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Tanzil Asif Main Media Biography in Hindi Success and Inspirational Story

Tanzil Asif Biography in Hindi:-  समाज में बदलाव हम सभी देखना चाहते है। कुछ बातें सभी के सामने लाना चाहते है।लेकिन उसके लिए काम करना, दिन रात मेहनत करना बहुत सहस, धैर्य और सब्र की मांग करता है। इसी बात का उदाहरण पेश करती है हमारे आज के बायोग्राफी की कहानी 

Tanzil Asif बिहार के एक छोटे से गाँव से। जामिआ से Engineering करने के बाद इन्होने अपने Passion को पहचाना और Journalism की दुनिया में कदम बढ़ाये। IIMC से पढाई करने के बाद Job भी करी, लेकिन हमेशा से कुछ अलग करने की कोशिश करने वाले तंज़िल आसिफ ने Delhi में अपनी Job को छोड़ा और अपने गाँव वापिस आ गए। 

गाँव से ही अपने Journalist के Career को एक नयी दिशा दी।"Main-Media"नाम से अपनी Company की शुरुआत करी और एक hyper-local journalism startup की शुरुआत करी। उनके इस सफर में कई मुश्किलें आयी, कई तरह की चुनौतियों का सामना किया। लेकिन हर उन सभी अड़चनों को पार करते हुए एक सफल Entrepreneur के रूप में अपनी पहचान बनायीं। 

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तो आज हम आपके लिए एक एसी Success And motivational story प्रस्तुत करते है, Entrepreneur, journalist Tanzil Asif जी की कहानी, संघर्ष, मुश्किलों, साहस, धैर्य, सब्र, कामयाबी और Josh की कहानी. जब कुछ अलग करना हो तो ऐसी सोच रखनी होगी "This Can Change Your Life" तंजील आसिफ "मैं मीडिया ".....Tanzil Asif(Main-Media) Entrepreneurs Journalists Biography in hindi Success and Inspirational Story. 

Tanzil Asif(Main-Media) Entrepreneurs Journalists Biography in Hindi Success and Inspirational Story. 

Tanzil Asif Biography(जीवनी) in hindi:- अक्सर किसी को कुछ करना होता है तो वह गांव छोड़ कर शहर चला जाता है, तंजील आसिफ मैं आज से 3 साल पहले इसका उल्टा किया क्योंकि तंजील कहते हैं मुझे कुछ अलग करना था इसलिए मैं दिल्ली छोड़कर अपने गांव चला गया आइये  जानते हैं तंजीम आसिफ के बारे में-

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Introduction,Early Life & EducationsTanzil Asif.-

तंजील आसिफ Hyper-local News Main-Media के फाउंडर है जो कि बिहार के आखिरी छोर पर नेपाल सीमा पर बसे एक छोटे से जिला किशनगंज के एक छोटे से गांव डवावारी बिशनपुर के रहने वाले हैं। इनके पिता सरकारी डिपार्टमेंट में नौकरी करते थे जो कि अब रिटायर हो चुके हैं और इनकी माता हाउसवाइफ है,इनके पिता की पोस्टिंग पास के ही जिला कटिहार में पोस्टिंग थी मात्र 7 साल की उम्र में ही यह अपने पिता के साथ कटिहार चले गए। 

इनकी प्रारंभिक शिक्षा बोर्डिंग स्कूल से लेकर सरकारी स्कूल हरिशंकर नायक हाई स्कूल से 8वीं की शिक्षा कटिहार जिले में ही हुई उसके बाद नौवीं क्लास की पढ़ाई इनकी दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के स्कूल में हुआ। वहां जाते ही  जिंदगी में एक अलग तरह का बदलाव हुआ,छोटे शहर से बड़े शहर की तरफ जाना और हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम की तरफ जाना शुरुआती दिनों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 

हिंदी से इंग्लिश की पढ़ाई को बनाए रखने के लिए डिक्शनरी का सहारा लिया और हर शब्द को सीखते हुए आगे बढ़ते चले गए जैसे ही जिंदगी का पहिया आगे बढ़ा दसवीं पास करने के बाद जैसे ही 11वीं क्लास में एडमिशन लिया तो अपने भविष्य को लेकर सोचने लगे और अन्य छात्रों की तरह इंजीनियरिंग व डॉक्टरी को लेकर अपने सपने सजोने लगे। 

