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भारतीय संविधान के विभिन्न भाग महत्वपूर्ण अनुच्छेद अनुसूचियां प्रमुख स्रोतऔर विशेषताएं

भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद हैं । संविधान के ये अनुच्छेद 25 भागों में विभाजित हैं । संविधान के ये 25 भाग अलग -अलग विषयों के सम्बन्ध में व्यवस्था

INDIAN CONSTITUTION: भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद हैं। संविधान के ये अनुच्छेद 25 भागों में विभाजित हैं। संविधान के ये 25 भाग अलग-अलग विषयों के सम्बन्ध में व्यवस्था करते हैं।  परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे। इसके अतिरिक्त मूल संविधान में 8 अनुसूचियां थीं किन्तु संवैधानिक संशोधनों के कारण वर्तमान में अनुसूचियों की संख्या 12 हो गई है। भारतीय संविधान के विभिन्न भाग,महत्वपूर्ण अनुच्छेद,अनुसूचियां प्रमुख स्रोत,और विशेषताएं इस प्रकार है: 

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भारतीय संविधान के अंग/प्रकार (Parts of indian constitution in Hindi)

भाग 1 – संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र :- इसमें अनुच्छेद 1 से 4 तक सम्मिलित हैं जिनमें संघ का नाम और राज्य क्षेत्र, नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना, नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों की सीमाओं या नामों में परिवर्तन के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। 

भाग 2 – नागरिकता — इसमें अनुच्छेद 5 से 11 तक सम्मिलित हैं जिनमें भारत की नागरिकता के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। 

भाग 3– मौलिक अधिकार —इसमें अनुच्छेद 1 2 से 35 तक सम्मिलित हैं जिनमें मूल अधिकारों सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। इसमें अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता का अधिकार तथा अनुच्छेद 19 से 22 तक स्वतन्त्रता के अधिकार के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है। 

अनुच्छेद 23 एवं 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 25 से 28 तक धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार तथा अनुच्छेद 29 से 30 तक संस्कृति एवं शिक्षा से सम्बन्धित अधिकार के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। अनुच्छेद 32 से 35 तक नागरिकों को प्रदत्त संवैधानिक उपचारों के अधिकार तथा कुछ वर्गों ( सैनिक, अर्द्ध सैनिक बल ) और परिस्थितियों में मौलिक अधिकारों के लागू न होने का प्रावधान किया गया है। 

भाग 4 – राज्य के नीति निदेशक तत्व - इसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक सम्मिलित हैं जिनमें राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है। 

भाग 4 क - मौलिक कर्तव्य– इसमें अनुच्छेद 51 क को सम्मिलित किया गया है जिसमें नागरिकों के मूल कर्तव्यों का उल्लेख है। यह भाग 42 वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में शामिल किया गया। 

भाग 5 - संघ की शासन व्यवस्था ( राष्ट्रपति , मन्त्रिपरिषद, संसद और सर्वोच्च न्यायालय आदि )– इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल हैं। अनुच्छेद 52 से 73 में भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति की योग्यता, निर्वाचन, पदावधि, शपथ आदि के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। 

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अनुच्छेद 74 से 75 तक राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मन्त्रिपरिषद, अनुच्छेद 76 में भारत के महान्यायवादी तथा अनुच्छेद 77 एवं 78 में भारत सरकार के कार्य संचालन तथा राष्ट्रपति को जानकारी देने के लिए प्रधानमन्त्री के कर्तव्य के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। 

अनुच्छेद 79 से 106 तक भारतीय संसद के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है जबकि अनुच्छेद 107 से 122 तक संसद की विधायी प्रक्रिया तथा वित्तीय विषयों से सम्बन्धित प्रक्रिया का उल्लेख मिलता है। 

अनुच्छेद 123 में संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति, अनुच्छेद 124 से 147 तक संघ की न्यायपालिका के सम्बन्ध में प्रावधान तथा अनुच्छेद 148 से 151 तक भारत के नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। 

भाग 6– राज्यों का शासन–  इस भाग में अनुच्छेद 152 से 237 तक सम्मिलित हैं जिनमें राज्यों की कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका से सम्बन्धित प्रावधान समाविष्ट हैं। अनुच्छेद 152 द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को राज्यों के सामान्य संवर्ग से पृथक् कर दिया गया है। अनुच्छेद 153 से 162 तक राज्यपाल से सम्बन्धित हैं। 

जबकि अनुच्छेद 163 एवं 164 में राज्य के मुख्यमन्त्री एवं मन्त्रिपरिषद के अन्य सदस्यों के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। अनुच्छेद 168 से 195 तक राज्य विधानमण्डल के गठन, राज्य विधानमण्डल के अधिकार कार्य संचालन, विधानमण्डल के सदस्यों की निरर्हतायें ( अयोग्यताएं ), राज्यों के विधानमण्डलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियों से सम्बन्धित प्रावधान शामिल हैं। 

