Moral Short Story: कोरोना काल ने बहुत सारे लोगों की असली सूरत दिखा दी, लेकिन उस दिन जिस सच्चे इंसान से मुलाक़ात हुई, वो जीवन - भर याद रहेगी....
Short kahani:उनकी चिंता ने चौंका दिया
दोपहर का समय था । अख़बार तो सुबह ही आ जाता है , लेकिन मैं उसे आराम से दोपहर में पढ़ता हूं ।
मोबाइल और न्यूज चैनल के चलते समाचार तो हर क्षण मिलते रहते हैं , इसलिए मैं समाचार नहीं अपितु संपादकीय पृष्ठ के लेख पढ़ता हूं । शब्द पहेली और सुडोकू एक तरह से मेरी पहली पसंद हैं , बल्कि मेरा तो मानना है कि यह सभी की पहली पसंद होना चाहिए ज्ञानवर्धक और मस्तिष्क को तेज करने वाली ।
उस दिन भी मैं सुडोकू बना रहा था और उसके अंतिम खंड को भरते ही दरवाजे की घंटी बजी और एक आवाज हवा में तैर गई- पोस्टमैन ।
मास्क मैं अपने जेब में ही रखता हूँ , तुरंत मैंने मास्क लगाया और पहुंच गया दरवाजे पर । डाकिए ने पत्रिका का एक बंडल मुझे दिया , साथ में एक कागज और पेन भी , ' यहां दस्तखत कर देंगे । ' -दिए गए काग़ज़ के एक स्थान पर इशारा करते हुए उन्होंने कहा । मैंने दस्तखत कर दिए , उन्हें धन्यवाद दिया और अंदर की तरफ मुड़ा ।
' सर ' की आवाज पर मैं रुका । सोचा कोरोना काल में की जा रही इस सेवा के बदल कुछ उम्मीद में दी गई है ये आवाज ।
मैं दरवाजे पर पहुंचा- ' कहो भाई , कुछ .... ,
मैं आगे कुछ कहता उसके पहले ही उस पोस्टमैन ने कहा ' सर , हाथ साबुन से धो लीजिएगा , ये कागज और पेन बहुत लोग छूते हैं ना , कोरोना की यह लहर बहुत दुःख दे रही है सबको , इसलिए ही सचेत भी करता रहता हूं । ' बहुत सिखा रहा है ' जैसा मत समझिएगा ।
' उसने मेरे सारे शब्द छीन लिए थे , धन्यवाद जैसा जरूरी शब्द भी कहीं गुम हो गया था । वह आगे बढ़ गया । वह दृष्टि से जरूर ओझल हो गया , लेकिन मेरे मन पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ गया था ।