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हर बच्चे की तरह इंजीनियरिंग करने का ख्वाब वह भी IIT से ही करना है तो 12वीं के बाद आईटीआई का Exam दिया परंतु सफलता नहीं मिली, फिर एक दूसरे छात्र को देखकर अनगिनत सपने लेकर कोटा राजस्थान की ओर निकल गए। शुरुआत में सब अच्छा रहा परंतु 1 साल पूरे होने पर उन्हें लगा कि अब मेरे से आईआईटी जेईई का एग्जाम पास करना मुश्किल है और अब आगे क्या करना है यह भी साथ-साथ इनके दिमाग में चलता रहा। 

तंजील बताते हैं कि उस समय उन्हें 3 ईडियट फिल्म का वह Moral आंखों के सामने आता था कि "आप जिंदगी में आगे करना क्या चाहते हैं बनना क्या चाहते हैं "और वही सवाल तंजील जब खुद से करता तो कहता था कि मुझे Journalism करना है मुझे पत्रकारिता करनी है। लेकिन जब उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में जानकारी बटोरनी शुरू की तो इन्हें मालूम चला कि पत्रकारिता के लिए या तो अच्छे कॉलेज हैं जहां मास्टर की डिग्री दी जाती है या पीजी डिप्लोमा की डिग्री दी जाती है।

और इसी सोच विचार में वह एडमिशन लेने में लेट हो चुके थे और इसी बीच वापस जामिया मिलिया कॉलेज में B.Tech में भी एडमिशन ले चुके थे वह भी घर वालों के कहने पर B.Tech की डिग्री हासिल की इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के बाद IIMC(Indian Institute of Mass Communication) दिल्ली गए. लेकिन वहां जाते ही उन्हें झटका लगा और देखा कि वहां तो मीडिया की हालत और भी खराब है और जो लोग मीडिया की हालत सुधारने के लिए वहां आते हैं वह भी उसी दलदल में फंस कर रह जाते हैं।

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Tanzil Asif Main Media Startup की शुरुआत 

तो इन्हीं तमाम बातों को ध्यान में रखते हैं मार्च 2016 में Tanzil ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर "मैं मीडिया " की शुरुआत की, कैंपस में संसाधनों की कमी तो होती नहीं थी तो दोस्तों के साथ मिलकर देश के ज्वलंत मुद्दों पर वीडियो बनाकर Main Media Youtube Channel  पर वीडियो अपलोड करने लगे। 

यहीं से "मैं मीडिया युटुब चैनल" की शुरुआत हुई । इस पर मीडिया को लेकर तमाम चिंताओं पर बात होती थी लेकिन जैसे ही साल खत्म होने को आया साथ के सारे दोस्त प्लेसमेंट की ओर दौड़ने लगे सारे दोस्तों को देखकर Tanzil Asif  भी नौकरी की ओर चल पड़े। 

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एक डेढ़ साल के अंदर ही टीवी चैनल एवं डिजिटल मीडिया स्टार्टअप और एक न्यूज़ एजेंसी में जॉब करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि मीडिया की हालत को अगर सुधारना है तो खुद ही कुछ करना होगा इसी सिस्टम के साथ रहकर आप मीडिया की हालत नहीं सुधार सकते। इसी दौरान 2017 में सीमांचल क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आई और मीडिया का हिस्सा रहते हुए उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि मीडिया ने बाढ़ के मेन हिस्सों को जनता तक नहीं नहीं पहुंचाया उन्होंने अपने लेवल पर कोशिश की परंतु कुछ कर ना सके।

सपनो की नई उड़ान  

तब पहली बार इन्हें ऐसा लगा कि दिल्ली के AC ऑफिस  के बजाय इन्हें सीमांचल क्षेत्र में अपने लोगों के बीच में मुझे होना चाहिए और पब्लिक की समस्याओं को बाहर लाना चाहिए इसी दौरान जॉब में 1 दिन व्हाट्सएप ग्रुप में अपने Boss से बहस हो गई और उन्होंने तुरंत ग्रुप में ही अपना रिजाइन दे दिया। 

रात को जैसे तैसे सो गए परंतु सुबह एहसास हुआ कि मैंने मीडिया इंडस्ट्री में जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं, लेकिन फिर जैसे ही गुस्सा ठंडा हुआ तो Job कि और आगे बढ़े और साथ ही Main-Media में भी काम करते गए परंतु कोई खास सफलता नहीं मिली। लेकिन साथ ही सीमांचल क्षेत्र की एक फिक्र और कुछ करने का जुनून अपनी तरफ खींचे चली जा रही थी। अब उन्हें अपनी जिंदगी का बड़ा फैसला लेना था 11 साल का सफर जिंदगी का जो दिल्ली में बिताया भविष्य के लिए वह  छोड़ना था।  

