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uttarakhand pariksha vani-आधुनिक काल इतिहास

uttarakhand pariksha vani-आधुनिक काल इतिहास

उत्तराखण्ड आधुनिक काल इतिहास परीक्षा उपयोगी प्रशन uttarakhand pariksha vani


  • गोरखा शासन - गोरखा नेपाल के थे,जो की बहुत लड़ाकू और साहसी भी थे.कुमाऊ के चन्द शासकों की कमजोरी का लाभ उठाते हुए 1790 ईसवी मैं उन्होंने एक छोटे से युद्ध के बाद अल्मोड़ा पर अधिकार कर लिया 
  • कुमाऊ पर अधिकार करने के बाद 1791 मैं गढ़वाल पर भी आक्रमण किया, लेकिन पराजित हो गए 
  • फरवरी 1803 मैं संधि के विपरीत अमरसिंह थापा और हस्तीदल चौतरिया के नेतृत्व मैं गोरखाओं ने गढ़वाल पर पुनः आक्रमण किया और काफी सफल हुए। गढ़वाल नरेश प्रधुमन शाह श्रीनगर छोड़कर भाग गए 
  • 14 मई 1804 को गढ़वाल नरेश प्रधुमन शाह और गोरखों के बीच देहरादून के खुड़बुड़ा के मैदान मैं निर्णायक युद्ध हुआ और गढ़वाल नरेश शहीद हो गये। इस प्रकार कुमाऊ और गढ़वाल क्षेत्र पर गोरखों का आधिपत्य हो गया 
  • गढ़वाल नरेश प्रधुमन शाह के पुत्र सुदर्शन शाह के आमंत्रण पर अक्टूबर 1814 मैं गढ़वाल को मुक्त कराने केलिए अंगेजी सेना आयी और गोरखों को पराजित कर गढ़वाल राज्य को मुक्त करा दी। अब केवल कुमाऊ क्षेत्र ही गोरखों के अधिकार मैं रह गया 
  • कर्नल निकोल्स और कर्नल गार्डनर ने अप्रेल 1815 मैं कुमाऊ के अल्मोड़ा को तथा जनरल आक्टरलोनी ने 15 मई 1815 को वीर गोरखा सरदार अमरसिंह थापा से मलाव का किला जीत लिया 
  • 27 अप्रैल 1815 को कर्नल गार्डनर तथा नेपाली गोरखा शासक बमशाह के बीच हुई एक संधि के तहत कुमाऊ की सत्ता अंग्रेजों को सौंप दी गई .
  • अमरसिंह थापा की हार के बाद गोरखाओं और अंगेजों के मध्य 28 नवंबर 1815 को संगोली (चंपारण जिला,बिहार ) मैं एक संधि हुई .
  • संगोली संधि को नेपाल सरकार नई मान रही थी .अंगेजों ने फरवरी 1816 मैं नेपाल पर चढ़ाई करके काठमांडू के पास गोरखाओं को पराजित किया.अंततः मार्च 1816 में नेपाल सरकार ने संगोली संधि को स्वीकार कर ली 
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संगोली संधि की मुख्य बातें 


