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रक्षा बंधन स्पेशल कहानी भावसूत्र जो दिल छू जाए

Raksha Bandhan Special Kahani: बहन की रक्षा, उससे स्नेह के लिए भाई को राखी बांधने और उसके पीहर से जुड़ाव और यादों का उत्सव मनाने को रक्षाबंधन का त्योहार है । लेकिन भाई के लिए इसके क्या यही मायने नहीं होने चाहिए 


 कहानी:- डॉ.गरिमा संजय दुबे 


Raksha Bandhan Special story, रक्षा बंधन स्पेशल कहानी


रक्षा बधन स्पेशल कहानी "भावसूत्र" जो दिल छू जाए 


Raksha Bandhan 2023:  माँ-पापा बाहर से ही आवाज देते हुए, तेजस घर में दाखिल हुआ । मां से लिपट कर रो दिया, पापा से भी । बड़ी बहन तेजस्विनी वहीं खड़ी - खड़ी, मुस्करा रही थी। प्यार से धौल जमा कर बोली, 'यह तेरी लड़कियों जैसे रोने की आदत नहीं गई ना ।'


तो क्या रोने पर तेरा ही हक़ है उसकी नाक खींचते हुए वह उससे भी लिपट गया । साल भर बाद मुश्किल से आने को मिला । भारत में था तो हर महीने चला आता था ।


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तेजस्विनी छेड़ती, 'लड़कियों को होती है ऐसी होम सिकनेस, बोल्ड बन, बहादुर, ऐसे कच्चे मन का रहेगा तो कैसे चलेगा ।' तेजस, तेजस्विनी भाई बहन, भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बहन वकील है, माता पिता एक पढ़ा लिखा मध्यम वर्गीय परिवार । तेजस्विनी की शादी हो गई है और हर बार की तरह राखी पर वह घर आई थी ।' 


सावन बच्चों को घर ले आता है, इसलिए मुझे सावन पसंद है' मां कभी ये नहीं कहती कि सावन बेटियों को घर लाता है । अब तो बेटे भी घर से दूर होते हैं तो उनके लौटने का भी बेटियों की तरह इंतजार करती हैं वो। पिछले साल कोरोना के चलते तेजस नहीं आ पाया था, इस बार जाना ही है, सोचकर रिस्क लेकर आ गया । 


शुरू हुआ मस्ती छेड़खानी का दौर, स्कूल कॉलेज के दौर, दोस्तों की बातें, भाई - बहनों के साथ मस्ती की याद, पुराने किस्से, रात - रात भर तक बातें ख़त्म नहीं होती, मां ने कहा,' अब सब सो जाओ, 10 बजे तक कुंभकर्ण की तरह पड़े रहोगे । 'उसने मां का पल्लू अपने मुंह पर डालकर कहा,' ठीक है ना मां कितने दिनों बाद यह गोद नसीब हुई, सच बहुत याद आती है आप सबकी ' कहते हुए उसने मां की गोद में मुंह छुपा लिया ।

 

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तेजस्विनी ने छेड़ा, 'मां भगवान ने ग़लती कर दी मुझे लड़का और इसे लड़की बनाना था ।' वह उसे-मुंह चिढ़ाता मां से लिपट गया । पुराना एल्बम निकाला गया । हर फोटो में तेजस मां के साथ, तेजस्विनी उसे ' मामाज्ज बॉय ' कहती । 


वह मोहक दृष्टि से तस्वीरें देखता रहा । एक मौसी की लड़की का तलाक हो गया था, उसकी तस्वीर आते ही तेजस्विनी बोली, 'दीदी ने तलाक ले लिया ना ?' मां बोली,' हां, बड़ी दुःखी है ।'

तेजस ने कहा, 'और जीजाजी ?' तेजस्विनी भड़क कर बोली, ' उंह लड़के का क्या है मस्त है, उसे क्या परेशानी सारी परेशानी तो बेचारी लड़की को ही झेलनी पड़ती है बेचारी .... 'तेजस ने एक गहरी नजर से ठसे देखा और चुप हो गया । 