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वह इतना आसान नहीं था, क्योंकि आप पूरी पढ़ाई घर से बाहर करते हैं अचानक से आप अपना कैरियर बनाने के लिए शहर से गॉँव की ओर जाते हैं, तो समाज, रिश्तेदार सभी सवाल करते हैं कि क्या हुआ जो पूरी पढ़ाई दिल्ली जैसे बड़े शहर में की और कैरियर बनाने के लिए वापस अपने गांव आना पड़ा। 

इन सभी बातों को इग्नोर करने के बाद यह बात सबसे बड़ा सवाल यह था कि फंडिंग कहां से आएगी "मैं मीडिया"  चल कैसे पाएगा। यह सब चीजें दिमाग में चल ही रही थी कि लेकिन एक दिन फिर इन्होंने हिम्मत किया,तंजीम कहते हैं कि किसी शायर ने कहा है कि "इसीलिए तो मेरा गांव दौड़ में हारा जो भाग सकते थे वह वैशाखियाँ बना रहे हैं "और फरवरी 2018 में फैसला किया कि दिल्ली छोड़ना है और अपना लैपटॉप,सेलफोन, सेल्फी स्टिक और एक माइक लेकर घर की ओर निकल पड़े। 

घर पर पुरानी बाइक उठाकर क्षेत्र की ओर निकल पड़ते और ज्वलंत मुद्दों पर एक रिपोर्टिंग को कैमरे में संजोकर शाम को घर आते, अपने पुराने लैपटॉप पर एडिटिंग करते जिसको 4 से 5 घंटे का समय लगता गांव में वाई-फाई की सुविधा नहीं थी तो फोन के हॉटस्पॉट से कनेक्ट करके वीडियो कोअपलोड़ करते जिसमें 4 से 5 घंटे का समय लगता।

कई बार लैपटॉप पुराना होने के कारण Restart करना पड़ता जिसमें उनकी मेहनत खराब जाती, परंतु दिक्कतें आती पर जुनून की कमी ना होने के कारण हिम्मत ना हारने का जज्बा था,धीरे-धीरे यूट्यूब से Earning होने लगी लेकिन जैसे ही दस हज़ार Subscriber हो गए यूट्यूब ने ऐड बंद कर दिए जिससे उन्हें धक्का सा लगा मेहनत खराब होती दिखी एकदम से लगा कि खजूर से धड़ाम जमीन पर गिर गए।

इसी बीच इन्हें मालूम चला कि फेसबुक पर Content को मोनेटाइज किया जा रहा है जिससे Earning होती है तो उन्होंने दोनों प्लेटफार्म को यूज करने लगे और उनसे अच्छी कमाई भी होने लगी।

मुश्किलों का सामना

इसी बीच एक समय ऐसा लगा कि इन तीनों सालों में यह काम छोड़कर वापस दिल्ली जाना पड़ेगा ,सुदूर इलाकों में रिपोर्टिंग करना काफी चैलेंजिंग था क्योंकि इन्होंने उस क्षेत्र में रहकर उसी क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों को उठाया। जिससे इन्हे लोगों द्वारा धमकियां मिलने लगी और क्षेत्र के MLA,एमपी और अन्य लोगों की दुश्मनी मोल लेनी पड़ी सोशल मीडिया पर भी उन्हें कई बार Troll किया जाने लगा परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और अपने कार्य को मन और लगन से करते चले गए।

आज Tanzil Asif का मैं मीडिया/Main-Media बिहार के ज्वलंत मुद्दों को उठाने के लिए जाना जाता है, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत हौसले व जुनून के दम पर अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगे रहे आज यह एक Success Entrepreneur है।

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Note:- Tanzil Asif कहते हैं आपको अपने लक्ष्य की ओर चलना है चाहे कितनी भी मुश्किलों का सामना क्यों ना करना पड़े ।किसी काम को करने के लिए Patience की बहुत जरूरी है किसी भी Opportunity को जाने मत दीजिए, कई बार हमारे पास मौके होते हैं पर हम अपने आप को कम आते हैं और सोच कर चलते हैं कि क्या हम उस लायक है ,किसी कार्य को करने में प्रॉब्लम आएंगे आपको हिम्मत नहीं हारना है लगे रहना है चाहे थोड़ा टाइम क्यों ना लगे Challenge को Face करेंऔर आगे बढ़े।

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