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उपसर्ग अर्थ परिभाषा ,भेद प्रकार उदाहरण सहित | उपसर्गो के शुद्ध प्रयोग

आज इस पोस्ट में हम जानेगे उपसर्ग क्या है?  उपसर्ग परिभाषा ,प्रकार उदाहरण सहित ,उपसर्ग (Upsarg) - परिभाषा, भेद और उदाहरण- Upsarg in Hindi उपसर्ग के कितने भेद होते हैं उदाहरण सहित बताइए? Upsarg In Hindi - उपसर्ग के भेद, अर्थ एवं उदाहरण उपसर्ग examples in hindi तो आइये जानते है-उपसर्ग अर्थ परिभाषा ,भेद प्रकार उदाहरण सहित | उपसर्गो के शुद्ध प्रयोग  

उपसर्ग 

'उपसर्ग' शब्द दो शब्दों से व्युत्पन्न है। पहला शब्द है, 'उप', जिसका अर्थ "समीप' होता है और दूसरा शब्द है 'सर्ग', जिसका अर्थ 'सर्जना' है। उपसर्गों के लगने से धातुओं के अर्थों में एक विलक्षणता आ जाती है। धातु के साथ उपसर्ग लगने से तीन परिवर्तन होते हैं:

उपसर्ग के उदाहरण,उपसर्ग के भेद कितने होते हैं?,

  • क्रिया का अर्थ बिलकुल बदल जाता है। जैसे- विजय - पराजय , उपकार - अपकार। निर्वचना 
  • क्रिया के ही अर्थ का अनुवर्तन हो जाता है; जैसे- वास अधिवास, उच्च - प्रोच्या 
  • क्रिया के अर्थ में एक प्रकार का वैशिष्टय आ जाता है; जैसे— गमन अनुगमन, वचन

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उपसर्ग अर्थ और परिभाषा Prefix Meaning Definition

'उपसर्ग' वे शब्दांश हैं, जो किसी शब्द के पूर्व में आकर विशिष्ट अर्थ का प्रतिपादन करते हैं। इनका कोई स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं होता किन्तु वे शब्दों के साथ आने पर अर्थ-परिवर्तन करने में समर्थ होते हैं। 'उपसर्ग' उस वर्ण अथवा समूह का नाम है, जिसका स्वतन्त्र प्रयोग नहीं होता है और जिसे किसी शब्द के पूर्व, कुछ आर्थिक विशेषता लाने के लिए जोड़ा जाता है। अर्थात किसी शब्द के पूर्व जोड़े जाने वाला वह शब्दांश जो मूल शब्द का अर्थ को बदल देता है,उपसर्ग कहलाता है।  

उदाहरणार्थ- 'मुख' शब्द का अर्थ अंग-विशेष' है किन्तु इसमें 'अभि' उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो शब्द बनेगा 'अभिमुख', जिसका अर्थ होगा, सामने की ओर। 'हार' शब्द में प्र, आ, वि तथा परि उपसर्ग लगाकर प्रहार, आहार, विहार तथा परिहार शब्द बनाते हैं। शब्दों में से उपसर्ग को पृथक करने के यह ध्यान रखना चाहिए कि अलग किया गया मूल शब्द सार्थक हो। उपसर्ग कई प्रकार के होते है,यथा हिंदी उपसर्ग,संस्कृत उपसर्ग,अंग्रेजी उपसर्ग,एवं अरबी-फ़ारसी 

उपसर्ग सत्य ही कहा है, 

उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते । 

प्रहाराहार संहार विहार परिहारवत् ।। 

उपसर्ग के कितने भेद होते हैं?