अनुच्छेद 196 से 212 तक विधानमण्डल की विधायी तथा वित्तीय प्रक्रिया के सम्बन्ध में वर्णन किया गया है। अनुच्छेद 213 राज्यपाल की विधायी शक्ति से सम्बन्धित है जबकि अनुच्छेद 214 से 231 तक राज्यों के उच्च न्यायालयों के संगठन एवं शक्तियों के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। अनुच्छेद 233 से 237 में अधीनस्थ न्यायालयों के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। 

भाग 7 – इसमें अनुच्छेद 238 में पहली अनुसूची के भाग ख के राज्य सम्मिलित थे। संविधान के इस भाग को सातवें संशोधन अधिनियम के द्वारा 1956 में संविधान से हटा दिया गया है। 

भाग 8 – संघ राज्य क्षेत्र — इसमें अनुच्छेद 239 से 241 सम्मिलित है जिसमें संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। 

भाग – 9 पंचायतें– इसमें अनुच्छेद 243 से ' 243 ण ' तक शामिल हैं जिनके द्वारा पंचायतों के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। 

भाग– 9 क नगरपालिकाएं– इसमें अनुच्छेद 243 त ' से '243 य' तक शामिल हैं जिनमें नगरपालिकाओं के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।

भाग 10 - अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र – इसमें अनुच्छेद 244 तथा 244 क शामिल हैं। 

भाग 11- संघ एवं राज्यों के बीच सम्बन्ध – इसमें अनुच्छेद 245 से 263 शामिल हैं जिनमें संघ और राज्यों के बीच सम्बन्धों का उल्लेख है। 

भाग 12 –वित्त,सम्पत्ति,संविदाएं और बाद – इसमें अनुच्छेद 264 से '300 क' तक शामिल हैं। 

भाग 13- भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम भाग भाग 

14 - संघ और राज्यों के अधीन लोक सेवाएं 

14 क – अधिकरण ( Tribunals ) – इसमें अनुच्छेद 323 क एवं 323 ख शामिल हैं जिनमें प्रशासनिक अधिकरण तथा अधिकरणों के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। इस भाग को 42 वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में संविधान में सम्मिलित किया गया। 

भाग 15– निर्वाचन  – इसमें अनुच्छेद 324 से 329 क तक सम्मिलित हैं जिनमें निर्वाचन आयोग एवं निर्वाचन से सम्बन्धित अन्य प्रावधानों का उल्लेख है। 

भाग 16 - कुछ वर्गों के सम्बन्ध में विशेष उपबन्ध – इसमें अनुच्छेद 330 से 342 तक सम्मिलित हैं जिनमें लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण, लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व, राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग एवं पिछड़ा वर्ग आदि के सम्बन्ध में प्रावधान हैं। 

भाग 17 - राजभाषा 

भाग 18 - आपात उपबन्ध – इसमें अनुच्छेद 352 से 360 सम्मिलित हैं जिनमें आपात उपबन्धों का उल्लेख किया गया है। 

भाग  19 प्रकीर्ण ( Miscellaneous ) – इसमें अनुच्छेद 361 से 367 शामिल हैं जिनमें राष्ट्रपति, राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण, संसद और राज्य विधानमण्डलों की कार्यवाहियों के प्रकाशन का संरक्षण आदि के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।

भाग 20 संविधान का संशोधन-  इसमें अनुच्छेद 368 में संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके निर्धारित प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। 

भाग 21 – अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध 

भाग 22- संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन ( Repeals ) — इसमें अनुच्छेद 393 से 395 शामिल हैं जिनमें संविधान का संक्षिप्त नाम संविधान के प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ आदि के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। 

संविधान की अनुसूचियां (Schedules of the Constitution in Hindi)

भारतीय संविधान के मूल पाठ में 8 अनुसूचियां थीं लेकिन वर्तमान समय में भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां हैं। संविधान की इन अनुसूचियों का विवरण निम्न प्रकार है: 

प्रथम अनुसूची- इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों (28 राज्य )और संघ शासित क्षेत्रों (8) का उल्लेख है।

द्वितीय अनुसूची- इसमें भारतीय राजव्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों ( राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उप-सभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधानपरिषद के सभापति और उप सभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक आदि ) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेन्शन, आदि का उल्लेख किया गया है। द्वितीय अनुसूची में इन पदों के उल्लेख का आशय यह है कि इन पदों को संवैधानिक स्थिति प्राप्त है। 

तृतीय अनुसूची– इसमें विभिन्न पदधारियों ( राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, मन्त्री, संसद सदस्य, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों आदि ) द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है। 