उसे बहुत भाता मां का साथ । बचपन से ही उनके काम में हाथ बंटाना, खाना बना लेता, पढ़ा - लिखा परिवार, बेटा - बेटी में कोई भेद नहीं, 'सब काम सबके', यही संस्कार डाले हैं दोनों में ।


मां के हाथ का खाना भुक्कड़ों की तरह टूट कर खाता, खाते - खाते भावुक हो जाता, तेजस्विनी फिर छेड़ती, 'बचपन से रोतला है, छोटी - छोटी बातों पर लड़कियों जैसे टसूए बहाता रहता है । 


घर अस्त - व्यस्त लेकिन फिर भी सब मस्त, पापा हैरान, साफ़ - सफ़ाई को हरदम चौकस रहने वाली उनकी पत्नी इतनी चुप इतने बिखराव के बाद भी, वे बोले, 'अजी सुनती हो बच्चे क्या आए आप तो हमें भूल ही गईं', मुस्कराती हुई कहती, 'थोड़े दिन बाद फिर लौट जाएंगे अपने - अपने घरौंदों में फिर आप और मैं इनकी इन्हीं शरारतों को याद करते रहेंगे, फिर मिलने की आस में ।' 


सच तो कह रही थीं, सावन में उनके घर में बहार थी, बच्चे बहार ही ले आते हैं, बेटी हो या बेटा । ... दिन तेजस्विनी अपने पति से बात एक कर रही थी, उधर से पति ने कुछ कहा तो भड़क उठी, 'क्या मां मां करते रहते हो, अब एक बच्चे के बाप बनने जा रहे हो कब तक मां दीदी, घर को याद कर करके बिसूरते रहोगे ।


'फोन पटक कर मां के सामने बड़बड़ाने लगी,' मां इतने बड़े हो गए, लेकिन मां - बहन से रोज घंटे भर बात करते हैं । घर परिवार हो गए अब तो पल्लू छोड़ें मां का । 


'मां ने कहा,' माता पिता के लिए तुम कितने भी बड़े हो जाओ बच्चे ही रहोगे, उम्र के साथ प्रेम थोड़ी कम होता है ।' 'लेकिन इतना भी क्या मां मां करना, बच्चों जैसा 'वह बोली ।' मां से बात करते - करते लड़कियों जैसे भावुक हो जाते हैं । 


अचानक तेजस बोल पड़ा, 'तू कितनी बड़ी हो गई है दीदी, तू भी तो हर छुट्टी में मां - मां करती दौड़ आती है न मायके, रोज तू भी तो बात करती है घंटों मां से, तो जीजाजी अगर अपने मायके जाते हैं तो तुझे तकलीफ़ क्यों होती है ? 


कल को मेरी पत्नी मां - पापा और तेरे लिए मुझे ऐसा बोले तो तुझे कैसा लगेगा ? 'तेजस के स्वर की गंभीरता से वह एकदम चौक गई, सच ही बोल रहा था ।' और जब से आया हूं, आया हूं क्या, बचपन से सुनता रहा हूं' क्या लड़कियों जैसे, लड़कियों जैसे । लड़कियों जैसे क्या होता है?


लड़का जब भावुक हो, जब रोए, जब कच्चा मन भीग जाए , तो उसे क्या लड़कियों जैसा रो रहा है, यह कह कह करके उसको कठोर बना दो, और बड़ा होने पर उससे संवेदनशीलता की उम्मीद करो । मां - बहन को याद करे तो झिड़को और अपने लिए प्रेम चाहो । जो अपनी मां - बहन से प्यार नहीं करता , उनकी इज्जत नहीं करता वो दुनिया में किसी औरत से प्यार या इज्जत नहीं कर सकेगा ।'


और उस दिन दीदी के तलाक पर तूने कितनी आसानी से कह दिया कि लड़के को कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा । कैसे नहीं रहा, पड़ेगा यार ? इंसान पैदा होते हैं दोनों एक - सा मन लेकर, एक को औरत बना देते हो, दूजे को आदमी ।