1. संस्कृत उपसर्ग 

2. हिन्दी-उपसर्ग 

3. उर्दू उपसर्ग 

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संस्कृत - उपसर्ग

संस्कृत में उपसगों की संख्या २२ है किन्तु कुछ विद्वान् निस, निर तथा दुस, दूर् को एक ही मानते हैं। इस प्रकार उपसगों की संख्या २० हो जाती है। संस्कृत-उपसर्ग उन तत्सम शब्दों में लगते है, जिनका प्रयोग हिन्दी में होता है। संस्कृत के उपसर्ग अग्रलिखित प्रकार से हैं

उपसर्ग

अर्थ

उदाहरण

अति

अधिक, सीमा से परे

अतिगन्ध, अतिवृद्धि, अतिशय, अतिरिक्त, अत्युक्ति, अत्यधिक, अतिक्रमण, अत्यन्त, अत्याचार, अतिवाद 

अधि

अधिक, ऊपर, श्रेष्ठ, समीपता

अधिकार, अधिकृत, अध्ययन अधिराज, अधिवक्ता, अध्यक्ष, अधिशाषी, अधिभार, अध्यवसाय, अधिष्ठित 

अनु

पीछे, क्रम, समानता

अनुमान, अनुकूल, अनुचर, अनुभव, अनुसार, अनुरोध, अनुशीलन, अनुभाव, अनुरूप, अनुभाव, अनुप्रास, अनुराग

अप

बुरा, अभाव, विपरीत

अपराध, अपमान, अपव्यय, अपकर्ष, अपकीर्त्ति, अपशकुन, अपशब्द, अपभ्रंश, अपहरण, अपकृत्य, अपसंस्कृत, अपशिष्ट

अपि

निकट

अपिमान, अपिधान, अपिसार, अपिण्डी 

अभि

सामने, अधिक, अच्छा

अभिमान, अभिसार, अभियोग, अभ्युदय, अभ्यागत, अभिलाषा,अभिवृद्धि, अभिषिक्त, अभिनय, अभिमुख, अभियान 

अव

पतन, हीनता, उलटा

अवनति, अवकाश, अवगुण, अवसर, अवलम्बन, अवतरण, अवचेतन, अवरोध, अवरोह, अवधान, अवतंस, अवमानना

तक, सब तरफ़ से, ओर

आदर, आगमन, आभार, आजीवन, आकांक्षा, आडम्बर, आक्रमण, आलम्बन, आधार, आचरण, आरोहण, आमूल, आद्यन्त, आभरण, आवरण 

उत्, उद्

ऊपर, अधिक

उत्कर्ष, उद्रेक, उद्भव, उत्तम,उत्पात, उत्पन्न, उद्गार, उद्गम,उद्दीप्त, उत्सन्न, उत्सर्ग, उत्सर्जन, उत्फुल्ल उद्भाव, उत्संग,

उप

समीप, सहायक, छोटा

उपयुक्त, उपहार, उपकार, उपकूल, उपद्रव, उपवास, उपयोग, उपनिवेश, उपनयन,उपदेश, उपप्रधानमन्त्री, उपसम्पादक

दुः (दुर्, दुस्)

बुरा, दुष्ट, कठिन

दुर्गम, दुस्साहस, दुर्जन, दुर्जेय, दुर्लभ, दुश्चरित्र, दुःसाध्य दुर्बुद्धि, दुराशय दुष्कर, दुर्द्धर्ष, दुर्लघ्य

नि 

बहुत, नीचे, अलावा

निवास, निकेतन, निवेदन, निक्षिप्त, निबन्ध, निवेश, निदान, निकट

निः (निस्, निर)

बिना, बाहर, निषेध

निर्देश,निर्वेद, निरीक्षण, निर्भय, निराकरण, निर्जीव, निर्मल, निष्कास, निःसाध्य निःश्वास, निःशब्द, निःस्पृह, निर्वाक 

परा 

विपरीत, अनादर

पराधीन, पराकाष्ठा, परामर्श, पराविद्या परावर्त्त, परार्द्ध 

परि 

चारों ओर, आस-पास, अतिशय, त्याग

परिचय, परिणय, परिवर्तन, परिणाम परितोष, परिपूर्ण, परिशीलन, परिक्रमा  परित्राण, परित्याग, परिवेश, परिसर

 प्र

अधिक, ऊपर, आगे, गति

प्रणाम, प्रस्थान, प्रख्यात, प्रपंच,प्रेरणा, प्रगति, प्रवेश, प्रसार, प्रताप, प्रबल, प्रवेग, प्रवंचना, प्रलाप, प्रमाद, प्रयोग, प्रयाग

