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MP की चंद्रकली मरकाम ने बदली 23 गांवों की तस्वीर

MP की चंद्रकली मरकाम ने बदली 23गांवों की तस्वीर:माइक्रो एंटरप्राइज के जरिए लोगों को बना रहीं आत्मनिर्भर, Chandrakali Markam की कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प से भरी हुई है। और हमें सिखाती है कि हम अपने जीवन में जो करना चाहते हैं, उसे कभी न खोएं।

चंद्रकली मरकाम और उनके द्वारा स्वाबलंभी बनी 23 गांवों की महिलाओं की Succes and Inspirational Story है, कि कैसे चंद्रकली  एक साधारण आदिवासी महिला पुरे क्षेत्र की महिलों के लिए बानी प्रेणा स्त्रोत  और किन परिस्थितियों का सामना करके अपना व्यवसाय शुरू किया। तो आइए जानते हैं Chandrakali markam के बारे में और कैसे उन्होंने बचत करके अपना इस बिजनेस को खड़ा किया -

MP की चंद्रकली मरकाम ने बदली 23 गांवों की तस्वीर:माइक्रो एंटरप्राइज के जरिए लोगों को बना रहीं आत्मनिर्भर

दोस्तों अगर आपमें कोई हुनर है?कुछ कर गुजने कि आपमें क्षमता है? दृढ़ निश्चय के साथ-साथ कुछ अलग करने की चाहत और और अपने लक्ष्य को पाने की जिद तो आप मानों की हर कठनाइयों को पार करके अपनी मंजिल को पाओगे। चाहे आपके कोई उच्च शिक्षा नहीं ,कोई अच्छा बैकग्राउंड नहीं आप किसी बड़े शहर से नहीं आदि,परन्तु अगर आप सपने देखते हो और उसे पाने का जूनून आपके अंदर है तो आप जरूर सफल होंगे,चाहे परस्तिथि कैसी भी हो 

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MP की चंद्रकली मरकाम ने बदली 23 गांवों की तस्वीर:माइक्रो एंटरप्राइज के जरिए लोगों को बना रहीं आत्मनिर्भर

39 साल की चंद्रकली (Chandrakali) एक ग्रामीण क्षेत्र जिला डिंडौरी की रहने वाली हैं,जो की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का बॉर्डर से लगा हुआ भाग है। ये क्षेत्र भौतिक सुविधा से काफी वंचित है, इस इलाके में घने जंगल साथ ही दूरस्थ स्थान होने के कारण यहाँ मोबाइल कनेक्टिविटी की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

इन दोनों प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में नक्सलियों का खतरा बना  रहता है। ना मोबाइल नेटवर्क का अच्छा होना साथ ही इस क्षेत्र में नक्सलवाद का प्रभाव इन सबके बाबजूद भी चंद्रकली अपने आस-पास के गांवों जो की  घने जंगलों के बीच बसे हुए है वहां जाकर ग्रामीण महिलाओं से मिलती है व् उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की एवं खुद का व्यवसाय करने की नई तकनीकों को सिखाती है ,जिससे महिलाएं महिलाये आत्मनिर्भर बन सके। 

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आपको बता दे कि चंद्रकली मरकाम एक उद्यमी Entrepreneur है ,जो की सिर्फ पांचवी पास है। उन्हें 2020 में  कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री( Confederation of Indian Industry सीआईआई )। (जो भारत की एक गैर-सरकारी, गैर-लाभ, उद्योग नेतृत्व तथा उद्योग प्रबंधित संगठन है),के फाउंडेशन  द्वारा उन्हें उद्यमिता कौशल Entrepreneurial Skills और ग्रामीण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए माइक्रो एंटरप्राइज श्रेणी में वुमन एक्जेम्प्लर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। 

 प्रारंभिक जीवन (early life)

MP की चंद्रकली मरकाम ने बदली 23 गांवों की तस्वीर:माइक्रो एंटरप्राइज के जरिए लोगों को बना रहीं आत्मनिर्भर

