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स्वस्थ जीवन के तीन स्तम्भ: आहार ,निंद्रा और ब्रह्मचर्य

स्वस्थ जीवन के तीन स्तम्भ: इस पोस्ट में आज हम आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के तीन स्तम्भ आहार, निंद्रा, और ब्रह्मचर्य के बारे में जानेंगे। ऋषिमुनियों ने स्वस्थ रहने के तीन स्तम्भ बतलाये है और एक निरोगी शरीर के लिए संतुलित आहार यानि भोजन लेना अति आवश्यक है, आहार के तीन प्रकार होते है सात्विक (जैसे शुद्ध शाकाहारी ), तामसिक (फासफूड और ज्यादा तैलीय ), ओर रासिक भोजन (मीट -मांस -अंडा इत्यादि). आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन के लिए इंसान को सात्विक भोजन करना चाहिए।  


आयुर्वेद में कहा गया है 'जैसा खाये अन्न वैसा रहे मन 'अर्थात जैसे खाना खाते  है विचार भी वैसे ही हो जाते है। इसलिए एक स्वस्थ निरोगी शरीर के लिए हमेशा सात्विक भोजन ही करें। दूसरा स्तम्भ निंद्रा एक स्वस्थ्य मनुष्य को एक दिन में कम से कम 6 घंटे की नींद अवश्य पूरी करनी चाहिए तथा तीसरा ब्रह्मचर्य यानि तेज वीर्य की रक्षा करना तो आइये जानते है -स्वस्थ जीवन के तीन स्तम्भ: आहार, निंद्रा और ब्रह्मचर्य 


स्वस्थ जीवन में आहार की भूमिका,स्वस्थ जीवन के फायदे


स्वस्थ जीवन के तीन स्तम्भ: आहार, निंद्रा और ब्रह्मचर्य 


हम सभी प्राणी इस संसार मैं अपने शरीर के माध्यम से ही सम्पूर्ण पुरुषार्थ करते है,जिससे हमारी कामनाओ की पूर्ति होती है तथा इन तीनों प्रकार के ऋणों से (देवऋण,मातृऋण,पितृऋण ) मुक्त होते है । इसलिए हमें पर्यत्न पूर्वक इस शरीर की रक्षा करनी चाहिए । इस शरीर के रक्षण के लिए शास्त्रों मैं दिनचर्याऋतुचर्याआश्रम व्यवस्था,और आहार-विहार का वर्णन किया गया है। 


हमारे मनिस्यों ने जीवन तथा प्रकृति के हर पहलु को जांचा, परखा और प्राणी मात्र के भलाई के लिए एक आदर्श जीवन पद्यति विकसित की। हमारे मनीषियों ने सन्तुलि स्वाथ्य के लिए तीन स्तंभ बताये है -आहार ,निंद्रा और ब्रह्मचर्य (आहार: स्वपनो, ब्रह्मचर्यमिति -चरक सूत्र  ११/३५), इन तीनों स्तम्भों के युक्तिपूर्वक पालन करने से सुन्दर कांतिपूर्ण शरीर,सक्रीय मस्तिष्क और ओजस्वी व्यक्ति की प्राप्ति होती है और बुढ़ापा दूर भागता है।


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आहार ही उपहार है ,swasth jeevan par nibandh


आहार ही उपहार है


हमारे शरीर के लिए आहार की बहुत अधिक महत्त्व है क्योकि जिस आहार का हम सेवन करते है उससे ही हमारे शरीर का पोषण होता है हमारे शास्त्रों मैं कहा गया है कि हमें सभी ऎश्वर्य को छोड़ सर्वप्रथम शुद्ध सात्विक व् पौष्टिक आहार का प्रबंध करना चाहिए । 


क्योकि आहार से ही हमारे शरीर को धातुओं की प्राप्ति होती हैआहार से देह का पोषण होता हैइससे ही स्मृति, शक्ति, उत्साह, आयु, और शोभा की वृद्धि होती है। 'सुश्रुत' के अनुसार -"आहार तृप्तिकारकतत्काल शक्ति प्रदान करने वाला, तेज बल एवं  स्मरण-शक्तिवर्धक एवं देह को धारण करने वाला होता है हम स्वथ्य, बलिष्ठ, पुष्ट, पौष्टिक, विटामिन-युक्त शक्तिदायकतजा एवं  सुपाच्य हो। आहार सरलसुपाच्य तथा नियत मात्रा मैं होना चाहिएजिन की पाचन सकती दुर्बल हो उन्हें कम प्रोटीन आहार लेने चाहिए 