प्रति 

विपरीत, समान, प्रत्येक, परिवर्तन

प्रतिकूल, प्रतिहार, प्रतिमूर्ति, प्रतिबिम्ब, प्रतिदिन, प्रतिध्वनि, प्रतिवाद, प्रतियोगिता, प्रत्येक, प्रतिक्षण, प्रतिहिंसा, प्रतिघात

वि

विशेष, रहित, विपरीत, भिन्न

विहार, विमर्श, विदेश, विवाद, विरह, विपक्ष, विख्यात, विशिष्ट,विराम, विपर्याय, विप्रलम्भ, वितृष्णा, वियोग, विनिश्चित

सम्, सन्

संयोग, पूर्णता

सन्तोष, संचय, संशोधन, संगीत, संस्कार, सम्मुख, समक्ष, संशय, सम्भाषण, समग्र, समालोचना सन्देश, सन्देह, सम्पादक

सु 

अच्छा, सरल

स्वागत, सुकर्म, सुयश, सुरक्षा, सुधार, सुभाषित, सुकवि, सुजन, सुकृत, सुदूर सुकुमार, सुवासित, सुसंघटित, सुअवसर

2-हिंदी उपसर्ग

निषेध, अभाव अनजान

अपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनाम, अकाल, अचेत, अमोल, अगाध, अकाज

अध्

आधा

अधखिला, अधकचरा, अधपका, अधजला, अधकहा, अधपिया

अन् 

अभाव, निषेध, अनजान

अनपढ़, अनमोल, अनसुनी, अनगद, अनहित, अनिच्छा

उन 

एक कम

उनचास, उनसठ, उनतीस, उनतालीस. उनहत्तर 

औ (अव)  

हीनता, नहीं

औघड़, औघट, अवगुण, औढर,

क, कु

बुरा

 कुपूत, कुपात्र, कुठौर, कुढंग, कुकाठ, कुचाल, कुलेख 

स, सु 

अच्छा सहित

सुकर्म सुपूत, सुपात्र, सुठौर, सुलेख, सुचाल, सुडौल, सुजान

साथ, सहित

सगोत्र, सरस, सहित, सजग

दु

बुरा, हीन

दुकाल, दुलारा, दुसाध 

 नि

नहीं, अभाव

निधड़क, निडर, निहत्था, निकम्मा

3-उर्दू उपसर्ग 

कम

हीन, थोड़ा

कमज़ोर, कमसमझ, कमअक्ल, कमउम्र, कमसिन, कमबख़

गैर

नहीं, अभाव

गैरहाज़िर गैरमिज़ाज, गैरमुमकिन, गैरघर, गैरवाज़िब, गैरसरकारी, गैरक़ानूनी 

खुश

अच्छा

खुशबू, खुशमिज़ाज, खुशदिल 

दर

में

दरअस्ल, दरबार, दरम्यिान, दरकार, दरवेश, दरहक़ीक़त 

ना

अभाव

नापसन्द, नादान, नाराज़, नाबालिग,नामुमकिन, नालायक़ नाउम्मीद, नासमझ

अनुसार में

बनाम,बदस्तूर,बदौलत, बइजलास,बकौल

बद

बुरा

बदमाश, बदनाम, बदकिस्मत, बदतमीज़, बदहजम, बदबू, बाक़लमबदहवास, बदुआ, बदशक्ल, बदचलन, बदनियत 

बा 

साथ

बावफ़ा, बामुलाहज़ा, बाइंसाफ़, बाकायदा

बिला

बिना

बिलाकैद, बिलाकुसूर, बिलाशक, बिलामुलाहज़ा, बिलाख़याल

बे

बिना

बेईमान, बेशर्म, बेदर्द, बेचारा, बेचैन, बेधड़क, बेकाम, बेहोश, बेडौल, बेहतर, बेअक्ल

