भाषा शब्द शास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन
भाषा शब्द-शास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन:- शब्द-शास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन करने पर हमको अपनी पुरानी भाषा और दूसरे देशों की पुरानी भाषाओं के शब्दों में जो समता दिखायी देती है, उससे यही अनुमान होता है कि कभी हममें और कुछ उन जातियों में, जो अब हमारी दृष्टि में हमसे बिलकुल भिन्न हैं, घना सम्पर्क था और इस शब्द सम्पत्ति पर सबका समान अधिकार था। नित्य प्रति व्यवहार में आनेवाले माता,पिता,स्वसा,दुहित और गिनती के एक,दो,तीन,चार आदि शब्द ही नहीं,कितने ही और शब्द भी उल्लिखित अनुमान की पुष्टि करते हैं।
संस्कृत में एक क्रिया का रूप है भरति। ग्रीक का फेराइ (Pherei) लैटिन का फ़र्ट (Fert) ,गॉथिक का बैरिथ (Bairith) और अँगरेज़ी का बेयरेथ (Beareth) भी वही अर्थ देता है। संस्कृत में जिसको हृद कहते हैं,उसी को ग्रीक में ( 'ह' का 'क' हो जाने के कारण ) कर्दिआ (Kardia),लैटिन में कार्डिस (Cardis),गॉथिक में हार्टो ( Hearto ) अँगरेज़ी में हार्ट (Heart) और जर्मन में हर्ट्ज (Hertz) कहा जाता है।
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संस्कृत में जिसको हंस कहा जाता है,उसी को ग्रीक में चेन (Chen),लैटिन में हैंसर (Hanser),एंग्लो-सैक्सन में गोस (Gos),अँगरेज़ी में 'गूज़' (Goose) और जर्मन में गैन्स (Gans) कहते हैं। इस प्रकार अर्थ और ध्वनि की समता रखनेवाले अनेक शब्द,शब्द-शास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन करनेवाले विद्वानों ने खोज निकाले हैं। हाँ,आर्यों के आदिम निवास स्थान के विषय में अभी मतभेद बना हुआ है किन्तु यदि बहुमत पर ध्यान दिया जाए तो यह स्थान मध्य-एशिया के आस-पास कहीं ठहरता है।
सम्भव है,यह मध्य एशिया के आस-पास न होकर और ही कहीं रहा हो और वहाँ से फिर यह जाति मध्य एशिया में आयी हो किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं कि कालान्तर में वहाँ इस जाति की दो शाखाएँ हो गयीं। कुछ लोग पश्चिम की ओर बढ़कर यूरोप में बसे और कुछ पूर्व की ओर बढ़कर दो समूहों में बँट गये। एक समूह ने फारस तथा आस-पास के देशों में डेरा डाल दिया और दूसरा और भी आगे बढ़कर भारतवर्ष में बस गया।
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धीरे-धीरे और भी लोग आते गये और बढ़ते-बढ़ाते विन्ध्याचल की तलहटी तक आ पहुँचे। अतिप्राचीन काल में हिमालय और विन्ध्याचल के बीचवाले देश को ही 'आर्यावर्त' की संज्ञा दी गयी थी। बाद में 'आर्यावर्त' शब्द सम्पूर्ण भारतवर्ष के लिए प्रयुक्त किया जाता था। व्याडि ने लिखा है,
"आसमुद्राच्च वै पूर्वाटासमुद्राच्च पश्चिमात्,
हिमवद्विन्ध्ययोर्मध्ये आर्यावर्त विदुबुधाः।"
आर्यों के फारसवाले उपनिवेश में परजिक और मीडिक भाषाओं का विकास हुआ था। भारतवर्ष में अड्डा जमानेवाली शाखा की सबसे पहली भाषा,जो ज्ञात होती है,ऋग्वेद की भाषा है। पारसियों का धर्म ग्रन्थ आवेस्ता मीडिक भाषा में है। यह मीडिक भाषा यहाँ की प्राचीन भाषा से कितनी समता रखती है, इसका कुछ नमूना यहाँ दिखाना प्रासंगिक है।
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