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आहार सम्बन्धी  कुछ बातें 


आहार सम्बन्धी  कुछ बातें निम्नलिखित है -

  • भोजन ग्रहण करने के आधे घंटे बाद जल लेना चाहिए 
  • भोजन करते समय आवश्यकता  से थोड़ा काम लेना चाहिए । आयुर्वेद मई इस विषय मैं बताया है की अमाशय का आधा भाग ठोस आहार से है,एक चौथा  द्रव तथा एक चौथा खली छोड़ना चाहिए क्योकि वायु के बिना अन्न का सम्यक  पाचक नहीं हो सकता।
  • आहार सुपाच्य तथा रूचि पूर्ण होना चाहिए। 
  • एक ही प्रकार का आहार अधिक मात्रा मैं नहीं लेना चाहिए । 
  • आचार्य चरक ने आहार ग्रहण के संदर्व मैं दस नियमोँ  का निर्देश किया है
  • गरम भोजन ग्रहण करना चाहिए। ठन्डे व् बासी भोजन से बचना चाहिए। 
  • स्नग्ध आहार ग्रहण करना चाहिए है। 
  • पहले खाये भोजन के पच जाने पर ही दुबारा भोजन करना चाहिए । 
  • वीर्य विरुद्ध आहार नहीं करना चाहिए । 
  • साफ़ बर्तनों मैं ही भोजन करना चाहिए । 
  • जल्दी-जल्दी मैं भोजन नहीं करना चाहिए। 
  • अधिक विलम्ब तक भोजन नहीं करना चाहिए । 
  • शांति से आहार लेना चहिये। 
  • अपनी आत्मा का सम्यक विचार कर और आहार द्रव्य मैं मन लगा कर और स्वयं की समीक्षा करते हुए भोजन लेना चाहिए । 

हानिकारक या अहितकारी संयोग


 ऐसे अहितकारी खान-पान से बचना चाहिए -


दूध  साथ               

दही,नमकइमली,खरबूजा,बेलफल 

मूली और मूली  पत्तेतोरई,गुड़ या 

गुड़ का हलवा

,तेलकुल्थी,सत्तू,खट्टे फल,खटाई आदि

 

दही के साथ           

खीर,दूधपनीर,गर्म खाना या गर्म वस्तु 

,खरबूजा आदि। 

खीर के साथ

खिचड़ीकठहल,खटाईसत्तू

शराब आदि । 


शहद के साथ     

मूली,अंगूर,वर्षा का जल,या 

गर्म जल आदि 

गर्म जल के साथ   

शहद

 

शीतल जल के साथ  

मूंगफली,घीतरबूज,अमरुद

,जामुन,खीराककड़ी,

गर्म दूध आदि 

घी के साथ

शहद

 

खरबूजे के साथ    

लहसुन,मूली के पत्तेदूध दही 

चावल के साथ   

  सिरका



हितकारी संयोग


हितकारी संयोग इस प्रकार है -


खरबूजे के साथ  

    शक़्कर

इमली के साथ    

 गुड़

आम के साथ  

 गाय का दूध

अमरूद के साथ 

  सौंफ

 केले के साथ     

 इलायची

तरबूज के साथ   

 गुड़

खजूर के साथ   

 दूध 

मकई के साथ 

  मट्ठा

 चावल के साथ  

 दही


achi neend aane ke upay,achi neend lene ke fayde


2 अच्छी नींद: हजार नियामत


हम अपनी जिंदगी का एक तिहाई समय सोने मैं गुजारते है । अच्छी और आरामदायक नींद के बाद,सभी शारारिक और मानसिक तनाव दूर हो जाते है । वयस्क  मनुष्य औसतन ६ से ८ घंटे सोता है । बच्चों को ज्यादा नींद की जरुरत है ।  नवजात शिशु तो 15 से 20 घंटे सोते है। अधिक समय तक नींद के आस्थिरता,सरदर्द,आँखों के सामने अँधेरा छाने इत्यादि लक्षण हो सकते है है । स्भाविक  नींद के लिए निम्न उपाय करें 


1-यदि आप बदन दर्द,खांसी,कब्ज,अपच,बदहजमी इत्यादि रोगों से ग्रसित है तो अमुचित उपचार करवाएं। 


2-अत्यधिक धूम्रपान, मदिरापान, तम्बाकू,पान मसाला और खासकर सोने के कुछ समय पहले चाय व कॉफी पिने की आदत भी 'अनिंद्रा'  का कारण हो सकती है अतः इन व्यसनों से बचे। 