  • गोरखाओं ने अपनी दक्षिणी सीमा के किनारे की निचली भूमि से अपना दावा छोड़ना स्वीकार किया। 
  • गढ़वाल और कुमाऊ के जिले अंग्रेजों को सौंप दिए गए।
  • गोरखे सिक्किम से हट गए तथा काठमांडू मैं एक ब्रिटिश रेजीमेंट रखना स्वीकार किया। 
  • गोरखाओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती करने पर सहमति हुई। 
  • कुमाऊ और गढ़वाल पर गोरखाओं का शासन काल (क्रमश 25 और 10.5 वर्ष ) बहुत ही अन्याय एवं अत्याचार पूर्ण था। इस अत्याचारी शासन को यहाँ की लोकभाषा मैं गोर्ख्याली कहा जाता है। 
  • अंग्रेजी शासन - अप्रैल 1815 तक कुमाऊ पर अधिकार करने के बाद अंग्रेजों ने टिहरी रियासत को छोड़कर अन्य क्षेत्रों को नॉन रेगुलेशन प्रान्त बनाकर उत्तर पूर्वी प्रांत का भाग बना दिया। इस क्षेत्र के लिए प्रथम कमिशनर कर्नल गार्डनर को (मई 1815 मैं ) नियुक्ति किया गया। 
  • कुछ समय बाद प्रशासनिक सुविधा के लिए कुमाऊ जनपद का गठन किया गया और गढ़वाल नरेश से लिए गए क्षेत्र को कुमाऊ का एक परगना बना दिया, जबकि देहरादून को ( 1817) मैं सहारनपुर जनपद मैं सम्मिलित कर लिया गया। 
  • इस प्रकार अंग्रेजी राज्य के आरम्भ मैं उत्तराखंड दो राजनीतिक प्रशासनिक इकाइयों मैं गठित हो गया - कुमाऊ जनपद और टिहरी गढ़वाल राज्य। 
  • 1840 ब्रिटिश गढ़वाल का मुख्यालय श्रीनगर से हटाकर पौड़ी लाकर  पौड़ी गढ़वाल नामक नये जनपद का गठन किया गया। 
  • सन 1854 में नैनीताल को कुमाऊ मण्डल का मुख्यालय बनाया गया। 1854 से 1891 तक कुमाऊ कमिश्नरी में कुमाऊं और पौड़ी गढ़वाल जिले शामिल थे। 
  • 1891 में कुमाऊं को अल्मोड़ा व् नैनीताल नामक दो जिलों में बाँट दिया गया। 
  • स्वंतंत्रा तक कुमाऊं मण्डल में केवल ये ही तीन जिले (पौड़ी गढ़वाल,अल्मोड़ा,और नैनीताल ) बने रहे।  जबकि टिहरी गढ़वाल एक रियासत के रूप मैं था। 
  • सन 1891 मैं ही राज्य से नॉन रेगुलेशन प्रान्त सिस्टम को भी समाप्त कर दिया गया। 
  • 1902 में सयुक्त प्रान्त आगरा एवं अवध का गठन कर उत्तराखंड के क्षेत्र को इसी मैं मिला दिया गया। 1937 से यह सयुक्त प्रान्त और जनवरी 1950 से उत्तर प्रदेश का अंग बन गया। 


परीक्षा उपयोगीसन 1904 मैं नैनीताल गजेटियर में इस राज्य को "हिल स्टेट" नाम दिया गया था !

  • गढ़वाल को मुक्त कराने के बाद  अंग्रेजों ने अप्रैल 1815 तक कुमाऊं को भी गोरखों से जीत लिया और 28 अप्रैल 1815 को अंग्रेज कर्नल गार्डनर और गोरखा शासक अमरसिंह थापा के बीच वह कौन सी संधि हुई,जिससे तहत गोरखों ने कुमाऊं और गढ़वाल को अंग्रेजों को सौंप दिया ?-  संगोली की संधि 
  • वह कोण सी सरकार थी,जो संगोली की संधि को स्वीकार न करने के कारण फरवरी 1816 मैं अंग्रेजों के आक्रमण का शिकार बनी और हारने के बाद मार्च 1816 में संधि को स्वीकार कर ली ? -  नेपाल की गोरखा सरकार 
  • कुमाऊं और गढ़वाल पर गोरखों का अत्याचारपूर्ण शासन (गोर्ख्याली ) क्रमश रहा -  25 वर्ष एवं 10. 5 वर्ष 
  • टिहरी रियासत को छोड़कर सम्पूर्ण उत्तराखंड को अंग्रेजों ने उत्तर-पूर्वी प्रान्त का हिस्सा बना दिया और इस क्षेत्र के लिए प्रथम कमिश्नर नियुक्ति किया -  कर्नल गार्डनर को (मई 1815 मैं ) 
  • ब्रिटिश उत्तराखंड को सयुक्त प्रान्त आगरा एवं अवध का अंग बनाया गया -  1902 में   


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