चतुर्थ अनुसूची– इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों के राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है। 

पांचवीं अनुसूची – इसमें विभिन्न अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियन्त्रण के बारे में उल्लेख है। 

छठी अनुसूची– इसमें असोम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान हैं। 

सातवीं अनुसूची – इसमें राज्यों और केंद्र के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में दिया गया है। इसके अंतर्गत तीन सूचियां-संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों का उल्लेख किया गया है।

( अ ) संघ सूची- इस सूची में दिए गए विषय पर केन्द्र सरकार कानून बनाती है। संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे; वर्तमान समय में इसमें 98 विषय हैं। 

( ब ) राज्य सूची- इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से सम्बन्धित होने पर केन्द्र सरकार भी कानून बना सकती है। संविधान के लागू होने के समय इसके अन्तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय हैं।

( स ) समवर्ती सूची- इस सूची में दिए गए विषय पर केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे- वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं।

आठवीं अनुसूची – इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थीं, 1967 में सिंधी को, 1992 में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली तथा 92 वां संविधान संशोधन ( 2003 ) के द्वारा आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथली व संथाली भाषाएं भी सम्मिलित हो गई हैं।

आठवीं अनुसूची इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है। 1. असमिया 2. बांग्ला 5. कन्नड़ 8. मलयालम 4. हिन्दी 7. कोंकणी 10. मराठी 13. पंजाबी 16. तमिल 19. बोडो 22 , डोगरी । 11. नेपाली 14. संस्कृत 17. तेलुगू 20. मैथिली 3. गुजराती 6. कश्मीरी 9. मणिपुरी 12. उड़िया 15. सिन्धी 18. उर्दू 21. सन्थाली 

नौवीं अनुसूची - संविधान में यह अनुसूची प्रथम 'संविधान संशोधन अधिनियम' ( 1951 ) द्वारा जोड़ी गई। इसके अन्तर्गत राज्य द्वारा सम्पत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विधियों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। इस अनुसूची में विभिन्न अधिनियमों को शामिल किया जाना जारी रहा और आज इस अनुसूची में 311 से अधिक अधिनियमोंने स्थान पा लिया है।

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दसवीं अनुसूची – यह संविधान में 52 वें संविधान संशोधन ( 1985 ) द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल-बदल से सम्बन्धित प्रावधानों का उल्लेख है। दिसम्बर 2003 में 91 वें संविधान संशोधन के द्वारा दल-बदल से सम्बन्धित प्रावधानों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए. 

ग्यारहवीं अनुसूची – संविधान में यह अनुसूची 73 वें संवैधानिक संशोधन ( 1993 ) द्वारा जोड़ी गई है। इस अनुसूची के आधार पर ‘पंचायती राजव्यवस्था' को ( कार्य करने के लिए 29 विषय )संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई। 

बारहवीं अनुसूची - संविधान में यह अनुसूची 74 वें संवैधानिक संशोधन ( 1993 ) के आधार पर जोड़ी गई है। इस अनुसूची में शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं( को कार्य करने के लिए 18 विषय ) का उल्लेख कर उन्हें संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई है।

भारतीय संविधान के प्रमुख स्रोत (Major sources of Indian Constitution In Hindi )

भारतीय संविधान के प्रमुख स्रोत 1935 का भारतीय शासन अधिनियम जो इस प्रकार है-

भारतीय संविधान के विविध स्रोत

Various sources of Indian Constitution in Hindi

राष्ट्र

विविध स्रोत

ब्रिटेन

संसदीय शासन प्रणाली, कानून निर्माण प्रक्रिया,

एकल नागरिकता, संसदीय विशेषाधिकार,

मन्त्रिपरिषद् का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व,

राष्ट्रपति का संवैधानिक प्रमुख के रूप में अस्तित्व,

अखिल भारतीय सेवा प्रणाली, द्विसदनीय व्यवस्था।

संयुक्त राज्य अमेरिका

प्रस्तावना, स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायिक व्यवस्था,

मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन,

सर्वोच्च न्यायालय का गठन एवं अधिकार,

उपराष्ट्रपति का पद।

कनाडा

स्रोत शक्तियों का विभाजन,

संघात्मक शासन व्यवस्था एवं अवशिष्ट शक्तियों का केन्द्रीकरण,

केन्द्र द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति।

ऑस्ट्रेलिया

समवर्ती सूची, दोनों सदनों की संयुक्त बैठक,

व्यापार वाणिज्य और समागम की स्वतन्त्रता।

जापान

कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया,

कानून जिन पर सर्वोच्च न्यायालय कार्य करता है।

सोवियत संघ ( रूस )