चंद्रकली मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के एक गाँव बरगा में भारिया जनजाति से है,और उनकी प्रारंभिक जिंदगी भी अन्य आदिवासी महिला की तरह ही रही है। मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी। घर का खर्च चलने के लिए मात्र 20 रुपए दिन कि मजदूरी भी बमुश्किल  से मिल पाती थी। ऐसे स्थिति में जब घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था । तो 19 साल की उम्र में उन्होंने जिंदगी में कुछ अलग करने के इरादे से बिना घर वालों को बताये हुए एक सामाजिक संस्था प्रदान के स्व-सहायता समूह से जुड़ गई।

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जीवन को बदलने वाला अनुभव Life-changing Experience

प्रदान समूह से जुड़ना  इनकी जिंदगी में एक नया बदलाव लाया। और इन्होने अपने अनुभव से कुछ समय बाद बचत का रास्ता अपनाया और एक-एक रूपए जोड़ना शुरू किया। और साथ ही अपने साथ जुड़े ग्रामीण महिलाओं को भी बचत योजना के साथ राह दिखाई एवं बचत की प्रेणा दी। 

डिंडौरी के इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में आय के बहुत ज्यादा साधन नहीं है। अब चंद्रकली मरकाम ने अपना खुद का Business शुरू करने के लिए कदम बढ़ाया और 2006 में सरकारी सहायता से एक मुर्गी पालन खोला,और अन्य ग्रामीण लोगों को उनके साथ जोड़ने के लिए एक पोल्ट्री फार्म कोऑपरेटिव बनाई। 

प्रारम्भ में उनके समूह के साथ 60 लोग जुड़े ,परन्तु आज उनके इस समूह के साथ 23 गांवों से अधिक महिलाये जुड़ चुकी हैं। उनके इस पहल से ग्रामीण जनजाति के लोगों की जिंदगी में भी बदलाव आया है। चंद्रकली कहती हैं कि शुरुआत यानि की पहला कदम हमेशा कठनाई भरा होता है,और साथ ही कहती है की एक बदलाव की पहल हो गयी है। आजभी उनका जीवन सामान्य है वह एक कमरे के घर में रहती है व् उनकी खुद की बचत 20000 रूपए है। 

पांचवी पास महिला देखती है करोड़ों का बिज़नेस 

चंद्रकली पांचवी पास महिला है व् सिर्फ अपना सिग्नेचर करना जानती हैं , लेकिन वे  कर्मठ और मेहनती है जिसके कारन आज वह 23 गावों की लगभग 500  महिला साथियों के साथ मिलकर Poultry Farming का कारोबार संभाल रही हैं। उनके साथ अन्य गांव की महिलाशक्ति ने अपने कदम बढ़ाये है और अपनी रोजी-रोटी कमेटी है। आज उनके पोल्ट्री फार्म  का  व्यवसाय का टर्नओवर लगभग 18 करोड़ के पार हो गया है, 2018-19 में 14.5 करोड़  था।

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बढ़ते व्यवसाय को देखते हुए उन्होंने अब अपने साथ एक अकाउंटेंट व् एक प्रबंधक भी रखा हुआ है। और काम का सारा लेखा-जोखा हिंदी में किया जाता है जिससे उन्हें समझने में आसानी होती है। चंद्रकली अपने आदिवासी पृष्ठ्भूमि में व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक कार्य भी करती है, वे महिलाओं और ग्रामीण लड़कियों को पढाई और Higher Education जैसे मुद्दों को उठाती है और उनको शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरित करती है। 

अब उन्होंने मुर्गीपालन के आलावा आय के स्रोत को बढ़ाने के लिए मशरूम व् सब्जी का बाग़ पर काम करना शुरू कर दिया है। इन्होने छोटी -छोटे 507 स्व-सहायता समूहों को मिलाकर एक Federation बनाया है। चंद्रकली कहती है की महिलाये पुरुषों से ज्यादा परिश्रम करती है परन्तु उन्हें किसी तरीके का भी श्रेय नहीं दिया जा जाता। जिसे देखते हुए इन्होने अब "हलचलित महिला किसान" नाम से एक  कोऑपरेटिव सोसायटी भी बनाई है। 

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