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रुद्राक्ष क्या है ? रुद्राक्ष की माला का क्या महत्व है ?

Rudraksh: रुद्राक्ष फल के एक गुठली से होता है। सनातनी आध्यात्मिक क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान शंकर की आँखों के जलबि

Rudraksh: रुद्राक्ष फल के एक गुठली से प्राप्त होता है। सनातनी आध्यात्मिक क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है।


रुद्राक्ष क्या है ? रुद्राक्ष की माला का क्या महत्व है ?


भगवान शिव का वरदान रुद्राक्ष 


भगवान शिव का वरदान है रुद्राक्ष, शिवपुराण, लिंगपुराण, पद्मपुराण तथा अन्य पुराणों एवं अनेक धार्मिक ग्रन्थों में रुद्राक्ष(Rudraksh) की अद्भुत महिमा का वर्णन किया गया है। रुद्राक्ष भगवान शिव की अमूल्य देन है। रुद्राक्ष सांसारिक दुःखों एवं बाधाओं से छुटकारा दिलाता है, इससे हम आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।


रुद्राक्ष की माला पहनने से हृदय रोग ब्लड प्रेशर, एवं भूत बाधा आदि नष्ट होते हैं। यह एक अकाट्य सत्य है कि रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु कभी नहीं होती। प्राचीन ऋषियों के मत से इनको पहनने से शान्ति मिलती है।


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रुद्राक्ष क्या है ? इसकी विषेशताएं What is Rudraksha?


रुद्राक्ष को भगवान शिव का नेत्र माना जाता है। रुद्र का अर्थ है भगवान शिव और अक्ष का अर्थ है अंशु (आँसू)।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से प्राप्त होता है। यह एक ही प्रकार का फल है जिसे पहनने के लिए प्रयोग किया जाता है। हमने इसे अंग्रेजी में Utrasum Bead और लैटिन में Elaeocarpus Ganitrus Roxb कहा।

  • रुद्राक्ष संन्यासियों को धर्म और मोक्ष प्रदान करता है 
  • रुद्राक्ष शंकर भगवान का प्रिय आभूषण है 
  • रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखों से मुक्ति मिलती है 
  • रुद्राक्ष भूत-प्रेतादि बाधाओं से छुटकारा दिलाता 
  • रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिए धन एवं काम का दाता है 
  • रुद्राक्ष से गृहस्थियों को पुत्र-लाभ होता है  
  • रुद्राक्ष अकाल मृत्युहारी है 
  • रुद्राक्ष शारीरिक व्याधियों का नाश करता है 
  • रुद्राक्ष कुण्डलिनी जाग्रत करने में सहायक होता 
  • रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है 
  • रुद्राक्ष किसी भी कार्य सिद्धि के लिए धारण करें, चालीस दिन में प्रभाव दिखाता है 
  • रुद्राक्ष सभी पापों का नाश करता है 
  • जहाँ रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहाँ लक्ष्मी का वास होता है


रुद्राक्ष की माला का क्या महत्व है ? 


शिव पुराण में भगवान शिव ने रुद्राक्ष को अपना ही लिंग विग्रह माना है और कहा है कि रुद्राक्ष माला धारी को देखकर भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी तथा जो अन्य हिंसक एवं विघ्नकारी हैं, सभी दूर भाग जाते हैं। रुद्राक्ष मालाधारी प्राणी को देखकर भगवान शिव, विष्णु, गणेश, दुर्गा, सूर्य, यम तथा अन्य देवता प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए रुद्राक्ष माला को विधिपूर्वक धारण करना चाहिए। 


विविध प्रकार के पत्थरों के साथ यदि रुद्राक्ष के दाने मिश्रित कर पिरोये जायें तो माला अधिक ही फलदायी हो जाती है। इसे गृहस्थी, साधु अथवा अन्य कोई भी श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक धारण कर सकता है। संसार में रुद्राक्ष की माला के समान कोई माला फलदायी नहीं है। रुद्राक्ष माला धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष को देने वाली है। 


मानव मुक्ति के लिए १०० दानों की माला फलदायी मानी गई है। सुन्दर, स्वास्थ्य एवं आरोग्यता के लिए १४० दानों की माला धारण करें। अर्थ प्राप्ति की अभिलाषा रखने वाले को ६२ दानों की माला धारण करनी चाहिए। सम्पूर्ण कामनाओं की सिद्धि के लिए १०८ दानों की माला धारण करें। जप आदि कार्यों में १०८ दानों की माला ही उपयोगी मानी गई.है। ५४ दानों की माला आधी और २८ दानों की माला को सुमरनी कहते हैं। 


ध्यान देने योग्य बातें 


  • जिस जगह रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहाँ लक्ष्मी का सदा वास होता है। 
  • रुद्राक्ष कार्यसिद्धि में ४० दिन में प्रभाव दिखलाता है। 
  • रुद्राक्ष अकाल मृत्युहारी है। 
  • रुद्राक्ष कुण्डली जागृति में सहायक है। 
  • रुद्राक्षधारी को यमराज का भय नहीं रहता। 
  • इसे धारण करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है। 
  • रुद्राक्षधारी को भूत प्रेत की बाधा नहीं रहती। 
  • इससे ब्रह्महत्या से छुटकारा मिलता है।
  • इसकी माला भाग और मोक्ष में सहायक है। 
  • रुद्राक्ष से बांझ स्त्री को सन्तान की प्राप्ति होती है। 

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