अनुच्छेद 51-ए के तहत मौलिक कर्तव्य।

आर्थिक विकास की देखरेख के लिए अनिवार्य योजना आयोग,

प्रस्तावना में न्याय के आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक)

द. अफ्रीका

संविधान संशोधन प्रणाली, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन

आयरलैण्ड

आदर्श राज्य के नीति-निदेशक तत्त्व,

राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन

जर्मनी

आपातकालीन उपबन्ध

फ्रांस

गणतन्त्र प्रणाली, प्रस्तावना में स्वतन्त्रता, समता, बन्धुता के आदर्श

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं (Features of the Indian Constitution in Hindi)

भारतीय संविधान में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं दृष्टिगोचर होती हैं:

  • विश्व का सबसे लम्बा व् विस्तृत संविधान
  • विभिन्न संविधानो से निर्मित  
  • स्वतंत्र व् निष्पक्ष न्याय प्रणाली 
  • लोकप्रभुता पर आधारित संविधान
  • लिखित और सर्वाधिक व्यापक संविधान
  • सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न लोकतान्त्रिक गणराज्य समाजवादी राज्य
  • कठोरता और लचीलेपन का समन्वय
  • पंथनिरपेक्ष राज्य की स्थापना
  • एकात्मकता की ओर झुका हुआ संघात्मक शासन संसदात्मक शासन व्यवस्था
  • मूल अधिकार और मूल कर्तव्य
  • नीति निदेशक तत्व 
  • स्वतन्त्र न्यायपालिका और अन्य स्वतन्त्र अभिकरण संसदीय प्रभुता तथा न्यायिक सर्वोच्चता में समन्वय
  • वयस्क मताधिकार का प्रारम्भ
  • अल्पसंख्यक तथा पिछड़े हुए वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था
  • एकल नागरिकता
  • सामाजिक समानता की स्थापना
  • संकटकालीन प्रावधान
  • कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श
  • एक राष्ट्रभाषा की व्यवस्था
  • ग्राम पंचायतों की स्थापना
  • विश्व शान्ति का समर्थक ।

संघ और राज्यक्षेत्र Union and Territories

संविधान का भाग 1, प्रथम अनुसूची (अनुच्छेद 1 से 4) संघ और इसके क्षेत्र से सम्बन्धित है। संविधान का अनुच्छेद 1 के अनुसार, "इण्डिया अर्थात् भारत, राज्यों का संघ होगा”। अनुच्छेद 3, वर्तमान राज्य क्षेत्रों में से नए राज्यों के निर्माण के विषय में व्याख्या करता है।

राज्यों का पुनर्गठन 

  • स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों और ब्रिटिश शासित भारतीय रियासतों का विलय कर दिया गया। 
  • भाषा के आधार पर 1953 में सर्वप्रथम आन्ध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया।
  • बाद में फजल अली आयोग की सिफारिशों ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने राज्यों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। इसके आधार पर 14 राज्यों और 6 संघ शासित प्रदेशों का निर्माण हुआ। 1 मई, 1960 को मराठी एवं गुजराती भाषियों के बीच संघर्ष के कारण बम्बई राज्य का बँटवारा कर, महाराष्ट्र एवं गुजरात, दो राज्यों की स्थापना की गई। 
  • भारत सरकार ने 18 दिसम्बर, 1961 को गोवा, दमन व दीव को पुर्तगालियों से मुक्त कराकर उन पर पूर्ण अधिकार कर लिया। बारहवें संविधान संशोधन द्वारा गोवा, दमन एवं दीव को प्रथम परिशिष्ट में शामिल करके भारत का अंग बना दिया गया। 
  • नागा आन्दोलन के कारण असोम को विभाजित करके 1 दिसम्बर , 1963 में नागालैण्ड को अलग राज्य बनाया गया। 1 नवम्बर, 1966 में पंजाब को विभाजित करके पंजाब ( पंजाबी भाषी ) एवं हरियाणा ( हिन्दी भाषी ) दो राज्य बना दिए गए। 
  • 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश व 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर, त्रिपुरा एवं मेघालय को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 26 अप्रैल, 1975 को सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
  • 20 फरवरी, 1987 को मिजोरम व अरुणाचल प्रदेश तथा 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। सन् 2000 में मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश से उत्तरांचल ( उत्तराखण्ड ) तथा बिहार से झारखण्ड नामक राज्य बनाए गए।
  • जम्मू और कश्मीर भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर को अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत विशेष राज्य का दर्जा प्रदान था। 5 अगस्त 2019 को धारा 370 भारत सरकार ने हटा दिया है. राज्य द्वारा निर्मित एक संविधान सभा द्वारा जम्मू और कश्मीर के लिए एक पृथक् संविधान का निर्माण किया गया, जो 26 जनवरी, 1957 से अस्तित्व में आया।

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