गाजर और टमाटर: Best Child Moral Stories
कहानी: अलका जैन
जो पसंद हो , वह तो खाना ही चाहिए , खासतौर पर अगर उससे सेहत बनती हो , लेकिन अगर पसंदीदा वस्तु न मिल पा रही हो , तो कुछ नया भी तो आजमाना चाहिए । क्या पता अच्छा ही लगे । अब वफी को ही लीजिए गाजर पसंद है , तो वही चाहिए ।
लेकिन जंपी बंदर ने उसकी कैसे मदद की , इस कहानी से जानिए और बच्चों को पढ़कर सुनाइए ।
गाजर और टमाटर
वफी खरगोश सुबह उठते ही मम्मी से बोला - ' मम्मी ! मेरी गाजर कहां है ? '
मम्मी ने उसे दुलारते हुए कहा- ' तुम जल्दी से रेडी हो जाओ ... मैं तुम्हारा नाश्ता लगाती हूं ... स्कूल जाने का समय हो रहा है । '
वफी पांव पटकते हुए बोला- ' यह क्या बात हुई मम्मी ! आपको पता है कि मैं गाजर के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता । '
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मम्मी ने उसे समझाते हुए कहा- ' मैंने कब मना किया तुम्हें गाजर खाने से ? लेकिन तुम गाजर के अलावा और कुछ खाना ही नहीं चाहते । ऐसे कैसे चलेगा । ' मम्मी की बात सुनकर वफी बोला- ' मेरी प्यारी मम्मी ! गाजर सेहत के लिए अच्छी होती है ना ..
तभी वफी के पापा आ गए थे । थैला वहीं रखते हुए बोले - ' वफी ! तुम्हारे लिए गाजर का इंतजाम हो गया है । ' ,
यह सुनकर वफी ख़ुशी से उछल पड़ा और तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर आ गया ।
मम्मी ने एक गाजर और दूध टेबल पर रख दिया था ।
नाश्ते में एक ही गाजर देखकर वफी बोला- ' एक गाजर से क्या होगा मम्मी ? "
तभी पापा ने उसे समझाते हुए कहा - ' बेटा ! आज सुबह सूरज उगने से पहले ही मैं उठ गया था और जंगल के दूसरे कोने में जाकर तुम्हारे लिए गाजर ले कर आया हूं । तुम्हें पता है गाजर बहुत महंगी हो गई है क्योंकि इसका सीजन अब जा रहा है । '
यह सुनकर वफी उदास हो गया था । उसने चुपचाप एक गाजर खाई और जैसे तैसे दूध पीकर स्कूल के लिए निकल गया । रास्ते में वह यही सोच रहा था कि ऐसा क्या किया जाए कि उसके लिए गाजर की कभी कमी ही ना रहे । वफी स्कूल पहुंचने ही वाला था कि उसका दोस्त जंपी बंदर उसके सामने कूद पड़ा ।
वफी जंपी को देखकर बहुत खुश हुआ । कुछ देर बातें करने के बाद जंपी ने पूछा- ' क्या बात है दोस्त .. तुम खुश नजर नहीं आ रहे ? "
वफी ने जवाब दिया- ' तुम्हें तो पता है मुझे गाजर कितनी पसंद है वैसे तो सभी खरगोशों को गाजर पसंद होती है लेकिन मैं उसके बिना एक दिन भी नहीं रह सकता । '
जंपी ने कुछ सोचते हुए कहा- ' ... लेकिन दोस्त ! अब तो गाजर का सीजन नहीं है । अब इसका स्वाद भी इतना अच्छा नहीं रहा और यह महंगी भी बहुत हो गई है । '
जंपी की बात सुनकर वफी ने कहा- ' मैं क्या करूं ... मेरा मन मानता ही नहीं । और क्या खाऊं ? "
जंपी ने उससे कहा- ' तुम ऐसा करो जब लंच टाइम हो तब बाहर आना । मैं तुम्हें बहुत अच्छी चीज खिलाऊंगा । '
वफी बोला- ' गाजर से अच्छा भला क्या हो सकता है ? पर ठीक है ... तुम कहते हो तो आ जाऊंगा । '
लंच टाइम में वफी ने देखा कि मम्मी ने टिफिन में ककड़ी रखी थी । वफी ने ककड़ी बिना खाए ही टिफिन बंद कर दिया । उसे याद आया कि जंपी ने उसे बुलाया था ।
वह दौड़कर स्कूल के मैदान में आ गया था । एक पेड़ पर जंपी उसका इंतजार कर रहा था । जंपी ने उसे एक लाल टमाटर खाने को दिया । वफी ने ना - नुकुर करते हुए उसे खा लिया । फिर उसने जंपी से दूसरा टमाटर मांगा और उसे भी झटपट खा गया फिर तीसरा और फिर चौथा । तभी स्कूल की घंटी बज गई थी । वफी ने स्कूल की तरफ़ दौड़ते हुए कहा- ' ठीक है दोस्त चलता हूं .... बाय । '
जंपी ने उससे पूछा- ' जाते जाते बता जाओ कि तुम्हें टमाटर कैसा लगा ? "
वफी ने जवाब दिया- ' अच्छा था .... पर गाजर जैसा नहीं था । '
वफी की बात सुनकर जंपी जोर - जोर से हंसने लगा और बोला मेरे सारे टमाटर खा गया और बोलता है गाजर जैसे नहीं थे । '
उस दिन वंफी जब घर लौटा तो उसने मम्मी से गाजर नहीं टमाटर मांगा । मम्मी हैरान थी और खुश भी कि वफी ने गाजर की जिद छोड़ दी थी।
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