लड़का कहां जाकर अपनी बात कहे, तुम लोगों को तो रोने को न जाने कितने कंधे, गोद मिल जाती हैं, 'बेचारी ' कहकर दुःख बांट लेते हैं । हमारा कोई नहीं, जिसको अपने मन की पीड़ा कहो वह हंसी उड़ाता है, क्या लड़कियों जैसा भावुक हो मर्द बन । मर्द बनाओ फिर कोमलता की अपेक्षा करो । 'आज जैसे तेजस बचपन से अब तक की सारी भड़ास निकाल लेना चाहता था । 


पापा पेपर पढ़ते - पढ़ते उनके बीच आ खड़े हुए । वह आगे बोला, 'मां को प्रेम दिखाओ तो मामाज़ बॉय । बीबी की मदद करो तो जोरू का गुलाम, लड़कियों की मदद करो तो चांगल्या कहते हंसते हो, कहां जाएं हम ?


वो तू बोलती है ना भाषण में हर आदमी के अंदर एक औरत और हर औरत के अंदर एक आदमी रहता है तो औरत के भीतर के आदमी को जगाने के लिए सब तैयार हैं, लेकिन आदमी के भीतर की औरत को बचपन से सुला देते हो ।


फिर जब उसे गहरी नींद सुला देते हैं लड़के तो बड़े होने पर अचानक उसे जगाने को कहते हो , कैसे होगा? जैसे तुझे तेरे मां - बाप भाई - बहन, दोस्त, गलियां - चौबारे, मस्ती , पुरानी यादें आती हैं, रुलाती हैं, ना मुझे भी आती हैं, जीजाजी को भी आती हैं । 


जैसे तू अभी जीजाजी के बारे में कह रही थी , तुझे तेरे मायके की याद आती है ना मुझे भी आती है, हर लड़के को अपने मायके की याद आती है, तुम्हारा मायका है तो हमारा भी मायका ही है , दूर हमें भी रहना पड़ता है ।


लड़के पत्थर हैं नहीं, बना दिए गए हैं । कुछ खराब लोगों की वजह से सबको ख़राब कैसे कहती हो 'कहते कहते तेजस फफक - फफक कर रो पड़ा । अचानक माहौल गंभीर हो गया । उसे रोते देख तेजस्विनी ने इस बार नहीं कहा, 'क्या लड़कियों जैसे रो रहे हो ।' 

मां ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा तो मां का हाथ पकड़ वह चुप हुआ । उठकर तेजस्विनी के पास गया, 'इस बार की राखी , रक्षासूत्र तू तो मुझे बांधेगी ही, मैं वचन दूंगा हर औरत का आत्मविश्वास बढ़ाने, उसका भरोसा बनने, उसका साथ देने का । 


लेकिन इस बार मैं भी तुझे राखी बांधूगा, एक भाव सूत्र, और वचन लूंगा कि तू भी लड़कों की भावना, उनकी तकलीफ़, भाव समझेगी । 


बोल मंजूर ', तेजस ने कहकर बचपन की तरह हथेली आगे बढ़ा दी तो तेजस्विनी ने हाथ पर ताली मार दी । तेजस ने कहा, 'जा सोशल मीडिया पर वायरल कर दे यह भावसूत्र का आइडिया, हिट हो जाएगा । 


देखना तेरे भाषण से ज्यादा इसपर लाइक मिलेंगे तुझे । और हां हो सकता है तेरे पास आने वाले तलाक के केस कम हो जाएं, तो कोई नहीं, उसकी भरपाई मैं कर दूंगा । ' 


कहते हुए उसने फिर तेजस्विनी की नाक खींच दी और तेजस्विनी उसके पीछे कुशन ले उसे मारने दौड़ी। मां ने बेटी को इस हालत में ना दौड़ने की ताकीद की और चुपके से भाई - बहन की नजर उतार ली।


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