हृदय रोग : बचाव ही उपचार है, Heart Disease: लक्षण, कारण, टाइप और परहेज -
शरीर की कार्यप्रणाली का प्रमुख केंद्र है -हृदय शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं को ऊर्जा रक्त द्वारा प्रदान की जाती है और रक्त परिसंचरण का विशिष्ट अंग ह्रदय ही है ।
जीवन की बागडोर भी हृदय के हाथों मैं ही है। जब तक यह धड़कता रहता है ,हमारी सांसे चलती रहती है ,इसलिए हृदय को स्वस्थ रहना अति आवश्यक है । किन्तु आज की आपाधापी और स्पर्धा भरी जीवन शैली का सीधा प्रभाव हृदय पर पडा है।
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Heart Disease: लक्षण, कारण, टाइप और परहेज
ह्रदय रोग के कारण (due to heart disease)
गलत खान-पान ,मानसिक तनाव , अधिक वसा का सेवन ,मोटापा ,रक्तचाप, व् गठिया जैसे बीमारियां म धूम्रपान, वंशानुगत ह्रदय विकार ,व्यायाम और शारारिक श्रम की कमी व् पौष्टिक भोजन का अभाव हृदय रोग के प्रमुख कारण है । इसके साथ ही महिलओं मैं रजोवृत्ति (मोनोपाज ) के बाद हृदय रोग की संभावना 20 प्रतिशत बढ़ जाती है ।
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Heart Disease: लक्षण, कारण, टाइप और परहेज |
हृदय रोग के लक्षण(Symptoms of Heart Disease )
धीमा व् प्रारंभिक हृदय रोग बिना किसी लक्षण के भी उपस्थित हो सकता है । आमतौर पर ह्रदय रोग के लक्षण इस प्रकार है :-
- छाती के बीचों-बीच कुछ देर तक असहज दबाव व् ऐठन वाला दर्द जो कन्धों,गर्दन,और बाँहों तक फैलता है ,धीरे-धीरे तेज हो है ।
- दर्द का स्थान छाती ,पेट के ऊपरी भाग, बाँहों या फिर कन्धों के भीतर होना ।
- छाती मैं बेचैनी,पसीना व् उकबाई आना,साँस का छोटा होना, चक्कर आना ।
- घबराहट, बेचैनी,तेजी से पसीना छूटना,हृदय गति तेज व् अनियमित होना ।
घरेलु
उपचार
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Heart Disease: लक्षण, कारण, टाइप और परहेज |
आंवला - आंवला का बारीक़ चूर्ण बनाकर बराबर मात्रा मैं मिश्री मिलकर कांच के बर्तन मैं रख लें । रोजाना सवेरे दो चम्मच खली पेट पानी के साथ सेवन करें । इससे ह्रदय के समस्त होंगे । आंवला दिल के अनियमित धड़कन, हृदय की कमजोरी,उच्च रक्तचाप आदि को दूर करता है । आंवले का अनियमित सेवन वाहिनियों को लचीला बनाता है ।
अर्जुन छाल -अर्जुन की छाल को छांव मैं सुखाकर बारीक़ चूर्ण बना लें । 250 ग्राम दूध मैं बराबर मात्रा मैं पानी डालकर हल्की
आंच पर रखें अब इसमें तीन ग्राम (एक छोटा चम्मच ) अर्जुन की छाल का चूर्ण डाल कर उबालें जब उबलते-उबलते मिश्रण की मात्रा आधी रह जाये तो उतारकर छान लें। पीने योग्य गुनगुना हो जाने पर इसका सेवन करने से ह्रदय रोग नष्ट होता है व् ह्रदय धात से बचाव होता है । दूध देशी गाय का सर्वोत्तम रहता है । एक महीने तक रोजाना सवेरे खली पेट इसका सेवन करें । उसके बाद प्र्त्येक महीने के शुरू के दिन लगातार इसका खली पेट सेवन करे । सवा सेवन के एक-डेढ़ ,घंटे तक कुछ न खाये ।
घीया - एक लोकी (घीया) (450से 600 ग्राम) लें । इसे तीन हिस्सों मैं बाँट कर ,दिन मै तीन बार दवा बना सकते है। 200 ग्राम घीया को अच्छी तरह धोकर ,छिलके समेत काट लें या इसके छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर मिक्सर या फ़ूड प्रोसेसर मैं डालकर उसका रास निकाल ले । रास निकलते समय ही आप उसमें तुलसी और पुदीना के 5-7 पत्ते भी डाल लें।
अब इस रस को छान और जितना रस बना है,उतना ही पानी उसमें मिलाएं ताकि रस जरा हल्का व् फीका हो जाय । आप इसमें काली मिर्च क पावडर ,सेंधा नमक मिला कर इसे अपने स्वाद का भी बना सकते है । यह एक बार की दवा तैयार है ,इसी प्रकार दिन के तीन बार यह दवा नियमित लें । इसे नास्ता या खाने के आधे घंटे बाद लें या साथ-साथ भी ले सकते है ।
रस तैयार होते ही तुरंत ले लेना चाहिए । उसे फ्रीज आदि मैं रखने की बात न करे ,आप देखेंगे की फ़्रीज मैं रखा हुआ रस काला पड़ जाता है । यह रस आपके ह्रदय की स्नायु -व्यवस्ता को मजबूत करता है ,जिससे हमारे हृदय ली सक्रियता सहज बढ़ती है। आराम आने तक दवा लेते रहे । जब उपचार प्रारम्भ करे तो कोई भी खट्टी चीज न लें -न तो खट्टे फल ,न टमाटर न निम्बू आदि
चलें स्वस्थ जीवन पथ पर
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Heart Disease: लक्षण, कारण, टाइप और परहेज |
Heart Disease: लक्षण, कारण, टाइप और परहेज
हृदय रोग परहेज
- भोजन मैं नमक की मात्रा कम करें ।
- धूम्रपान व् अल्कोहल कदापि न करे ।
- अपनी जीवन शैली को तनाव रहित,स्वस्थ बनाये ।
- व्यायाम ,सैर , खेल,योग्याभ्यास आदि के लिए समय निकालें । चिकित्सक की सलाह ले कर उचित आसान व् प्राणायाम का चयन कर नियमित योग्याभ्यास करे ।
- उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह से हृदय रोग की संभावना अधिक बढ़ जाती है । इनसे बचें ,शरीर मैं कोलेस्टॉल की मात्रा सयम रखें ।