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भाषा किसे कहते है अर्थ परिभाषाएं और प्रकार | What is Language in Hindi

"भाष्यते इति भाषा"भाव यह है की भाषा व्यक्त वाणी को कहते है,"भाष व्यक्तायाँ वाचि"बिना समाज केभाषा की रचना और बिना भाषा के समाज की कल्पना निरर्थक है

भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से निष्पन्नः माना जाता है। इसका अर्थ है,व्यक्त करना अथवा कहना। भाषा के मुख्य अभिप्राय ध्वनि-भाषा से है। इसके माध्यम से ही पूर्ण विचारों अथवा भावों का प्रकटीकरण संभव है। भाषा की प्रथम इकाई हम "वर्ण" अथवा  "अक्षर" को कहते है।

भाषा किसे कहते है अर्थ परिभाषाएं और प्रकार | What is Language in Hindi

भाषा किसे कहते है? What is the Language Called?

भाषा वह माध्यम है,जिसके द्वारा हम अपनी बात दूसरों तक पहुंचाते है तथा दूसरों की बात को समझते है। या भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर-सुनकर व् पड़ कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है भाषा कहलाता है।  विश्व में अनेक बोली जाने वाली भाषा जैसे-हिंदी,अंग्रेजी,अरबी,फ़ारसी आदि 

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भाषा अर्थ और परिभाषा Bhasha ki Paribhasha

"भाष्यते इति भाषा" भाव यह है की भाषा व्यक्त वाणी को कहते है। "भाष व्यक्ता याँ वाचि" बिना समाज के भाषा की रचना और बिना भाषा के समाज की कल्पना पूर्णतः निरर्थक है । "यन्मनसां द्ध्यायति तद वाचा वदति ।" (यजुर्वेद ) के अनुसार आधार पर यह कहा जा सकता है की मानस विचारों के अभिव्यक्ति के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतों को व्यवहार ही भाषा है। 

भाषाविद डॉ पृथ्वीनाथ पाण्डेय के अनुसार,"भाषा का अस्तित्व प्रतीकों मैं होता है। इसके समस्त प्रतीक व्यवस्थित, सार्थक तथा सप्रयत्न उच्चारित होते है। ये प्रतीक कई प्रकार के है ।-नेत्रग्राहा, श्रोतग्राहा,तथा स्पर्शग्राहा। "

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भाषा के रूप प्रकार Type of language in Hindi

भाषा के तीन  प्रकार होते है -

  • मौखिक भाषा 
  • लिखित भाषा 
  • सांकेतिक भाषा 
मौखिक भाषा - जो भाषा बोलकर प्रकट की जाती है उसे मौखिक भाषा कहते है जैसे- भाषण देना, किताब पढ़ना 

लिखित भाषा -जो भाषा लिखकर प्रकट की जाती है,उसे लिखित भाषा कहते है जैसे -पत्र ,लेख, कहानी आदि 

सांकेतिक भाषा -जब सकेतों ओर इशारों के द्वारा एक दूसरे को बात समझाई जाती है तो उसे सांकेतिक भाषा कहते है। जैसे- किसी मूक बधित व्यक्तियों का वार्तालाप आदि 


भाषा किसे कहते है अर्थ परिभाषाएं और प्रकार | What is Language in Hindi

भाषा की प्रकृति ,गुण एवं विशेषता 

  • भाषा एक सामाजिक वस्तु है। और यह सर्वव्यापक है। 
  • ये एक अर्जित वस्तु है,अर्जन अनुकरण के द्वारा होता है। 
  • भाषा लिखित एवं मौखिक दोनों होती है। 
  • वह मानव विचारों की वाहक और अभिव्यक्ति का माध्यम है। 
  • भाषा सहज ओर नैसर्गिक क्रिया है। 
  • प्रत्येक भाषा का ढांचा स्वतंत्र होता है।  

कुछ विद्वानों ने भाषा की परिभाषा इस प्रकार दी है :-

जिन ध्वनि-चिन्हों -द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता है ,उनकी समष्टि को भाषा कहते है।  "-डॉक्टर बाबूराम सक्सेना

महर्षि पतंजलि के अनुसार- जो वाणी वर्णों से व्यक्त होती है उसे भाषा कहते है। 

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों पर भली-भांति प्रकट करता है और दूसरों के विचारों को स्पष्टता से समझ सकता है।-कामताप्रसाद गुरु के अनुसार  

उच्चरित ध्वनि-संकेतों की सहायता से भाव अथवा विचार की पूर्ण अभिव्यक्ति भाषा है।  "- आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा

Language is a system of arbitrary vocal symbols using which man of social group co-operators and interacts” – Blokh and Trigger

(भाषा याढृच्छिक वाक्-प्रतीकों की एक ऐसी पद्धति अथवा व्यवस्था ह, जिसके माध्यम से सामाजिक प्राणी पारस्परिक भाव-विनिमय अथवा सहयोग करते है)

भाषा वाक् समाजीकरण का नाम है। यह मनुष्य की सूक्ष्म संवेदनशील अभिव्यक्ति का प्रकटीकरण है।  इन सभी परिभाषाओं से यह स्पस्ट हो जाता है की भाषा एक पद्धिति है। आर्य भाषा प्रकार,वर्गीकरण और विश्व - भाषा का विभाजन एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

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