ला

बिना

लाचार, लावारिस, लाजवाब,लापता,लापरवाह, लाइलाज

सर

मुख्य

सरदार, सरताज, सरगना, सरकार, सरहद

हम

बराबर

हमउम्र, हमसफ़र, हमवतन, हमराज़, हमदम, हमदर्द, हमक़दम

हर 

प्रत्येक

 हररोज़, हरसाल, हर आदमी,हरएक,हरतरह, हरतरफ़, हरमाह

निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग और मूल शब्द पृथक्-पृथक् दर्शाये गये है-

समालोचना, सुसंगठित, अभिमुख, अभियान, अत्याचार 

उत्तर के लिए अब हम एक-एक शब्द को लेंगे। इसका उत्तर इस प्रकार से लिखा जाएगा: 

समालोचना-सम् + आलोचना ( इसमें मूल शब्द 'आलोचना' है और 'सम्' उपसर्ग। ) 

सुसंगठित- सु + संगठित ( इसमें मूल शब्द 'संगठित' है और 'सु' उपसर्ग। ) 

अभिमुख- अभि + मुख ( इसमें मूल शब्द 'मुख' है और 'अभि' उपसर्ग। ) 

अभियान- अभि + यान ( इसमें मूल शब्द 'यान' है और 'अभि' उपसर्ग। ) 

अत्याचार- अति + आचार ( इसमें मूल शब्द 'आचार' है और 'अति' उपसर्ग।

गति - शब्द

कुछ विशेषण और अव्यय ऐसे हैं, जिनका प्रयोग उपसर्ग के समान होता है। इनका नामकरण 'गति' किया गया है। प्रमुख गति-शब्द निम्नलिखित हैं 

नहीं

अज्ञान, अमर, अब्राह्मण, असत्य, अधर्म

पर

दूसरा

परपक्ष, पराधीन, परलोक, परगृह, परधन, पराश्रय, परमात्मा, परमार्थ

बहू

अधिक

बहुमूल्य, बहुमुखी, बहुवचन

कटु

कडुवा

कटुसत्य, कटुवाणी, कटुकथन

साथ

सजीव, सहृदय, सफल

सह

साथ

सहगमन, सहपाठी, सहयात्री, सहचालक, सहधर्मी, सहचर

भर

पूर्ण

भरपेट, भरसक, भरपूर

 

सुन्दर 

सुडौल, सुघर, सुबुद्धि, सुचेत, सुयोग, सुलोचना,सुलेख, सुकर्म, सुभेद, सुपुत्र

उपसर्गों के शुद्ध प्रयोग Pure use of Prefixes

अभिराम सदा नैरोग रहता है 

अशुद्ध 

अभिराम सदा नीरोग रहता है 

शुद्ध 

आज़ाद भारतमाता के सच्चे सपूत थे 

अशुद्ध 

आज़ाद भारतमाता के सच्चे सुपूत ( सुपुत्र ) थे 

शुद्ध 

इति पेटभर मिठाई खायी 

अशुद्ध 

इति ने भरपेट मिठाई खायी

शुद्ध 

यह समाचार सुनकर वह अनचेत हो गया 

अशुद्ध 

यह समाचार सुनकर वह अचेत हो गया 

शुद्ध 

प्राचीनकाल में हमारा देश धनधान्य से पूर्ण था 

अशुद्ध 

प्राचीनकाल में हमारा देश धनधान्य से   परिपूर्ण था 

शुद्ध 

मनुष्य को अपनी शक्ति का मान नहीं करना चाहिए 

अशुद्ध 

मनुष्य को अपनी शक्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए 

शुद्ध 

वह हर दिन घूमने जाता है 

अशुद्ध 

वह प्रतिदिन घूमने जाता है 

शुद्ध 

वह अनपढ़ है 

अशुद्ध 

वह अपढ़ है 

शुद्ध 

गाँधी जी ने कई बार मरण अनशन किया था 

अशुद्ध 

गाँधी जी ने कई बार आमरण अनशन किया था

शुद्ध 

यह कार्य तुम्हारे लिए अकीर्ति का कारण बनेगा

अशुद्ध 

यह कार्य तुम्हारे लिए अपकीर्ति का कारण बनेगा 

 शुद्ध 

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प्रत्यय

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