3-नियमित व्यायाम करें । क्रियाशील जीवन व्यतीत करे, इससे गहरी नींद आएगी। 


4-जहा तक हो सके तनाव से बचे। तनाव से बचो या इसको दू करने के लिए व्यस्त जीवन मैं मनोरंजन के लिए भी समय निकालें । 


5-महत्वकांशी हो पर अत्यधिक नहीं। जीवन मैं संभव लक्ष्य निर्धारित करे। अत्यधिक महत्वकांशी व्यक्ति तनाव और चिंता ग्रस्त रहता है और आसानी से 'अनिंद्रा' का शिकार हो जाता है । 


6-सोने के समय से पहले लगभग २ घंटे पहले रात्रि का भोजन कर ले। रात को भोजन काम मात्रा मैं ले


7-सोने का कमरा शांत ,स्वछ हो, कमरे मैं ताजी सुद्ध हवा के लिए खिड़की या रोशनदान होने चाहिए। बिस्तर न अधिक सख्त हो न अधिक मुलायम । तकिया उचित उचाई का ही प्रयोग करे। 

8-जिन वक्तियों को नींद ठीक से नहीं आती हो,उन्हें सांयकाल टहलने या हल्का व्यायाम करने से गहरी नींद आ जाएगी । 


9-नींद आएगी या नहीं इस चीन से खुद को मुक्त करे । 


10-सोने से पहले शौच व पेशाब की हालत होने पर आलस्य न करें। 


11-सोने से पहले हाथ,पैर और मुँह अच्छी तरह से धोये । सोने से पहले घुटनों तक दोनों पैरों को ५ मिनट तक ठंडे पानी मैं रखें। 


12-बिस्तर पर तभी लेटें जब पूरी तरह सोने को तैयार हो । 


13-पीठ के बल लेटने के स्थान पर करवट पर लेटने पर जल्दी नींद आती है। 


14-सोने के पूर्व अच्छी पुस्तकों का अध्य्यन करें तनाव और चीन दूर करने का उत्तम उपाय है । 


15-सुबह नित्य समय पर बिस्तर छोड़ दे,उठने मैं आलस्य न करने मैं भी रत को नींद आने की दिक्क्त नहीं होती । 


16-बादाम तेल की 4-5 बूंद  नाक मैं सुबह खली पेट व् सांय सोते समय डालने से नींद अच्छी आती है । 


17-मेहँदी के पत्तों को पीसकर तलवों मैं लगाने से अनिंद्रा दूर होती है।  


18-आंवले के रस मई जायफल का चूर्ण मिलकर पिने से अनिंद्रा मैं लाभ होता है । 


19-पपीते की सब्जी या पक्का पपीता खाने से अनिंद्रा का रोग काम होता है 


20-सोने से पूर्व गर्म दूध पिने से गहरी नींद आती है। 


21-रात्रि भोजन के पश्चात पत्ता गोभी का सलाद चबा-चबाकर खाने से तथा सेब का मुरब्बा लेने से नींद अछि आती है । 


22-सरसो के तेल मई कपूर मिलकर सर की मालिश करने से अच्छी नींद आती है। 


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3 मर्यादित जीवन का सुख-ब्रह्मचर्य


हमारी संस्कृति मैं हमारे सम्पूर्ण जीवन को 4 आश्रमों मई विभाजित किया गया है -ब्रह्चर्य ,गृहस्थ, वानप्रथ, और सन्यास आश्रम इन चारों  मैं गृहस्थ और ब्रह्मचर्य सबसे महत्पूर्ण है. ब्रह्मचर्य आश्रम पुरे जीवन की नीव होती है,शरीर,मन,और वाणी से सदा सर्वदा तथा सर्वत्र मैथुन त्याग को ब्रह्मचर्य कहते है ब्रह्मचर्य का अर्थ है कि सर्वोत्कृट धातु वीर्य का प्रयत्नपूर्वक रक्षण करना ही ब्रह्मचर्य है.


हमारे शरीर को सातों धातुओं (रस -रक्त -मांस -मेद -अस्थि -मज्जा-शुक्र ) मैं शुक्र सबसे श्रेष्ठ हैजब यह सम्पूर्ण शरीर  मैं विद्यमान रहता है तो धातु रूप मैं होता है. धातु का अर्थ है शरीर  के अंदर शक्ति स्फूर्ति  का अनुभव होता है और शरीर मैं आज और कांति  का संचार होता है परन्तु जब यही शुक्र 8 प्रकार के मैथुनों से सम्पूर्ण शरीर से चुय्त होकर हमारे प्रजनन संथान  के अंगों मैं जाता है.  


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