Benjamin Franklin Motivational Speech: हमें बोलने की बजाय सुनने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, मौन हमेशा बुद्धिमानी की निशानी नहीं होता, लेकिन बड़बड़ाना हमेशा मूर्खता की निशानी है। जो ज्यादा बोलता है, वो गलतियां भी ज्यादा करता है।- बेंजामिन फ्रैंकलिन, ( 1706-1790 ), अमेरिकी विचारक
हमें बोलने की बजाय सुनने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए Benjamin Franklin Motivational Speech
जीवन की कोई पुनरावृत्ति संभव नहीं होती इसलिए सोच विचार करके कदम उठाने चाहिए। कई बार पलक झपकने से पहले ही अच्छे मौके हाथ से निकल जाते हैं, इसलिए हमें समय की कीमत पहचानना चाहिए। कई मुद्दों पर मेरी राय शुरू से अलग रही है। जैसे ज्यादातर लोग दूसरों के दंभ को पसंद नहीं करते, फिर वह खुद चाहे कितने ही दंभी क्यों न हों !
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मेरा मानना है कि कई बार ये दंभ जीवन में कुछ अच्छाइयां भी पैदा करता है। इसलिए कुछ मामलों में हमें जीवन में दूसरे एशो आराम के साथ दंभ के लिए भी ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए । बचपन से ही मुझे पढ़ने का इतना शौक था कि जो थोड़े भी पैसे मिलते, तो मैं उन्हें पुस्तकें खरीदने में खर्च कर देता। मेरे पिता की लाइब्रेरी में मुख्यतः धार्मिक पुस्तकें ही थीं, जिसमें से अधिकांश मैंने पढ़ीं।
मुझे तभी से इस बात का काफी दुःख हुआ कि ज्ञान की इतनी प्यास होने के बाद भी अच्छी पुस्तकें मेरे हाथ नहीं लगीं। ऐसी कई किताबें थीं, जिन्हें पढ़कर मेरे विचारों में नया मोड़ आया और आगे चलकर मेरे जीवन की कई घटनाओं पर उनका असर रहा। पुस्तकों की ओर मेरा रुझान देखकर मेरे पिता ने मुझे मुद्रक बनाने का निश्चय किया। कुछ समय बाद एक व्यापारी का ध्यान मेरी पढ़ने की प्रवृत्ति की ओर सहसा खिंचा आया। उन्होंने मुझे अपनी लाइब्रेरी में आमंत्रित किया और कुछ अच्छी पुस्तकें मुझे पढ़ने के लिए दीं।
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धीरे-धीरे कविताओं में मुझे रस आने लग गया। मैंने स्वयं कुछ छोटी-मोटी कविताएं लिखीं। मेरा मानना है कि आपकी रुचि के हिसाब से चीजें मिलने लगती हैं। अब उन व्यापारी सज्जन को ही देखिए। मेरी रुचि को देखते हुए मेरे भाई ने भी मुझे प्रोत्साहित किया और कभी कभार गाथा-गीत ( बैलेड्स ) लिखने को कहा करते। हालांकि उसकी मंशा व्यापारिक फायदे की थी, पर इसका मुझे लाभ ही मिला।
हर जगह ऐसी बातें करने वाले लोग रहते हैं, जो किसी भी तथ्य के नकारात्मक पहलू को ही देखते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति ने मुझे पब्लिकेशन के कोराबार के प्रति हतोत्साहित किया। अपनी बात के पक्ष में कई तर्क दिए कि यह अत्यधिक खर्चीला कारोबार है और खर्च किया हुआ पैसा डूब जाता है। इसने मुझे उदास करके रख दिया। हालांकि मैंने अपना काम जारी रखा। मेरा मानना है कि अपने दुश्मनों को प्यार करो, क्योंकि वे आपकी गलतियां बता देते हैं ।
मैंने मुद्रणालय के स्वामित्व हस्तांतरण हेतु लिए गए कर्ज को चुकाना प्रारंभ किया। एक व्यवसायी के रूप में अपनी साख और चरित्र को बरकरार रखने के लिए मैंने सचमुच ही मेहनती और मितव्ययी रहने पर ध्यान दिया। मैं सामान्य पोशाकें पहनता था और व्यर्थ की जगहों पर कभी नहीं जाता था। कभी-कभी किसी पुस्तक में खो जाने की वजह से मैं अपने काम से अलग हो जाया करता था।
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इस तरह मुझे एक मेहनती, उन्नतिशील युवा पुरुष के रूप में जाना जाने लगा। मैं चुपचाप काम करने वालों में से रहा हूं। मौन हमेशा बुद्धिमानी की निशानी नहीं होता, लेकिन बड़बड़ाना हमेशा मूर्खता की निशानी है। मेरा मानना है कि अच्छा बोलने से अच्छा करना ज्यादा बेहतर है। जो ज्यादा बोलता है, वो गलतियां भी ज्यादा करता है।
ज्ञान जीभ की तुलना में कान द्वारा ज्यादा प्राप्त किया जाना चाहिए। अर्थात् हमें बोलने की बजाय सुनकर ज्यादा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। जो लोग अपने में ही सिमटे रहते हैं, छोटे पैकेट की तरह होते हैं।- फ्रैंकलिन की आत्मकथा से साभार.
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