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खुशी व्यक्तिगत होकर भी पूरे परिवेश को खुशनुमा बनाती है

Happiness is personal but makes the whole environment happy Power of Positivity: हमारे जीवन का उद्देश्य खुशी प्राप्त करना है । ये सामान्य ज्ञान जैसा

The Power Positive Thinking: हमारे जीवन का उद्देश्य खुशी प्राप्त करना है। ये सामान्य ज्ञान जैसा लगता है। अरस्तू से लेकर विलियम जेम्स जैसे पाश्चात्य दार्शनिकों ने इस विचार का समर्थन भी किया है। लेकिन क्या व्यक्तिगत प्रसन्नता तलाशना, आत्म केंद्रित होने जैसा नहीं है? जरूरी नहीं है।


Power of Positivity: खुशी व्यक्तिगत होकर भी पूरे परिवेश को खुशनुमा बनाती है


कई सर्वेक्षण बताते हैं कि दुखी रहने वाले लोग अधिक आत्म केंद्रित होते हैं और सामाजिक तौर पर गैर-मिलनसार, विचारमग्न, यहां तक कि प्रतिरोधी होते हैं। इसके विपरीत, खुश रहने वाले लोग अधिक मिलनसार, मृदु और रचनात्मक होते हैं। वे दुखी लोगों की तुलना में जीवन की दैनिक समस्याओं को ज्यादा आसानी से सुलझा लेते हैं।


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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खुश रहने वाले लोग दुखी रहने वाले लोगों की अपेक्षा अधिक स्नेही एवं क्षमाशील होते हैं। शोधकर्ताओं ने कई तरह के रोचक प्रयोग द्वारा यह दर्शाया है कि खुश रहने वाले लोगों में खुलापन, दूसरों से बात करने तथा उनकी मदद करने की इच्छा जैसे गुण होते हैं। प्रयोग इस अवधारणा का खंडन करते हैं कि निजी खुशी की तलाश और उसकी प्राप्ति से स्वार्थ एवं आत्मलीनता पैदा होती है। 


खुशी की परिकल्पना ही वह असली लक्ष्य है जिसके कारण हम उसे पाने के लिए सकारात्मक कदम उठाते हैं। जैसे-जैसे हम खुशनुमा जीवन के कारक तत्त्वों को पहचानना आरंभ करते हैं, हम सीखेंगे कि खुशी की तलाश किस तरह न सिर्फ व्यक्ति को बल्कि उसके परिवार और पूरे समाज को अनेक लाभ प्रदान करती है।- दलाई लामा की किताब 'आनंद का सरल मार्ग' से साभार


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Today's Positive Challenge


अच्छी किताबों की सूची साझा करें 


इंटरनेट पर भरपूर जानकारी के बावजूद किताबों का अपना महत्व है। हाल फिलहाल अगर आपने कोई अच्छी किताब पढ़ी हो, या उसके बारे में जिक्र सुना हो तो उसका शीर्षक लिख लें। इन अच्छी किताबों की एक सूची बनाएं। चाहें तो उसे विषयवार जैसे शिक्षा से जुड़ी अथवा धर्म दर्शन आदि में बांटें। इस सूची को अपने परिजनों, मित्रों के साथ साझा करें। खुद पढ़ने के साथ उन्हें भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें।


Todays Positive Thoughts


इस जहाँ में मनुष्य के होने का सार यही है कि वह दोषहीन होने की इच्छा मन में न पाले रखें। 


इंसान प्रसन्न और पूर्ण आनंद से तभी रह सकता है जब वह इस जीवन का उद्देश्य समझना छोड़ दे।