या मित्रों पर है। रुपए-पैसों और निवेश के मामलों में दिव्यांगों पर घरवाले भी विश्वास नहीं करते। कई बार तो उनमें भी अपने बैंक खाते और निवेश आदि को संभालने का आत्मविश्वास भी नहीं होता। 

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राहुल कहते हैं कि उन्होंने ऐसे कई मामले देखे हैं, जहां दिव्यांगों के रिश्तेदार या दोस्त उनके वित्तीय फैसले लेते हैं और उनके साथ धोखधड़ी करते हैं। इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए उन्होंने दिव्यांगों की जरूरतों, और खासतौर पर दृष्टिबाधित लोगों की चुनौतियों को ध्यान में रखकर उन्हें साक्षर करना शुरू किया। 

राहुल बताते हैं अब तकनीक के साथ चीजें आसान हो गईं हैं। दृष्टिबाधित लोग भी तकनीक की सहायता से अपने आर्थिक फैसले खुद ले सकते हैं। मोबाइल हो या कंम्प्यूटर, स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर के जरिए टेक्स्ट को सुन सकते हैं। इसके अलावा कम्प्यूटर पर एनवीडीए सॉफ्टवेयर भी स्क्रीन रीडर का काम करता है। ये अंग्रेजी के अलावा कई भारतीय भाषाओं में चीजें ट्रांसलेट करता है। एंड्रॉइड में टॉक बैक एप्स और सॉफ्टवेयर की मदद ले सकते हैं।

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